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Chhattisgarh Analysis: विधानसभा और मेयर का चुनाव जीतने वाले शहर के वार्ड में हार कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी

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छत्तीसगढ़ में नगरीय निकायों के उपचुनावों में बिलासपुर और रायगढ़ नगर निगम के साथ बाराद्वार नगर पंचायत में कांग्रेस की हार राज्य में सत्तारूढ़ दल के लिए खतरे की घंटी मानी जा रही  है। बिलासपुर और रायगढ़ में कांग्रेस के विधायक होने के साथ निगम पर भी कांग्रेस का  कब्जा है। बाराद्वार सक्ती विधानसभा में आता है। सक्ती सीट पर भी कांग्रेस का कब्जा है। नगरीय निकायों के उपचुनावों  में बिलासपुर और रायगढ़ में जीत से भाजपा में नए उत्साह का संचार देखने को मिल रहा है। उपचुनावों के नतीजे गुरुवार 12 जनवरी आए।  वैसे राज्य में हुए नगरीय निकायों और पंचायतों के  उपचुनावों  में अधिकांश सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई है,लेकिन कांग्रेस के कब्जे वाले विधानसभा क्षेत्रों  के शहरी इलाकों में भाजपा की जीत चौंकाने वाले हैं ।

बिलासपुर नगर निगम में  वार्ड 16 के उपचुनाव के लिए विधायक शैलेष पांडे,महापौर रामशरण यादव और जिला शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय पांडे लगे रहे।  चुनाव प्रचार और रणनीति के लिए कांग्रेस नेताओं ने दो अलग-अलग समितियां भी बनाई थी।  इसके बावजूद कांग्रेस की प्रत्याशी अनीता कश्यप चुनाव हार गईं।  कांग्रेस से बगावत कर शैल यादव के  निर्दलीय चुनाव लड़ने से पार्टी को झटका लग गया। भाजपा की श्रद्धा जैन इस वार्ड से विजयी रही। भाजपा ने पूर्वमंत्री अमर अग्रवाल की अगवाई में चुनाव लड़ा।

कहते हैं यह वार्ड कांग्रेस का गढ़ है , लेकिन भाजपा प्रत्याशी को सहानुभति का लाभ  मिल गया।  श्रद्धा जैन की मां निधि जैन पार्षद थीं। उनके निधन के चलते यह इस वार्ड में उपचुनाव हुआ। अमर अग्रवाल ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि वार्ड में उपचुनाव में जीत से साफ़ है कि भाजपा की स्थिति में सुधार हुई है और 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के हित में अच्छा संकेत है।

रायगढ़ के नगर निगम वार्ड 27 के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा ने शानदार जीत दर्ज की है। भाजपा प्रत्याशी सरिता राजेंद्र ठाकुर  को 865  और कांग्रेस प्रत्याशी रानी सोनी को  599 वोट मिले। 264 वोटों से जीत का अंतर बड़ा मायने रखता है।  भाजपा ने यह वार्ड कांग्रेस से छीना हैं। पहले यहाँ से कांग्रेस की पार्षद थी। रायगढ़ से प्रकाश नायक विधायक हैं। मेयर भी कांग्रेस के ही हैं।

रायगढ़ छत्तीसगढ़ का व्यवसायिक शहर है और बिजनेस कम्युनिटी के लोग ज्यादा रहते हैं। वार्ड उपचुनाव से साफ़ है कि लोग विधायक और महापौर से खुश नहीं हैं। सक्ती विधानसभा के बाराद्वार नगर पंचायत के वार्ड उपचुनाव में भी कांग्रेस की हार हो गई। सक्ती से विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत विधायक हैं। बाराद्वार नगर पंचायत में भी कांग्रेस का कब्जा है, लेकिन वार्ड सात  के उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार पंकज सांवड़िया 48 मतों से जीत गए । बाराद्वार में भी बिजनेस कम्युनिटी के लोगों की आबादी अधिक है।

पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता डॉ रमन सिंह के गृह नगर  कवर्धा  के वार्ड 19 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। राजनीतिक दृष्टि से कांग्रेस के लिए अहम है, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में कवर्धा से कांग्रेस के मोहम्मद अकबर ने प्रदेश में सर्वाधिक वोटों से जीत का रिकार्ड बनाया था। कवर्धा शहर में कुछ महीने पहले दो गुटों में उन्माद के बाद अप्रिय स्थिति पैदा हुई थी।  इससे भाजपा को लाभ की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन वार्ड उपचुनाव से लग रहा है कि कवर्धा में कांग्रेस की पकड़ बरकरार है।  बलौदाबाजार, चिरमिरी,डोंगरगढ़ और सूरजपुर के वार्ड चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई है।

पंचायत की 735 सीटों पर चुनाव हुए। पंचायत चुनाव दलीय आधार पर नहीं होते, लेकिन पंचायतों में कांग्रेस समर्थित लोगों का दबदबा होना बताया जा रहा है।  कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने अमर उजाला से चर्चा में कहा कि स्थानीय परिस्थितियों के कारण उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी नहीं जीत सके। 14  नगरीय निकायों के वार्ड चुनाव में कांग्रेस 11  जगह जीत दर्ज की है।  प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने दावा किया है कि उपचुनाव में 90 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रों में कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत हुई है और जनता ने कांग्रेस सरकार की कल्याणकारी योजनाओं पर भरोसा जताया है। परन्तु दो बड़े निगमों के वार्ड चुनाव में हार पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

बिलासपुर  और रायगढ़ में वार्ड चुनाव में जीत से भाजपा कार्यकर्ताओं ने जिस तरह जश्न मनाया, उससे लग रहा है कि उन्हें नया प्राण वायु मिल गया।  चुनावी नतीजों के बाद मतगणना स्थल के बाहर भाजपा कार्यकर्ताओं ने आतिशबाजी के साथ  ढोल -नगाड़े बजाए। कुछ भाजपा मानकर चल रहे है कि निकाय चुनाव में मिली जीत विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल है।  राज्य में 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद पांच विधानसभा उपचुनाव हारने के बाद भाजपा के लिए बड़े शहर के वार्ड  में  जीत का परचम फहराना, किसी जंग जीतने से कम नहीं है।

भाजपा राज्य में कांग्रेस के सत्तारूढ़ होने के बाद किसी निगम में अपना मेयर भी नहीं बना सकी और एक जिला पंचायत को छोड़कर सभी में कांग्रेस का कब्जा है। वार्डों के उपचुनाव से शहर सत्ता या पंचायतों पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए राह दिखाने वाला तो है ही। कांग्रेस के विधायक और मेयर वाले शहर में ही कांग्रेस की हार ज्यादा चिंतनीय और पार्टी के लिए मंथन विषय  है।

 

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