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बस्तर में BJP नेताओं की हत्या की जांच करेगी NIA!: DGP ने लिखा पत्र, कहा- इलाका सिकुड़ने से बौखलाहट में नक्सली

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छत्तीसगढ़ के बस्तर में छह दिनों में तीन भाजपा नेताओं की हत्या को लेकर अब राज्य सरकार एनआईए जांच कराना चाहती है। इसको लेकर डीजीपी अशोक जुनेजा ने एनआईए को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि नक्सलियों का इलाका लगातार सिकुड़ रहा है। केंद्रीय सुरक्षा बल और राज्य पुलिस के प्रयास से विगत वर्षों में नक्सली उन्मूलन में सफलता मिली है। इससे नक्सली बौखलाहट में जनप्रतिनिधियों, आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। कहा कि, राज्य सरकार भयमुक्त शासन व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध है। 

मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ पुलिस की तारीफ की

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सरकार भयमुक्त एवं विधिसम्मत शासन व्यवस्था प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने पुलिस के संवेदनशील रवैये के साथ नक्सलवादियों के आत्मसमर्पण के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस की तारीफ की है। उन्होंने कहा है कि विकास, विश्वास और सुरक्षा की रणनीति के कारण ही प्रदेश में नक्सली हिंसा की घटनाओं पर प्रभावी रोक लगी है। गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य में पिछले चार वर्षों में नक्सली उन्मूलन को लेकर लगातार कार्य किए जा रहे हैं। 

पिछले साल 46 नक्सली मारे गए, 555 ने किया सरेंडर

बीते वर्ष सरकार के द्वारा जनहित में किए जा रहे कार्यों से प्रभावित होकर और छत्तीसगढ़ पुलिस के संवेदनशील व्यवहार के कारण 555 नक्सलवादियों ने आत्मसमर्पण किया है जो एक बड़ी  सफलता है। इसी दौरान 46 नक्सलवादियों की पुलिस मुठभेड़ में मौत भी हुई  है। बीते चार वर्षों में नक्सल पीड़ित क्षेत्रों में 900 से अधिक परिवारों को मुकदमों से मुक्ति दिलाई जा चुकी है जो सरकार की आदिवासियों के हित में दूरदर्शी सोच और पुलिस की संवेदनशीलता से संभव हो पाया है।  

सरकार ने कहा-बस्तर को लेकर भ्रांतियां दूर कीं

बस्तर को लेकर चार वर्ष पहले तक देश में कई भ्रांतियां थीं, लेकिन सरकार ने सुरक्षा और विश्वास को लेकर कार्य किया है। इस दौरान बस्तर क्षेत्र में विकास के कार्य हुए हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बंद पड़े स्कूलों को फिर से प्रारंभ किया गया, नए अस्पताल खोले गए, ग्रामीणों के लिए पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई गयीं। प्रत्येक गांव में राशन दुकान खोले गए हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में किसानों को  वन अधिकार पट्टों का वितरण किया गया है और आदिवासियों को उनकी  जमीनें वापस कराई गई है।

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