कौन बनेगा करोड़पति ने जगाई आदिवासी बच्चों की पढ़ाई में रुचि, पुरुस्कारों से मिल रहा प्रोत्साहन
शिक्षक सुरेश मिश्रा बच्चों को कौन बनेगा विजेता खेल खिलाते हुए
– फोटो : अमर उजाला, इंदौर
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भारत में आज यदि सबसे अधिक किसी क्षेत्र में काम करने की जरूरत है तो वह है शिक्षा और स्वास्थ्य। सरकार अपने स्तर पर पूरे प्रयास कर रही है लेकिन यदि इसमें स्थानीय स्तर पर नवाचारों को शामिल कर लिया जाए तो बड़े सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है मप्र के शहडोल जिले के दूर दराज के गांव बड़ी छतबई का। बैगा आदिवासियों का यह क्षेत्र बेहद पिछड़ा हुआ है और यहां पर शिक्षा का स्तर तो बेहद कमजोर है। ऐसे में बच्चों को स्कूल तक लाना और उन्हें बेहतर शिक्षा देना अपने आप में एक चुनौती बना रहता है। यहां के शिक्षक सुरेश मिश्रा ने इन्हीं सब बातों को समझते हुए यहां के सरकारी स्कूल में कई प्रयोग किए जो आज चर्चा का विषय बनते जा रहे हैं।
केबीसी की तर्ज पर शुरू किया कौन बनेगा विजेता
सुरेश मिश्रा बताते हैं कि उन्होंने कौन बनेगा करोड़पति टीवी सीरियल की तर्ज पर यहां कौन बनेगा विजेता आयोजित करना शुरू किया। इसमें वे पहले एक सवाल देते हैं और जो छात्र सबसे पहले सही उत्तर देता है उसे हॉट सीटने पर बैठने का मौका मिलता है। सोलह सवाल पूछे जाते हैं और पांच सवाल के बाद बच्चे को एक पेन, फिर पांच के बाद एक कंपास और छह के बाद एक और उससे भी अच्छा कंपास दिया जाता है। बच्चा बीच में खेल छोड़कर भी जा सकता है और हॉट लाइन का उपयोग करके दोस्तों से एक सवाल का उत्तर भी पूछ सकता है। जो सोलह प्रश्न पूछे गए उनके लिए भी एक सप्ताह पहले तीस सवाल दिए गए थे। उन तीस को याद करना था और उन्हीं में से यह सोलह पूछे जाने थे। सुरेश मिश्रा कहते हैं खेल, जीत और पुरुस्कार का उत्साह अलग ही होता है। बच्चे सारे सवाल याद करके आते हैं। यही एक शिक्षक की सफलता है।
सोशल मीडिया पर सराहे जाते हैं इस स्कूल के प्रयोग
यह स्कूल बहुत दूर दराज में और ग्रामीण क्षेत्र में होने के बावजूद सुरेश मिश्रा और उनके साथी शिक्षक यहां पर नए नए प्रयोग करते रहते हैं। बच्चों को गिफ्ट देना, उनकी पसंद का खाना खिलाना आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि पढ़ाई में उनकी रुचि बनी रहे। उनके यह प्रयोग सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियां बटोरते हैं।