![सेकंड हैंड गाड़ियों की खरीद-बिक्री होगी आसान: नहीं लगाने होंगे RTO के चक्कर, 100 रुपये देने होंगे अतिरिक्त सेकंड हैंड गाड़ियों की खरीद-बिक्री होगी आसान: नहीं लगाने होंगे RTO के चक्कर, 100 रुपये देने होंगे अतिरिक्त](https://i0.wp.com/staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/02/14/750x506/chhattisgarh-news_1676366548.jpeg?fit=%2C&ssl=1)
![सेकंड हैंड गाड़ियों की खरीद-बिक्री होगी आसान: नहीं लगाने होंगे RTO के चक्कर, 100 रुपये देने होंगे अतिरिक्त रायपुर आरटीओ कार्यालय।](https://i0.wp.com/staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/02/14/750x506/chhattisgarh-news_1676366548.jpeg?resize=414%2C233&ssl=1)
रायपुर आरटीओ कार्यालय।
– फोटो : संवाद
विस्तार
छत्तीसगढ़ में अब सेकंड हैंड गाड़ियों की खरीद-बिक्री आसान होगी। इसके लिए अब लोगों को आरटीओ दफ्तर के चक्कर नही लगाने होंगे। इसके लिए परिवहन विभाग मंगलवार से ही से आधार ऑथेंटिकेशन नाम से नई प्रक्रिया शुरू कर रहा है। इसके तहत गाड़ी को खरीद-बिक्री करने वाले अपने नजदीकी परिवहन सुविधा केंद्र जाएंगे और आसानी से नाम ट्रांसफर करा सकेंगे। इसके लिए सिर्फ 100 रुपये ही अतिरिक्त देने होगे। खास बात यह है कि नाम ट्रांसफर के खेल में दलालों की सक्रियता कम हो जाएगी।
प्रदेश में हर साल दो लाख से ज्यादा बिकती हैं पुरानी गाड़ियां
परिवहन आयुक्त दीपांशु काबरा ने बताया कि विभाग की ओर से आधार ऑथेंटिकेशन नामक नई व्यवस्था शुरू कर रहे हैं। इसके शुरू होने से सेकंड हैंड गाड़ी की खरीदी-बिक्री करने वालों को अब घर के पास सुविधा दी जाएगी। आरटीओ के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में हर साल दो लाख से ज्यादा सेकंड हैंड गाड़ियां खरीदी और बेची जाती हैं। इन गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन, सर्टिफिकेट ट्रांसफर करना होता है। यह काम बेहद पेचीदा होता है। जानकारी के अभाव में ज्यादातर लोग दलालों के चक्कर में फंसते हैं।
ओनरशिप ट्रांसफर हुए बिना गाड़ी के मालिक नहीं
जब तक गाड़ी की ओनरशिप वाहन क्रेता अपने नाम ट्रांसफर नहीं करते, तब तक विधिक रूप से उस गाड़ी के मालिक नहीं कहे जाते हैं। इसी तरह यदि आपने गाड़ी बेची है और यदि उस गाड़ी से एक्सीडेंट या कोई अपराध घटित होता है तो आरसी बुक में दर्ज व्यक्ति के नाम से कार्यवाही होती है। यदि आप पुरानी कार या बाइक खरीद या बेच रहे हैं, तो उसके लिए रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर करना जरूरी होता है। अभी तक इसके लिए ऑनलाइन फॉर्म भरना होता है। विक्रेता और क्रेता दोनों को ही आरटीओ ऑफिस जाना होता है।