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गरियाबंद में धान, गोबर, बांस की राखी: पैरी बंधन के तहत समूह की दीदियां बना रहीं आकर्षक राखियां, कलेक्टर और CEO ने किया स्टॉल का अवलोकन

गिरीश जगत, गरियाबंद। जिला प्रशासन गरियाबंद की विशेष पहल से पैरी बंधन के तहत व राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत जिले की महिला समूहों द्वारा धान, गोबर, मोती, बीज, बांस एवं रत्नजड़ित कलात्मक राखियों का निर्माण किया जा रहा है। कलेक्टर आकाश छिकारा के मार्गदर्शन में जिले के सभी विकासखण्डों में बड़े एवं बच्चों की कलात्मक पैरी राखियां का विविध कलाकृतियों के माध्यम से बड़े स्तर पर राखी का निर्माण किया जा रहा है।

महिला समूहों द्वारा निर्मित राखियों के बिक्री के लिए संयुक्त जिला कार्यालय परिसर में भी स्टॉल लगाया गया है। स्टॉल के माध्यम से कलेक्ट्रेट कार्यालय आने वाले लोग आसानी से राखियों की खरीदी कर रहे हैं। इसी कड़ी में आज कलेक्टर आकाश छिकारा और जिला पंचायत सीईओ रीता यादव ने राखियों के स्टॉल का अवलोकन किया।

उन्होंने महिला समूहों द्वारा बनाई जा रही देशी राखियों की प्रशंसा करते हुए लोगों से राखी खरीदने की अपील की। इस दौरान जिला पंचायत सीईओ यादव ने धान और गोबर से निर्मित देशी राखियों की खरीदी भी की।

उल्लेखनीय है कि महिला स्व-सहायाता समूह की दीदियां द्वारा राखी तैयार करने में अनाज, धान, चावल, दालों के अलावा कुमकुम, मौली धागा का उपयोग किया जा रहा है। समूह की दीदियों द्वारा बड़े पैमाने पर रत्नजड़ित, मोती, गोबर, बांस से भी राखी बनाई जा रही है। इन राखियों की जिला कार्यालय गरियाबंद एवं राजधानी रायपुर तक काफी मांग है।

दीदियों ने इस साल लगभग 40 हजार राखियां तैयार करने का लक्ष्य रखा है। रक्षाबंधन के बाद भाई चाहें तो बीजों से बनी राखियों को गमले में लगा सकते है। इन बीजों से निकलने वाले पौधे लंबे समय तक भाई बहन के स्नेह के प्रतीक के रूप में दिखते रहेंगे। महिला स्व-सहायता समूहों को राखी तैयार करने से लेकर बाजार उपलब्ध कराने तक में जिला प्रशासन मदद कर रहा है। इन इको फ्रेंडली राखियों की कीमत 30 रूपये से लेकर 250 रूपये तक है।

जिला प्रशासन गरियाबंद की विशेष पहल पैरी बंधन

पैरी बंधन के नाम से हजारों की संख्या में राखियां बना रही समूह की दीदियों को जिला प्रशासन द्वारा स्वावलंबी बनाने की दिशा में सशक्त प्रयास किया जा रहा है। बंधन नेह का, बहनों के स्नेह का, पुनीत बंधन, बढ़ेगा गौधन, आओ बच्चों बांधे, पैरी का पवित्र रक्षा सूत्र, बच्चों का हाथ, पैरी बन्धन के साथ, मोतियों से बंधा, पैरी का अटूट बंधन, रत्नों से जड़ा, पैरी का अटूट बंधन जैसे स्लोगन के साथ इस पैरी बंधन अभियान को आगे बढ़ाया जा रहा है। इन समस्त राखियों को बिक्री के लिए गरियाबंद के सी-मार्ट में भी उपलब्ध कराया गया है। समूह द्वारा निर्मित राखियों के विक्रय हेतु अन्य जगहों पर भी स्टॉल लगाया जा रहा है।

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