पुष्पराजगढ़ में फुंदेलाल की मुश्किलें बढ़ाएंगे नर्मदा ? कांग्रेस में दो फाड़ की नौबत, टिकट के इंतजार में पथरा गईं आंखें, निर्दलीय लड़ने के मूड में दलबीर सिंह के भतीजे !
Pushprajgarh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची आते ही बगावत के सुर तेज हो गए हैं। इस्तीफों का दौर जारी है। कहीं विरोध हो रहा है, तो कहीं नेता पार्टी छोड़ दूसरी पार्टी का दामन थाम रहे हैं, तो कहीं बगावती तेवर में इस्तीफा दे रहे हैं। ऐसा ही हाल पुष्पराजगढ़ में नजर आने के आसार हैं। कांग्रेस के एक सीनियर और कद्दावर नेता जल्द पार्टी से बगावत कर निर्दलीय सियासी मैदान में कूद सकते हैं। मौजूदा विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को की टेंशन हाई हो सकती है। कांग्रेस में फैली असंतोष की आग अब ज्वाला बनने के मूड में है।
फुंदेलाल के रास्ते पर नर्मदा बनेंगे रोड़ा !
पुष्पराजगढ़ में कयास लगाए जा रहे थे कि फुंदेलाल सिंह मार्को का टिकट कट सकता है, लेकिन पार्टी ने फुंदेलाल पर तीसरी मर्तबा भरोसा जताया है। फुंदेलाल सिंह तीसरी बार विधानसभा चुनाव लडेंगे। कहा जा रहा है कि अगर पार्टी में बगावत होती है तो हैट्रिक पर ब्रेक लगने के चांसेज ज्यादा हैं। नर्मदा सिंह इनके रास्ते पर रोड़ा बन जाएंगे।
टिकट के इंतजार में पथरा गईं आंखें !
नर्मदा सिंह पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. दलबीर सिंह के भतीजे हैं। ये लंबे समय से पार्टी में एक्टिव हैं। कई पदों पर जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। वर्तमान में अनूपपुर जिला पंचायत सभापति हैं। इसके पहले अमरकंटक नगर पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं। कांग्रेस से टिकट को लेकर लंबे समय से जद्दोजहद कर रहे हैं, इस बार इनको टिकट की उम्मीद थी, लेकिन पार्टी से टिकट नहीं मिला। यूं कहें की टिकट के इंतजार में आंखें पथरा गईं।
व्हाट्सएप में बने चर्चा का विषय
पुष्पराजगढ़ में जब से टिकट की घोषणा हुई है। व्हाट्सएप ग्रुपों में दबे जुबान से खिलाफत की बू आने लगी है। उनके समर्थक निर्दलीय चुनाव लड़ने की लगातार संकेत दे रहे हैं। व्हाट्सएप ग्रुपों में तरह तरह की पोस्ट डाल रहे हैं, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि नाराजगी की आग कभी भी ज्वालामुखी बनकर फूट सकती है।
निर्दलीय लड़ने से फुंदेलाल को नुकसान !
कहा जा रहा है कि अगर नर्मदा सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं तो फुंदेलाल की मुश्किलें बढ़ जाएगी। उनको सीट जीतने में भारी मशक्कत करनी पड़ सकती है। अमरकंटक क्षेत्र और दमेहड़ी नर्मदा सिंह का गढ़ माना जाता है, यहां से कांग्रेस के अच्छे खासे वोट शेयर कम हो सकते हैं। इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में कांग्रेस के वोट बंट जाएंगे, जिससे बीजेपी को अच्छा खासा फायदा हो सकता है।
क्या है पुष्पराजगढ़ का इतिहास ?
पुष्पराजगढ़ में चुनावी इतिहास की बात करें तो यहां की जनता किसी भी विधायक को दो बार से ज्यादा मौका नहीं देती। इसका ताजा उदाहरण सुदामा सिंह है, जिसको जनता जिस तेजी से कुर्सी पर बैठाई उससे कहीं ज्यादा तेजी से उठाकर फेंक भी दी। अब आने वाला वक्त बताएगा की इस सीट से क्या क्या नया दिखने वाला है ?
कब क्या होगा यहां पढ़िए ?
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