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Chhattisgarh: सांप्रदायिकता फैलाने वालों पर लगेगा रासुका, इन 31 जिलों से सरकार को मिले साजिश के इनपुट

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छत्तीसगढ़ में सांप्रदायिका फैलाने वालों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार की ओर से जिलों के कलेक्टर को आदेश जारी कर दिया गया है। इसमें पुलिस को कभी भी गिरफ्तारी का अधिकार होगा। पकड़े गए आरोपी को एक साल तक हिरासत में रखा जा सकेगा और जमानत भी मुश्किल होगी। गृह विभाग को नारायणपुर हिंसा के बाद प्रदेश के 31 जिलों से साजिश के इनपुट मिले हैं। 

गृह विभाग की राजपत्र में 3 जनवरी को अधिसूचना जारी की गई है। इसमें बताया गया है कि राज्य सरकार के पास ऐसी रिपोर्ट है कि कतिपय तत्व सांप्रदायिक मेल-मिलाप को संकट में डालने के लिए, लोक व्यवस्था और राज्य की सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला कोई कार्य करने के लिए सक्रिय हैं, अथवा उनके सक्रिय होने की संभावना है। सरकार को इसका समाधान भी हो गया है। ऐसे में सरकार रासुका लगा रही है। 

इन जिलों के कलेक्टर को जारी हुआ आदेश
जिन जिलों के कलेक्टर को आदेश जारी किया गया है उनमें, रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, दुर्ग, रायगढ़, सरगुजा, जशपुर, कोरिया, जांजगीर-चांपा, कोरबा, कबीरधाम, महासमुंद, धमतरी, जगदलपुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा, कोंडागांव, बलौदाबाजार, गरियाबंद, बेमेतरा, बालोद, मुंगेली, सूरजपुर, बलरामपुर, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई, सारंगढ़-बिलाईगढ़, मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर शामिल है। 

किसी भी नागरिक को गिरफ्तारी का अधिकार
सरकार को ये लगे कि कोई व्यक्ति कानून-व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में बाधा खड़ा कर रहा है तो वह उसे गिरफ्तार करने का आदेश दे सकती है। साथ ही, अगर उसे लगे कि वह व्यक्ति आवश्यक सेवा की आपूर्ति में बाधा बन रहा है तो वह उसे गिरफ्तार करवा सकती है। जमाखोरों की भी गिरफ्तारी की जा सकती है। कानून का उपयोग जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है।

कानून में प्रावधान और सजा

  • इस कानून के तहत किसी व्यक्ति को तीन माह तक हिरासत में रखा जा सकता है। इस अवधि को तीन-तीन माह कर 12 माह तक बढ़ाया जा सकता है। 
  • संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में रखने के लिए आरोप तय करने की जरूरत नहीं होती है। 
  • गिरफ्तारी के बाद सरकार को बताना पड़ेगा कि किस आरोप में किया गया और जेल में रखने की भी जानकारी देनी होगी। 
  • हिरासत में लिया गया व्यक्ति सिर्फ हाईकोर्ट की एडवाइजरी बार्ड के सामने अपील कर सकता है। इसके लिए उसे वकील भी नहीं मिलता है। जब अपील  स्वीकार हो जाती है तो सरकारी वकील कोर्ट को जानकारी देते हैं। 

विस्तार

छत्तीसगढ़ में सांप्रदायिका फैलाने वालों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार की ओर से जिलों के कलेक्टर को आदेश जारी कर दिया गया है। इसमें पुलिस को कभी भी गिरफ्तारी का अधिकार होगा। पकड़े गए आरोपी को एक साल तक हिरासत में रखा जा सकेगा और जमानत भी मुश्किल होगी। गृह विभाग को नारायणपुर हिंसा के बाद प्रदेश के 31 जिलों से साजिश के इनपुट मिले हैं। 

गृह विभाग की राजपत्र में 3 जनवरी को अधिसूचना जारी की गई है। इसमें बताया गया है कि राज्य सरकार के पास ऐसी रिपोर्ट है कि कतिपय तत्व सांप्रदायिक मेल-मिलाप को संकट में डालने के लिए, लोक व्यवस्था और राज्य की सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला कोई कार्य करने के लिए सक्रिय हैं, अथवा उनके सक्रिय होने की संभावना है। सरकार को इसका समाधान भी हो गया है। ऐसे में सरकार रासुका लगा रही है। 

इन जिलों के कलेक्टर को जारी हुआ आदेश

जिन जिलों के कलेक्टर को आदेश जारी किया गया है उनमें, रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, दुर्ग, रायगढ़, सरगुजा, जशपुर, कोरिया, जांजगीर-चांपा, कोरबा, कबीरधाम, महासमुंद, धमतरी, जगदलपुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा, कोंडागांव, बलौदाबाजार, गरियाबंद, बेमेतरा, बालोद, मुंगेली, सूरजपुर, बलरामपुर, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई, सारंगढ़-बिलाईगढ़, मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर शामिल है। 

किसी भी नागरिक को गिरफ्तारी का अधिकार

सरकार को ये लगे कि कोई व्यक्ति कानून-व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में बाधा खड़ा कर रहा है तो वह उसे गिरफ्तार करने का आदेश दे सकती है। साथ ही, अगर उसे लगे कि वह व्यक्ति आवश्यक सेवा की आपूर्ति में बाधा बन रहा है तो वह उसे गिरफ्तार करवा सकती है। जमाखोरों की भी गिरफ्तारी की जा सकती है। कानून का उपयोग जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है।

कानून में प्रावधान और सजा

  • इस कानून के तहत किसी व्यक्ति को तीन माह तक हिरासत में रखा जा सकता है। इस अवधि को तीन-तीन माह कर 12 माह तक बढ़ाया जा सकता है। 
  • संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में रखने के लिए आरोप तय करने की जरूरत नहीं होती है। 
  • गिरफ्तारी के बाद सरकार को बताना पड़ेगा कि किस आरोप में किया गया और जेल में रखने की भी जानकारी देनी होगी। 
  • हिरासत में लिया गया व्यक्ति सिर्फ हाईकोर्ट की एडवाइजरी बार्ड के सामने अपील कर सकता है। इसके लिए उसे वकील भी नहीं मिलता है। जब अपील  स्वीकार हो जाती है तो सरकारी वकील कोर्ट को जानकारी देते हैं। 

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