मध्यप्रदेश

डिंडोरी में विकास के नाम पर नेताओं ने थमाया झुनझुना: कांग्रेस के 2 MLA, फिर भी जनता को नहीं दे सके अच्छी स्वास्थ्य-शिक्षा, बिजली-पानी और सड़क, अब किस मुंह से मांगेंगे वोट, पढ़िए पूरी रिपोर्ट ?

गणेश मरावी,डिंडोरी। मध्यप्रदेश में कुछ महीने में विधानसभा चुनाव होने है. बीते दिनों भाजपा ने 39 सीटों के उम्मीदवारों के नाम घोषित कर राजनीति में हलचल तेज कर दी है. कई दिग्गज नेता अपनी राजनीति समीकरण बैठाने में एड़ी चोटी एक कर रहे हैं. फिलहाल अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए मतदाताओं को मीठे-मीठे बातों पर आकर्षित करने, समस्याओं का निराकरण करने समेत अन्य मांगों को तत्काल निराकरण करने जैसे आश्वासनों की झड़ी लगा रहे है, लेकिन इनके विधानसभा क्षेत्र में समस्याओं का अंबार और भ्रष्टाचार चरम पर रहता है. वहीं विपक्षी पार्टी के जनप्रतिनिधि सरकार नहीं रहने का रोना रोते है. यही कारण है कि आज भी लोगों को मूलभूत सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. विकास के नाम पर नेताजी झुनझुना थमा रहे हैं.

यही हाल डिंडोरी जिले का

डिंडोरी जिले में दो विधानसभा है, जिसमें से डिंडौरी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम 2008 से अभी तक विधायक है. इनका कहना है कि हमारी सरकार ही नहीं है. अपने आप को हमेशा सरकार न रहने का कोसते रहे है. उन्होंने कई बार कहा कि केंद्र व राज्य में भाजपा की सरकार है और भाजपा सरकार हमारी बातों को नहीं सुनते है. अब ऐसे स्थिति में भला डिंडोरी जिलो का विकास कैसे होगा ? जब जनप्रतिनिधि ही विकास की बात पर सरकार न रहने की बात कर रहे हैं. जबकि लगातार 15 सालों के कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम के विधानसभा क्षेत्र में लोंगो को शुद्ध पेयजल, पक्की सड़क, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो जाना चाहिए। लेकिन अभी तक कई ग्रामों में ग्रामीणों को अपने घरों तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं है. कीचड़ भरे रास्ता से होकर जाना पड़ता है.

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इसी तरह पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं है. कई ग्रामों में नदी नालों के पानी पीने को मजबूर है. विद्यालयों के छत जर्जर हो चुके हैं. विद्यार्थियों के लिए बैठने की व्यवस्था नहीं है. यही हाल शहपुरा विधानसभा क्षेत्र का है, जहां पर हर पांच सालों में कांग्रेस और भाजपा की विधायक बदल रहे हैं, लेकिन लोगों की समस्या जस की तस बनी हुई है. यहां पर भी वर्तमान में कांग्रेस के विधायक भूपेंद्र मरावी है, लेकिन इनके कार्यकाल में कोई खास विकास दिखाई नहीं दिया है. वहीं चर्चा है कि चुनाव जीतने के बाद विधायक कई गाॅवों में मुड़ के भी नहीं देखे हैं. ऐसे में जनताओं में नाराजगी देखने को मिल रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के दौरान उम्मीदवारों को हमारी याद आती है. चुनाव जीतने के बाद गायब हो जाते है. दोबारा गांव में पैर नहीं रखते है.

जिले भर में भ्रष्टाचार हावी

डिंडोरी आदिवासी बाहुल्य जिला है. यहां पर जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्ता युक्त निर्माण कार्य समेत अन्य विकास कार्य के लिए सरकार के द्वारा लाखों – करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन जिले के अधिकारी कर्मचारी ही सरकार के महात्वाकांक्षी योजनाओं को पलीता लगाते नजर आ रहे हैं. जिला समेत ब्लाॅक मुख्यालय के अंतर्गत कराए जा रहे निर्माण कार्यों में भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है. जिम्मेदारों के द्वारा कराए गए निर्माण कार्य चंद महीनों में ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहे है और जनप्रतिनिधियों द्वारा भी आवाज नहीं उठाई जाती। इसके साथ ही कई निर्माण कार्यों में निर्माण ऐजेंसी के द्वारा बोल्डर और डस्ट से गुणवत्ताविहीन निर्माण कर पूर्ण कर सप्लायरों को भुगतान किया जा रहा है. इस प्रकार के मामलों में उच्चाधिकारियों के द्वारा भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है. जिसके चलते निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार करने वालों की हौसले बुलंद हो रहे है.

बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या, पलायन करने पर मजबूर

डिंडोरी आदिवासी बाहुल्य जिला है, यहां पर दोनों विधानसभा में लगभग 7 लाख के आस-पास की आबादी है. यहां की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है. डिंडोरी जिला बने 25 वर्ष हो गए, लेकिन अभी तक सरकार व जनप्रतिनिधियों के द्वारा बेराजगारी से निजात दिलाने किसी प्रकार की कार्ययोजना नहीं बनाई गई है. जबकि सरकार के द्वारा 7 लाख की आबादी वाली जिला में उद्योग स्थापित कर रोजगार का साधन बनाया जाना चाहिये। डिंडोरी जिला में दो विधानसभा है और दोनों विधानसभा में वर्तमान में कांग्रेस की विधायक है. डिंडोरी विधानसभा में 2008 से अभी तक कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम है. वहीं शहपुरा विधानसभा क्षेत्र में विधायक बदलते रहें है. उसके बाद भी इन विधायकों के द्वारा उद्योग स्थापित एवं पलायन रोकने की व्यवस्था नहीं किया गया है. जिले में कोई बड़े उद्योग नहीं रहने के कारण जिले के बेरोजगार युवा, महिला और पुरुष रोजगार की तलाश में बड़े – बड़े शहरों और अन्य राज्यों के लिए पलायन करने को मजबूर रहते है.

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100 दिवस की मनरेगा के भरोसे ग्रामीण

बेरोजगारों को रोजगार देने के उद्देश्य से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना प्रारंभ की गई है, लेकिन मनरेगा योजना के तहत जारी जाॅब कार्ड में सिर्फ 100 दिवस ही कार्य करने की नियम है. एक साल में 365 दिन होते है और जाॅब कार्ड में 100 दिवस का ही रोजगार मिलता है. ऐसे में ग्रामीण बाकी समय में खाली बैठे रहते है. ऐसे स्थिति में ग्रामीण पलायन करने को मजबूर रहते है.

योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ

जनसेवा शिविर, विकास यात्रा, विकास पर्व के माध्यम से लोगों की समस्याओं का निराकरण कराने का प्रयास सरकार ने किया, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है. अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में पक्की सड़क नहीं है. मरीजों के घरों तक एंबुलेंस वाहन नहीं पहुंच पा रहा है. पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं है. स्कूलों की छतों की प्लास्टर गिर रहा है. छतों से पानी टपकता है. विद्यार्थियों को अध्ययन करने के लिए बैठने की व्यवस्था नहीं है. स्कूलों में निर्माण कराए गए हैंडवास भी जर्जर हो गए. किसानों को खेतों में सिचाईं के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है. जल संसाधन विभाग के द्वारा कराए गए बांधों से किसानों को लाभ नहीं मिल रहा है. बांध के सिंचित क्षेत्रों तक पानी सप्लाई नहीं हो रही है. जगह जगह नहर क्षतिग्रस्त है. पात्र हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. अस्पतालों में बेहतर उपचार नहीं मिल रहा है.

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पक्की सड़क न होने से बारिश के दिनों हो रही परेशानी

जिले के पंचायतों और कई पोषक ग्रामों में अभी भी पक्की सड़क नहीं है. ग्रामीणों ने पक्की सड़क स्वीकृत कर निर्माण कराने की मांग को लेकर जनसुनवाई में आए दिए आवेदन प्रस्तुत कर रहे है. जनसुनवाई के अलावा स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी पक्की सड़क निर्माण कराने की गुहार लगाते है, पर न ही सड़क स्वीकृत होती है और न ही पक्की सड़क निर्माण कराया जाता है. बजाग विकासखंड के अंतिम छोर में बसे ग्राम पंचायत चाड़ा में कच्ची सड़क है, जहां पर बारिश के दिनों में अधिक कीचड़ होने से आवागमन में काफी परेशानी होती है. प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम चाड़ा के सिलपिडी में किराना दकान से लालघाटी, बिही दादर से तांतर सरपंच के घर तक कच्ची सड़क है. इसी तरह समनापुर जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत केवलारी के पोषक ग्राम मुगदरा में नान सिंह के घर से दषरथ के घर तक कच्ची सड़क है.

बताया गया कि उक्त स्थान में सीसी सड़क स्वीकृत किया गया था, लेकिन जिम्मेदारों के द्वारा अधूरा सड़क निर्माण करा पूरी राशि आहरण गबन कर लिया गया है. जिसके चलते आज भी सड़क अधूरा है. ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के दिनों में उक्त सड़क से राहगीरों समेत मवेशियों को आने जाने में बहुत दिक्कत होती है. इसके अलावा ग्राम पंचायत करेगांव, ग्राम झांखी समेत कई ऐसे ग्राम है, जहां के कई मोहल्लों में पक्की सड़क नहीं है. अमरपुर जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत सांभर में मुख्य मार्ग से बैगानटोला तक एवं पिपरिया से बैगानटोला तक कच्ची सड़क है. ग्राम पंचायत खजरी के पोषक ग्राम चंद्रागढ़ समेत अन्य ग्रामों में आज भी पक्की सड़क नहीं है. जिससे स्थानीय लोंगो को आने जाने में दिक्कतों को सामना करना पड़ता है. डिंडोरी जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्राम मुढ़ियाकला में चैराहा से पीपरटोला के तरफ जा रही कच्ची सड़क है. ग्राम पंचायत रयपुरा में मुख्यमार्ग से नर्मदा की ओर जाने वाली सड़क में कीचड़ हो रही है. मेहंदवानी जनपद पंचायत के केवलारदादर में राई टोला, ददराटोला, बंधानटोला में पक्की सड़क है. ग्राम केवलारदादर से गुंझयारी तक एवं खरगवारा से भोंड़ासाज नेटीटोला की तरफ पक्की सड़क नहीं है. मेहंदवानी जनपद पंचायत में ऐसे कई ग्राम है जहां पर पक्की मोहल्लों तक पक्की सड़क नहीं है.

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जिले के अंतिम छोर में बसे पंडरीपानी के वाशिंदे मूलभूत सुविधाओं से वंचित

डिंडोरी जिले के करंजिया विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत पंडरीपानी में आजादी के बाद भी पेयजल, सड़क, स्वास्थ्य सुविधाएं समेत अन्य योजनाओं का लाभ से वंचित है. डिंडोरी जिले से सटे छत्तीसगढ़ की सीमा और घने जंगलों के बीच बसे ग्राम पंचायत पंडरीपानी में आज भी ग्रामीण मुलभूत सुविधाओं से वंचित है. बताया गया कि ग्राम पंचायत पंडरीपानी के पोषक ग्राम कांदाटोला में पंचायत से गांव तक जाने के लिए कच्ची सड़क से होकर जाना पड़ता है. ग्रामीणों ने बताया कि उक्त सड़क में बारिश के दिनों में ज्यादातर समस्याओं को सामना करना पड़ता है, इसके साथ ही पेयजल और स्वास्थ्य सुविधाओं का भी व्यवस्था नहीं है.

मांगों को लेकर चकाजाम कर रहे ग्रामीणों पर मामला दर्ज

ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं को मोहताज है. ब्लाॅक स्तर से लेकर जिला स्तर तक के सरकारी कार्यालयों में मांगों को लेकर आवेदन प्रस्तुत कर निराकरण कराने की मांग की जा रही है, लेकिन सरकारी कार्यालयों के कई दफा चक्कर लगाने के बाद भी निराकरण नहीं किया जाता है. वहीं कार्य के बदले कई कर्मचारियों पर पैसे मांगने के आरोप भी लगे है. ग्रामीणों की मांग पूरी नहीं होने पर विरोध प्रदर्शन, हड़ताल कर मागों पर चक्का जाम किया जाता है. चक्का जाम करने पर ग्रामीणों के खिलाफ मामला दर्ज किया जा रहा है. इन दिनों जिले में मध्यम सिंचाई परियोजना के तहत तीन प्रस्तावित बांध का जमकर विरोध हो रहा है. करंजिया विकासखंड के बिठठलदेह बांध, समनापुर विकासखंड के अंडई बांध एवं डिंडौरी- मेहंदवानी विकासखंड से राघोपुर – मरवारी बांध को निरस्त करने की मांग तेज हो गई है.

जानकारी के अनुसार विस्थापित लोग निरस्त कराने की मांग को लेकर कई बार कलेक्टर, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, प्रधानमंत्री समेत राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा चुके है. लेकिन कोई नहीं सुन रहे हैं. ऐसे स्थिति में लोग निरस्त कराने की मांग को लेकर सड़क पर उतर रहे है. ग्रामीणों द्वारा विरोध करने का परिणाम यह मिल रहा है कि उन पर मामला दर्ज कराया जा रहा है. चर्चा है कि एक तरफ सरकार लोगों की समस्याओं का तत्काल निराकरण करने की बात कहती है, लेकिन मांग करने पर कोई निराकरण नहीं हो रहा है. वहीं मांग को लेकर जब सड़क पर उतर जाते हैं, तब अधिकारियों के द्वारा मामला दर्ज कराकर डराने का प्रयास किया जा रहा है.

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