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महासमुंद सीट पर पक रही अंतरकलह की खिचड़ी: कांग्रेस में खुलेआम विरोध, BJP में अंदरखाने में उबल रही सियासत, किसे झटका देगी जनता ?

गिरीश जगत, गरियाबंद। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मोदी गारंटी पर ओबीसी चेहरे को उतारा तो कांग्रेस ने साहू बाहुल्य लोकसभा सीट पर साहू प्रत्याशी पर दांव खेला है। भाजपा के साहू प्रत्याशी ही कांग्रेस को मात दे रहे थे, तो क्या इस बार महिला वंदन की बात होगी। प्रत्याशी ऐलान के बाद दोनों पार्टी अंतरकलह से जूझ रही हैं। कांग्रेस में खुल कर विरोध हो रहा है, तो वहीं भाजपा में अंदरखाने में सियासी खिचड़ी पक रही।

साहू समाज पर खेला कांग्रेस ने दांव

Mahasamund Lok Sabha seat Tamradhwaj Sahu and Roopkumari Chaudhary: लोकसभा महासमुंद क्षेत्र के लिए प्रत्याशी का ऐलान होते ही मुकाबला दिलचस्प होने की चर्चा है। भाजपा इस बार ओबीसी वर्ग के महिला बसना क्षेत्र के रूप कुमारी चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस भाजपा की राह पर रोड़ा डालने ओबीसी वर्ग से ही है, लेकिन सबसे बाहुल्य वोटर माने जाने वाले साहू समाज से ताम्रध्वज साहू को अपना प्रत्याशी बना कर भाजपा के खेल बिगाड़ने की कोशिश की है। प्रत्याशी तय होते ही दोनों पार्टी में नाराजगी भी खुल कर सामने आई है।

बीजेपी में अनदेखी की आग सुलग रही

Mahasamund Lok Sabha seat Tamradhwaj Sahu and Roopkumari Chaudhary: कांग्रेस से दावेदारी कर पीसीसी के प्रदेश महामंत्री रहे किसान नेता चंद्रशेखर शुक्ला ने कांग्रेस छोड़ पार्टी को झटका दे दिया। कांग्रेस में साहू समाज से स्थानीय दावेदार माने जा रहे धनेंद्र साहू को टिकट नहीं दिया गया तो उनके समर्थन खुल के ताम्रध्वज को पैराशूट लैंडिंग बोल कर विरोध करना शुरू कर दिए हैं। इधर साहू समाज से भाजपा के 4 बड़े चेहरे की अनदेखी की आग भी भीतर से सुलग रही है। हालाकि भाजपा सत्ता में होने के साथ ही अनुशासन में सख्त है,इस लिहाज से नाराजगी खुल कर सामने नही आ रही है।

विधानसभा चुनाव में भाजपा से ज्यादा वोट कांग्रेस के पास

Mahasamund Lok Sabha seat Tamradhwaj Sahu and Roopkumari Chaudhary: इस लोकसभा सीट पर 8 विधानसभा क्षेत्र है। दोनों दल से 4-4 विधायक हैं, लेकिन वोट के लिहाज से कांग्रेस आगे है। कांग्रेस से खललारी विधायक द्वारिकाधीश, धमतरी के ओंकार साहू, बिंद्रांवागढ के जनक ध्रुव, सरायपाली से विधायक बने चतुरीबंद मिलकर कुल 6 लाख 97187 वोट हासिल किए तो वहीं भाजपा से कुरूद विधायक अजय चंद्राकर, बसना के संपत अग्रवाल, राजिम के रोहित साहु,महासमुंद के योगेश्वर ने मिलकर 6 लाख 87909 मत हासिल कर सके। कांग्रेस, भाजपा की तुलना में 9278 मत ज्यादा हासिल किया है।

कांग्रेस पर ब्रेक लगाने भाजपा ने साहू प्रत्याशी का सफल प्रयोग किया

1957 से इस सीट पर 18 सांसद बने जिसमें सबसे ज्यादा 7 बार सांसद बनने का रिकार्ड कद्दावर नेता विद्याचरण शुक्ल के नाम दर्ज है। लोकप्रियता ऐसी थी की 1989 का चुनाव वे जनता दल के बैनर से बन भाजपा व कांग्रेस दोनों को अपना लोहा मनवाया था। भाजपा ने कांग्रेस पर ब्रेक लगाने 1991 में चंद्रशेखर साहू को अपना प्रत्याशी बनाया लेकिन संत पवन दीवान की लोकप्रियता को कांग्रेस ने भुना लिया।

1996 में भी दोनो का आमना सामना हुआ इस बार भी फायदा कांग्रेस को हुआ।लेकिन तीसरी बार 1998 के चुनाव में पवन दीवान को मात देने में चंद्र शेखर साहू सफल रहे।कांग्रेस ने 1999 में श्यामाचरण शुक्ल का तो2004 में अजीत जोगी जैसे पूर्व मुख्यमंत्री को उतार सिट को बचाती रही।लेकिन 2009 के बाद लगातार साहू प्रत्याशी महासमुंद सीट पर भाजपा का परचम लहराते रहे।

2009 व 2014 में लगातार चंदू लाल साहू तो 2019 में चुन्नीलाल साहू सर्वाधिक 50.42 प्रतिशत मत लेकर सांसद बने,यह दौर मोदी लहर का दौर माना जा चुका था,लिहाजा कांग्रेस से प्रत्याशी बने धनेंद्र साहू को 43.02 प्रतिशत मत लेकर संतोष होना पड़ा था।

अंतर्कलह का फायदा उठा सकती है कांग्रेस

दुर्ग के बाद सबसे बड़े साहू समाज का वोट बैंक महासमुंद लोकसभा में है , राजिम, धमतरी, महासमुंद , खल्लारी व कुरूद इन 5 विधान सभा सीटों पर साहू समाज का ज्यादा प्रभाव है।इस बार सांसद चुन्नीलाल साहु,दो बार के सांसद चंदूलाल साहू ,पूर्व मंत्री चंद्र्सेखर साहू के अलावा संघ की ओर से सिरकट्टी आश्रम के पीठाधीश्वर गोवर्धन शरण ब्यास जो साहू समाज से आते है इनकी दावेदारी थी।

समाज के 4 बड़े चेहरे को दरकिनार कर पार्टी ने इस बार महिला वंदन का कार्ड खेल दिया। इससे समाज में नाराजगी भी है।कांग्रेस द्वारा बनाई गई आंतरिक रिपोर्ट में इसका जिक्र भी है। लिहाजा सुलगे इस आग को हवा देकर कांग्रेस अपनी रोटी सेंकने में कामयाब होती है या फिर इस बार भी मोदी की ग्यारंटी के कांग्रेस को अपने मजबूत सिट से हाथ गवाना पड़ेगा।

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