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नव संवत्सर: सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य देकर हिंदू नववर्ष का स्वागत, महाकाल को चढ़ा नीम का जल, ध्वजा बदली गई

धार्मिक नगरी उज्जैन में आज (बुधवार) हिंदू नव वर्ष गुड़ी पड़वा धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान रामघाट के दत्त अखाड़ा क्षेत्र में सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य देकर नव संवत्सर नल का स्वागत किया गया। जबकि विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज मंदिर की ध्वजा बदली गई और बाबा महाकाल को नीम मिश्रित जल अर्पित किया गया। 

अनुष्ठान मण्डपम ज्योतिष अकादमी एवं नवसंवत्सर अभिनंदन समारोह समिति द्वारा आज प्रातः दत्त अखाड़ा क्षिप्रा तट पर भारतीय नववर्ष का अभिनंदन समिति अनुष्ठान मण्डपम ज्योतिष अकादमी द्वारा किया गया। पं चंदन श्यामनारायण व्यास ने बताया कि पूज्य पिताजी महाराज ब्रह्मलीन ज्यों पं श्यामनारायण जी व्यास द्वारा स्थापित परम्परा का निर्वाह करते हुए इस वर्ष भी पं वासुदेव पुरोहित के आचार्यतव में सर्व प्रथम दीप प्रज्जवलन के साथ कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। उसके बाद वैदिक विद्वानों द्वारा मंगलाचरण किया गया। साधु संतों एवं नगर के गणमान्य जनों के सानिध्य में मां क्षिप्रा का पंचामृत पूजन कर सौभाग्य सामग्री अर्पण कर माँ क्षिप्रा नर्मदा का पूजन किया गया। इसके बाद उज्जैन के सूर्यउदय अनुसार प्रातः आदित्यहृदय स्त्रोत्र द्वारा सूर्य की प्रथम किरण को अर्घ्य देकर भगवान सूर्य का विशेष अर्चन कर “नल” नामक संवत्सर का स्वागत किया गया।

 



इस दौरान महिलाओं द्वारा गुड़ी एवं ध्वज का पूजन भी किया गया। उसके बाद वही ध्वज भगवान महाकाल के शिखर पर लगाया गया। कार्यक्रम में संतों के वचन के साथ नीम एवं मिश्री का प्रसाद वितरण कर कार्यक्रम का समापन हुआ। इसी तरह नवसंवत 2080 की शुरुआत आज सुबह ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद शंकर व्यास के आचार्यतव में शिप्रा नदी किनारे रामघाट पर ध्वजा पूजन और शंख बजाकर किया गया। सुबह सूर्य को अर्घ्य देकर उगते सूरज का पूजन कर विक्रम संवत के नए वर्ष की शुरुआत की गई। सुबह 6:30 मिनट पर शिप्रा नदी के रामघाट पर नववर्ष की शुरुआत पर बंगाली महिलाओं ने शंख बजाकर की। इस दौरान शहर के गणमान्य नागरिक व पुजारियों ने कलश का पूजन कर सूर्य को अर्घ्य दिया। 


गुड़ी पड़वा पर महाकाल मंदिर में चढ़ा नया ध्वज

ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 22 मार्च 2023 को गुड़ी पड़वा पर ध्वज चढ़ाया गया। इस दौरान पुजारियों ने कोटितीर्थ कुंड पर सूर्य को अर्घ्य देकर नवसंवत्सर का स्वागत किया। इसके बाद पंचांग का पूजन भी किया गया। पं. महेश पुजारी ने बताया पृथ्वी के नाभि केंद्र पर स्थित भगवान महाकाल के आंगन में हिंदू नववर्ष का स्वागत धर्म परंपरा के अनुसार किया गय।  मंदिर के शिखर पर नया ध्वज लगाकर ब्रह्म मुहूर्त में पुजारी कोटितीर्थ कुंड के तट पर खड़े होकर सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य दिया। इसके बाद मंदिर के नैवेद्य कक्ष में भगवान चंद्रमौलेश्वर और नए साल के पंचाग का पूजन हुआ। पं. महेश पुजारी ने बताया की महाकाल मंदिर में ग्वालियर के पंचांग अनुसार त्यौहार मनाए जाते हैं। इसी पंचांग का साल के पहले दिन पूजन होता है। उज्जयिनी के सम्राट विक्रमादित्य द्वारा स्थापित विक्रम संवत का यह 2080 वां वर्ष है। 


नीम मिश्रित जल से भगवान महाकालेश्वर ने किया स्नान

पुजारी बाला गुरू ने बताया की ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर भगवान महाकाल को नीम मिश्रित जल से स्नान कराया गया।

गायत्री परिवार ने भी मनाया नया वर्ष

गायत्री परिवार के मीडिया प्रभारी देवेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि हिंदू नव वर्ष पर कमल तालाब पर भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर नव वर्ष का स्वागत किया गया। जिसके बाद सभी को नीम और मिश्री का वितरण कर चंदन तिलक लगाया गया।


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