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कौन डकार गया 1 करोड़ 93 लाख ? 800 घर और 4 हजार लोग, सूखे पड़े गले और प्यासा गांव, नहीं पहुंचा साफ पानी, जल जीवन मिशन योजना को गर्त में कौन धकेला ?

गिरीश जगत, गरियाबंद। कहीं पाइप लगी है तो टोंटी नहीं, कहीं टोंटी लगी तो पाइप नदारद, कहीं पानी की टंकी लगी है तो कुछ खराब, कहीं सब कुछ लगा है तो घटिया समाग्रियां योजना को मुंह चिढ़ाती नजर आ रही हैं. ऐसे में हैंडपंप का पानी ही इन लोगों के लिए एक मात्र जीने का साधन बना हुआ है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इस जल घोटाले का जिम्मेदार कौन है, जिससे इन गावों में साफ पानी नहीं मिल रहा, लोग पानी के लिए तरस रहे हैं. कौन डकार गया 1 करोड़ 93 लाख ? 800 घर और 4 हजार लोग, सूखे पड़े गले और प्यासा गांव, नहीं पहुंचा साफ पानी, जल जीवन मिशन योजना को गर्त में कौन धकेला ?

दरअसल, गरियाबंद जिले में जल जीवन मिशन के कार्यों को लेकर कलेक्टर प्रभात मालिक संतुष्ट नहीं है. भरे गर्मी में यह योजना कितना कारगर साबित हुआ यह जानने हमने जिले के सबसे महंगे काम का जायजा लिया. जहां कई खामियां नजर आईं. जल जीवन मिशन के ऑनलाइन पोर्टल से मिली जानकारी के मुताबिक आदिवासी विकास खंड मैनपुर के मूचबहाल, गुरुजीभाठा (टी),कांडेकेला में लगभग 900 कनेक्शन के लिए 1करोड़ 92 लाख56 हजार की मंजूरी मिली थी.

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गरियाबंद के एक ठेका कम्पनी से 19 जनवरी 2022 को अनुबंध किया गया था. कार्य पूर्ण करने 9 माह का मियाद दिया गया था, लेकिन इस कंपनी द्वारा तय तिथि में काम पूर्ण नहीं किया गया है. पाइप लाइन और कनेक्शन बिछा दिया गया है. ज्यादातर जगह टोटियां नहीं लगाई गई है. मूचबहाल में टंकी का काम भी अब तक अधूरा पड़ा है. तीनों गांव मिलाकर अब तक 100 घरों में भी सुचारू रूप से पानी नहीं दिया जा सका है.

कईयों घरों में पानी नहीं पहुंच रहा

मूचबहाल के मुख्य बस्ती में दो माह से पानी देने के विभागीय दावे की सच्चाई जानने पहुंचे तो पता चला पिछले एक सप्ताह से यहां सप्लाई बंद पड़ा मिला. वार्ड 4 और 11,12 में कई कनेक्शन ऐसे मिले जहां टोटियां टूटी हुई थी. वार्ड 4 की बेलमतीबाई ने बताया कि उनके घर के आस पास 10 से ज्यादा घरों में कनेक्शन शो पीस बना हुआ है. पानी लाने बस्ती के हैंडपंप में जाते हैं.

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गांव की सरपंच मोहना नेताम ने बताया कि स्टीमेट के आधार पर मानक सामग्री का उपयोग नहीं हुआ है. ज्यादातर टोटियां निकल गई हैं, जो मोहल्ला ऊपर में बसा है वहां पानी नहीं पहुंच रहा है. इन्हें चेंबर वाल खड़ा करना था, जिसे नहीं किया गया. नई टंकी का काम अधूरा है. पुरानी टंकी से 50 घरों को बस पानी आता है. सप्ताह भर से सप्लाई बंद है. इंजीनियर और टाइम कीपर को सूचना देने के बाद भी बनाने नहीं आ रहे हैं.

गुरजीभाठा में सफेद हाथी साबित हो रहा

रिकॉर्ड के मुताबिक गुरुजीभाठा के काम को पूरा बताकर ठेका कम्पनी को विभाग ने 80 फीसदी से ज्यादा का भुगतान कर दिया है, जबकि सच्चाई कुछ और है. नल कनेक्शन व टंकी निर्माण का कार्य 6 माह पहले हो गया है. सरपंच सपुरो मांझी ने बताया कि 400 से ज्यादा कनेक्शन है, लेकिन पानी बूंद भर भी नहीं. यहां भी घटिया निर्माण के आरोप लगे. एक कनेक्शन के लिए 6999 रूपये का भुगतान लेने वाली कंपनी ने दो दो कनेक्शन एक साथ जोड़ कर बना दिया.

तय लम्बाई चौड़ाई से चबूतरा को छोटा बना कर पैसे पूरे का निकाल लिया. घरों में पानी पहुंचने से पहले ठेका कम्पनी को पूरा भुगतान किया गया, जिसके लिए ग्रामीणों में आक्रोश देखा गया. कांडेकला के जनपद सदस्य पुनीत सिन्हा ने बताया कि बस्तियों में आधार कार्ड ले जाकर पेपर में कनेक्शन पूरा बनना बताया गया है, जबकि कई घरों तक कनेक्शन नही पहुंचा है.

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विभाग का दावा कांडेकेला में टेस्टिंग पूरी

विभाग के एसडीओ बी एस यादव ने भी अनुबंध की पुष्टि किया है. उन्होंने दावा किया है की मूच बहाल के मुख्य बस्ती में मौजूद 200 से ज्यादा कनेक्शन में दो माह से पानी दिया जा रहा है. सभी कनेक्शन में बराबर पानी जा रहा है. बंद होने की सूचना नहीं मिली है. कांडेकेला में टेस्टिंग जारी है,गुरुजीभाठा में टेस्टिंग पूरी कर दी गई है. सोर्स मिलते ही पानी दे दिया जाएगा. ठेकदार को अब तक 1करोड़ 59 लाख का भुगतान कर दिया गया है. 12 प्रतिशत राशि रोक कर रखेंगे,सुचारू सप्लाई 3 माह तक करने व पंचायत के अनापत्ति प्रमाण पत्र के बाद ही फाइनल भुगतान होगा.

विभाग इतना मेहरबान क्यों ?

जिले का इसे सबसे महंगा काम बताया गया है. स्वीकृत राशि में 30 प्रतिशत ज्यादा पर यह टेंडर पास हो गया. वर्ष 2020 के एस ओ आर का हवाला देकर टेंडर की फाइल तत्कालीन जल जीवन मिशन के अध्यक्ष(कलेक्टर) के समक्ष रखी गई और वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया, जबकि वर्तमान कलेक्टर 10 फीसदी एक्सेस वाले फाइलों को निरस्त कर दोबारा टेंडर जारी करवा रहे हैं.

हैरानी की बात तो यह है कि 9 माह की समयावधि खत्म होने के बावजूद काम पूरा कराने अथवा पानी सप्लाई करने विभाग ने ठेका कम्पनी से कोई पत्राचार नहीं किया. काम व कंडीशन के अनुपात में भुगतान भी ज्यादा कर विभाग ने मेहरबानी कायम रखा हुआ है.

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