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शिवराज सिंह के सियासी बाणों से मची MP में खलबली: BJP के सीनियर CM रहे, फिर भी हटाए गए, जानिए 7 बयानों के 7 तीखे निशाने ?

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के एक बयान की इस समय राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा हो रही है. 2 जनवरी को अपने विधानसभा क्षेत्र बुधनी में शिवराज ने कहा- मुख्यमंत्री का पद आ सकता है और जा सकता है, लेकिन मामा और भाई का पद कभी कोई नहीं छीन सकता. शिवराज ने कहा, कहीं न कहीं कोई बड़ा उद्देश्य होगा मित्र… राजतिलक से पहले कभी-कभी वनवास हो जाता है, लेकिन कोई न कोई उद्देश्य पूरा करना जरूर होता है.

क्या बयान देकर शिवराज ने यह जताने की कोशिश की है कि वह अब मौजूदा परिस्थितियों से समझौता कर चुके हैं? या फिर बयान में केंद्रीय नेतृत्व और पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए कोई संदेश छिपा है. हालांकि, शिवराज ने पहली बार ऐसा बयान नहीं दिया है. चुनाव नतीजे आने के बाद जब उनसे दिल्ली जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं अपने लिए कुछ मांगने के बजाय मर जाना पसंद करूंगा.

बीजेपी के सबसे वरिष्ठ सीएम होने के बावजूद शिवराज को हटाया गया

उस समय शिवराज बीजेपी के सबसे वरिष्ठ मुख्यमंत्री थे और लगातार 9 साल तक नीतिगत फैसले लेने वाले बीजेपी के इस सबसे ताकतवर बोर्ड के सदस्य रहे थे, इसलिए शिवराज को बाहर करना कोई छोटी-मोटी राजनीतिक घटना नहीं थी.

मतलब- मध्य प्रदेश में शहरी निकाय चुनाव के नतीजे आने के ठीक एक महीने बाद (17 अगस्त 2022) बीजेपी ने संसदीय बोर्ड में फेरबदल किया था. बीजेपी 16 नगर निगमों में से 7 में मेयर पद का चुनाव हार गई थी. इसके जरिए पार्टी ने उन्हें किनारे करने का संकेत दिया था. ये बात शिवराज को समझ आ गई. उन्होंने इसे जाहिर नहीं होने दिया.

सीएम नहीं बनने के बाद राजनीतिक ताकत बनाने की कोशिश

डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने की घोषणा के अगले दिन शिवराज ने राज्यपाल मंगूभाई पटेल से मुलाकात की और पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया. इसके बाद उन्होंने अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने तमाम सवालों के जवाब दिये. इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी ने उन्हें 18 साल तक मुख्यमंत्री बनाया. पार्टी ने उन्हें सबकुछ दिया है. अब पार्टी को वापस लाने का समय आ गया है.

मतलब- राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल के जवाब में शिवराज ने इसे अपने बयान पर सफाई देने का सही वक्त माना. क्योंकि चुनाव नतीजे आने के बाद कई बड़े नेता दिल्ली की दौड़ में थे, लेकिन शिवराज नहीं गए. तब उन्होंने कहा कि वे दिल्ली पूछने नहीं जायेंगे.

जानिए शिवराज के 7 सियासी बयान ?

 

 

 

 

 

 

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