Chhind Broom Importance in Lakshmi Puja: दिवाली के मौके पर लक्ष्मी जी की पूजा तो होती ही है लेकिन साथ में एक खास पूजा भी की जाती है और वो है झाड़ू की। मान्यता है कि अगर छिंद झाड़ू की पूजा की जाए तो किस्मत चमक सकती है।
इसलिए लोग इस दिन छिंद झाड़ू की भी विशेष पूजा करते हैं। लक्ष्मी पूजा में छिंद झाड़ू की पूजा का विशेष महत्व है। इसलिए छिंद झाड़ू और लक्ष्मी जी की एक साथ पूजा की जाती है।
छिंद झाड़ू की मांग
दिवाली के दिन लक्ष्मी जी की पूजा के साथ ही छिंद झाड़ू की भी पूजा की जाती है, इसलिए बाजार में लक्ष्मी जी की मूर्ति के साथ छिंद झाड़ू की भी विशेष मांग रहती है। पंडित शिवकुमार शर्मा शास्त्री ने बताया कि झाड़ू का इस्तेमाल साफ-सफाई के लिए किया जाता है।
दिवाली साफ-सफाई और स्वच्छता का त्योहार है। जिस तरह झाड़ू से घर में रौनक आती है, उसी तरह इसकी पूजा से किस्मत चमकती है। इसलिए दिवाली के दिन लक्ष्मी जी के साथ छिंद झाड़ू की भी विशेष पूजा की जाती है।
लक्ष्मी पूजा में छिंद झाड़ू का महत्व
पंडित शिवकुमार शर्मा शास्त्री कहते हैं कि “लक्ष्मी वहीं निवास करती हैं जहां स्वच्छता और सफाई होती है, इसलिए दिवाली से पहले घरों की सफाई की जाती है। इस सफाई में झाड़ू सबसे महत्वपूर्ण साधन है। छिंद का अर्थ है छोटा खजूर।
इसकी झाड़ू का उपयोग पूजा में इसलिए किया जाता है क्योंकि जब पूजा में पंचमेवा चढ़ाया जाता है तो उसमें खजूर भी विशेष रूप से शामिल होता है। इसलिए दिवाली के अवसर पर लक्ष्मी के साथ छिंद झाड़ू की भी पूजा करनी चाहिए।
छिंदवाड़ा की पहचान छिंद के नाम से है
छिंदवाड़ा जिले में छिंद के पेड़ बड़ी संख्या में पाए जाते हैं, इसलिए इस शहर का नाम छिंदवाड़ा पड़ा। छिंद के पेड़ छिंदवाड़ा जिले के ग्रामीणों और आदिवासियों के लिए रोजगार का एक बड़ा साधन भी हैं।
छिंद से बनी राखियां, शादी-ब्याह के अवसर पर दूल्हे का सेहरा, झाड़ू और घरों की सजावट का सामान भी बनाया जाता है। इतना ही नहीं, आयुर्वेद की दृष्टि से भी इसके फल बहुत फायदेमंद होते हैं।
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