Chhattisgarh IPS GP Singh Case Update; Blackmailing | High Court: आय से अधिक संपत्ति, देशद्रोह और ब्लैकमेलिंग मामले में फंसे आईपीएस जीपी सिंह को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने बुधवार को उनके खिलाफ दर्ज तीनों एफआईआर को रद्द कर दिया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र अग्रवाल की बेंच ने यह आदेश दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि उन्हें परेशान करने के लिए झूठे मामलों में फंसाया गया है। किसी भी मामले में उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। चंडीगढ़ के सीनियर वकील रमेश गर्ग वर्चुअली सुनवाई में शामिल हुए।
हाईकोर्ट ने कहा- राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया आईपीएस जीपी सिंह ने अपने खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को चुनौती दी थी। उन्होंने एडवोकेट हिमांशु पांडे के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि तत्कालीन सरकार ने उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया है। इनमें से किसी में भी सबूत नहीं है। इस दौरान हाईकोर्ट ने माना कि उन्हें परेशान करने के लिए बिना सबूत के एफआईआर दर्ज की गई हैं। इनमें एक भी केस चलाने लायक नहीं है। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने तीनों एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया है।
जब्त सोना भी जीपी सिंह का नहीं
जी.पी. सिंह के अधिवक्ता ने आय से अधिक संपत्ति मामले में बताया कि जिस व्यक्ति से सोना जब्त किया गया है, उसे एसीबी ने आरोपी नहीं बनाया है। उसे यह कहकर आरोपी बनाया गया है कि सोना जीपी सिंह का है। जिस स्कूटी से सोना जब्त किया गया, वह भी जीपी सिंह की नहीं है।
वह स्कूटी भी जीपी सिंह के परिजनों के नाम पर पंजीकृत नहीं है। अधिवक्ता ने सुपेला में दर्ज रंगदारी मामले पर कहा कि बदले की भावना से वर्षों बाद मामला दर्ज किया गया। इतने वर्षों बाद मामला दर्ज होना समझ से परे है।
रेडियोग्राफी में साजिश के सबूत नहीं
देशद्रोह मामले में अधिवक्ता हिमांशु पांडेय ने कोर्ट को बताया कि जीपी सिंह के ठिकाने से कागज के फटे हुए टुकड़े मिले हैं। उसी के आधार पर उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है। उन कागजों में किसी साजिश की बात नहीं दिखती। एंटी करप्शन ब्यूरो की ओर से कोर्ट में पेश जवाब में भी साफ है कि कागज के टुकड़ों की रेडियोग्राफी में स्पष्टता नहीं है।
सरकार गिराने का लगा था आरोप
छत्तीसगढ़ के 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह के खिलाफ एसीबी ने 2021 में कार्रवाई की थी। सरकारी आवास समेत कई जगहों पर छापेमारी कर 10 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति और कई संवेदनशील दस्तावेज बरामद करने का दावा किया था।
इसके बाद जीपी सिंह के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था, जिसमें उन पर सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप था। जुलाई 2021 में उन्हें निलंबित कर दिया गया और कुछ दिनों बाद देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया।
कैट के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है
बता दें कि इससे पहले 30 अप्रैल को आईपीएस जीपी सिंह को कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) से बड़ी राहत मिली थी। कैट ने आदेश दिया था कि जीपी सिंह से जुड़े सभी मामलों का निपटारा चार सप्ताह के भीतर किया जाए और उन्हें बहाल किया जाए। जुलाई 2023 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार की संस्तुति पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी।
कैट के फैसले के बाद राज्य सरकार ने उन्हें बहाल करने के लिए केंद्र सरकार से संस्तुति की थी। लेकिन, केंद्र सरकार ने उन्हें बहाल करने के बजाय कैट के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दे दी। इस कारण उनकी बहाली का मामला अटका हुआ है। इस मामले की सुनवाई दिसंबर में होगी।
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