अमरकंटक। मध्यप्रदेश में अनूपपुर जिले में स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक (IGNTU) में एक ओर करोड़ों रुपए खर्च कर पर्यावरण और प्रकृति को बचाने सेमिनार करवाया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर माफिया अनूपपुर और पुष्पराजगढ़ में धरती का सीना चीर रहे हैं. सिस्टम से सांठगांठ कर करप्शन पर करप्शन का खेल खेला जा रहा है. अफसर, नेता या जनप्रतिनिधियों के सामने सब कुछ होता है, लेकिन मजाल है कि कोई एक्शन ले. ऐसा नहीं है कि कार्रवाई नहीं होती, होती है, लेकिन केवल दिखावे के लिए. अब इन बेलगाम माफियाओं पर लगाम कौन लगाएगा. पर्यावरण और प्रकृति कैसे सुरक्षित रहेगी. केवल सेमिनार में पर्यावरण के संरक्षण की बात करना बेमानी साबित होगी. कभी क्रेशर, अवैध खनन और भंडारण के आस-पास ठहरकर सांस लीजिए, सच्चाई खुद-ब-खुद सामने दिखेगी. ऐसे में पीएम मोदी के सपने कैसे साकार होंगे.
भौतिकवादी विकास के पीछे दौड़ रही दुनिया ने आज एक विराम लिया और सांस ली, तो उसे अहसास हुआ कि ग्लैमर के फेर में क्या कीमत चुकाई जा रही है. आज ऐसा कोई देश नहीं है जो पर्यावरण संकट पर मंथन न कर रहा हो. भारत भी चिंतित है. लेकिन जहां अन्य देशों ने भौतिक ग्लैमर के लिए सब कुछ लुटा दिया है, वहीं भारत के पास अभी भी बहुत कुछ है. लेकिन इस पर केवल बात करने की नहीं, बल्कि एक्शन लेने की जरूरत है. क्योंकि मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्र होने की वजह से पुष्पराजगढ़ क्षेत्र से निकलने वाला खनिज बड़ी आसानी से पड़ोसी राज्य पहुंच जाता है.
पुष्पराजगढ़ में खनिज संपदा का भंडार है. यही वजह है कि माफिया इसे छलनी कर देना चाहते हैं. पुष्पराजगढ़ को खनन माफिया खोखला कर रहे हैं. इन सबका जिक्र करने की जरूरत क्यों महसूस हो रही यह अपने-अपने में ही सवाल खड़ा कर रहा है. प्रकृति को बचाना है, तो पहले इसका दोहन करने से रोकना होगा. वरना करोड़ों रुपए इस तरह पानी में बहाने से समस्या का हल नहीं निकलने वाला है. ये नवाचार केवल कागजों तक ही सिमट कर रह जाएंगे. माफिया पठार का पत्थर निकालकर खोखला कर डालेंगे. जब सब कुछ खत्म हो जाएगा, तो केवल मंथन के अलावा कुछ नहीं रह जाएगा.
पुष्पराजगढ़ और जिले के दर्जनभर से अधिक गांव ऐसे हैं, जहां अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है. इसमें बड़ी तुम्मी, परसेल, हर्राटोला और बसही समेत गांव शामिल हैं. एमपी-छग बार्डर बिजौरी में भी क्रेशर का संचालन शुरू होने जा रहा है. जानकारी यह भी है कि अधिकारियों की मिलीभगत से खनन किया जाता है. मतलब यहां सीधे तौर सांठगांठ कर प्राकृतिक वातारण को असंतुलित किया जा रहा है.
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण और इसके कारण बिगड़ते पर्यावरण के संतुलन को लेकर राज्य सरकारों को चेता चुका है. लेकिन क्षेत्र में उड़ते धूल धुआं और अवैध खनन के मामलों को देखकर लगता है कि एनजीटी के आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रही हैं. ऐसे में गंभीरता से पर्यावरण संरक्षण की जरूरत है.
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में Y20 के अंतर्गत खेल एवं युवा मामले मंत्रालय के सहयोग से दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है. जिसका विषय “जलवायु परिवर्तन और आपदा जोखिम की न्यूनता को जीवन का आधार बनाना” है. जिसमें केन्द्रीय राज्यमंत्री पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन अश्विनी चौबे भी शामिल होने पहुंचे. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में जलवायु में हो रहे बदलाव पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई सिर्फ और सिर्फ भारत सरकार द्वारा की जा रही है. आपने बताया कि 65% जनसंख्या जी-20 शिखर सम्मेलन के अंतर्गत आती है. यह दुनिया के विकास और समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
उन्होंने देश के युवाओं के लिए अपनी चिंता दिखाई और बताया कि कैसे युवा इस आयोजन से खुद को लाभान्वित कर सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि प्रकृति के तत्वों की रक्षा और संरक्षण करना हमारा कर्तव्य है. दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत है. हमारे विचार हम को आगे ले जा रहे हैं और हम दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनने की राह पर हैं. ना सिर्फ हम बदल रहे हैं बल्कि पूरी दुनिया भारत के बताए हुए विचारों पर आगे बढ़ रही है. भारत एक ऐसा देश है जहां भारत को माता कहा जाता है. दुनिया में ऐसी कोई अर्थव्यवस्था नहीं है जिसे माँ कह कर पुकारा जाता हो.
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर प्रकाश मणि त्रिपाठी ने कहा कि जो आज हो रहा है वह जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित मौसम के कारण हो रहा है. जिसका मूल है वनों की कटाई. जीवन शैली की गिरावट भी इसका परिणाम है. भारत पृथ्वी की प्राकृतिक व्यवस्था को बहाल करने में महत्वपूर्ण है और उसमें महत्वपूर्ण कड़ी बना है. यह विश्वविद्यालय मां नर्मदा के अंचल में स्थित है. यह एक ऐसा स्थान है जहां प्रकृति संस्कृति से मिलती है, आज हमारे देश में युवाओं की ताकत है. यह एक ऐसी ताकत है जो किसी भी जटिल आपदा को अवसर में बदल सकती है. इसके लिए इच्छा शक्ति और लक्ष्य की आवश्यकता है. जिसका रास्ता विश्वविद्यालय द्वारा दी जा रही शिक्षा से निकल रहा है. मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह आयोजन सनातन जीवन जीने के तरीकों को दुनिया के सामने रखेगा.
युवा एवं खेल मंत्रालय में सचिव मीता राजीव लोचन ने बताया कि भारत सतत विकास करने में अग्रणी है. भारत सर्वश्रेष्ठ क्यों है ? यदि यह जानना है तो भारत के धर्म ग्रंथों को पढ़ना होगा. आज अमरकंटक में यह विमर्श पूरी दुनिया के लिए आदर्श बन गया है, क्योंकि यहां का वातावरण यह बतलाता है कि प्रकृति किस तरह की थी और कैसे परिवर्तित हो रही है. प्रकृति और विश्वास का संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण है. यदि प्रकृति स्वस्थ है तो मानव स्वस्थ रहेगा. जिसका जीता जागता उदाहरण आपने देखा कोविड-19 के दौरान. यह प्रकृति और जीवन एक दूसरे के लिए बने हुए हैं. इसका दूसरा पहलू है नदियों को सुरक्षित रखना व साफ रखना. यदि नदियां सुरक्षित रहेंगी तो हमारा जीवन भी सुरक्षित रहेगा.
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