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पुष्पराजगढ़ के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को CEO ने धमकाया: बोले- ऑर्डर बहुत देखे हैं, जाओ अब कोर्ट से ही तुम्हारा पैसा मिलेगा, ज्यादा नौटंकी करोगे, तो अंदर करवा दूंगा

CEO threatens daily wage workers of Pushprajgarh: अनूपपुर जिले के जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों ने अपने लंबित वेतन भुगतान के लिए जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर कोर्ट ने पिछले सप्ताह विभाग को 90 दिन में मामला निपटाने के आदेश दिए थे।

इसके बाद भी कर्मचारी का वेतन भुगतान नहीं हो सका। इस पर दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी ने अवमानना का मामला दायर किया. जिस पर हाईकोर्ट ने जिला पंचायत अनूपपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तन्मय वशिष्ठ शर्मा को अवमानना नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

कर्मचारियों को धमकाते हैं सीईओ

कर्मचारियों के मुताबक, नाराज सीईओं ने आवेदक को धमकाते हुए कहा कि एक रुपया नहीं मिलेगा। तुम्हें जो करना है, कर लो। तुम तो फीस देकर मुकदमा करते हो हमारी तरफ से शासन के लोग लड़ लेंगें। ऐसे कोर्ट के ऑर्डर बहुत देखे हैं, जाओ अब कोर्ट से ही तुम्हारा पैसा मिलेगा। ज्यादा नौटंकी करोगे, तो अंदर करवा दूंगा। अभी हमारी ताकत जानते नहीं हो। एक भी कर्मचारी तुम्हारा साथ नहीं देंगें। मैं जैसा चाहूंगा, वैसा रिपोर्ट बनाकर देंगें। तुमने कभी कोई काम नहीं किया है।

इससे विनोद कुमार डर गये और जाने लगे तो सीईओ ने कोरे कागज पर हस्ताक्षर कर जाने को कहा. इसके बाद एक वरिष्ठ अधिकारी के सामने विनोद बेबस हो गये. विनोद ने 13 मई को कलेक्टर कार्यालय अनूपपुर की आवक-जावक शाखा में अपने साथ हुए व्यवहार की शिकायत की प्रति देते हुए मुख्य सचिव, संभागीय आयुक्त, मुख्यमंत्री, पुलिस अधीक्षक अनूपपुर, पुलिस महानिरीक्षक को आवेदन दिया है। पुलिस शहडोल से लगाई न्याय की गुहार।

साथ ही हाईकोर्ट में लंबित अवमानना मामले में सभी शिकायती पत्र पेश करने के लिए उन्हें जबलपुर भेजा गया है. जिले में यह पहला मामला है। जब किसी नौकर को किसी वरिष्ठ अधिकारी ने धमकी दी हो.

सीईओ ने कही ये बात

इस पूरे मामले में जिला पंचायत सीईओ तन्मय वशिष्ठ शर्मा ने कहा कि दैनिक वेतन भोगी विनोद कुमार ने कलेक्टर से शिकायत की है. मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. पिछले सप्ताह हाईकोर्ट जबलपुर से एक नोटिस आया। जिसमें उनसे जवाब तलब किया गया था.

उनसे वेतन पर्ची और नियुक्ति पत्र मांगे गए, लेकिन उनके पास कोई दस्तावेज नहीं थे। कागजात के अभाव में उनका वेतन भुगतान नहीं हो पाया है, लेकिन फिर भी वे हाइकोर्ट गये. जिसके लिए निःशुल्क है.

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