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खाट बना एम्बुलेंस: विकास किस चिड़िया का नाम है ‘साहब’, पुष्पराजगढ़ में आज भी खाट पर सवार हैं जिंदगियां, इधर वोट लेकर मलाई छान रहे सांसद-विधायक

शैलेंद्र विश्वकर्मा, अनूपपुर: सरकार विकास के लाख दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत पर हालात बद से बदत्तर होते जा रहे हैं. इसकी गवाही पुष्पराजगढ़ का धवई गांव दे रहा है. जहां आजादी के 74 साल बाद भी एक सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है. इतना ही नहीं इस गांव में न तो सड़कें हैं, न ही पीने के लिए पानी की सुविधा है. अगर कोई बीमार पड़ गया, तो उसे अस्पताल तक ले जाने की सुविधा नहीं है, जिससे मरीज को खाट पर ही ले जाना पड़ता है. यहां के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं, जबकि इलाके के सांसद-विधायक सरकारी पैसे से मलाई छान रहे हैं, ये आरोप पुष्पराजगढ़ के लोगों का है, जो अपने जनप्रतिनिधियों को कोस रहे हैं.

दरअसल, अनूपपुर जिले के जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ अंतर्गत ग्राम पंचायत अमदरी के खाल्हे धवई ग्राम से विवस्ता मजबूरी को दिखाती तस्वीर सामने आई है, जो सरकार शासन प्रशासन के विकास रूपी दावों की पोल खोलती नजर आ रही है. यंहा पक्की सड़क न होने से बुजुर्ग महिला को इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खाट पर लिटा कर कंधों के सहारे ले जाना पड़ा.

ग्रामीणों ने बुजुर्ग महिला को 4 किमी कंधे में उठा कर ले जाने को विवश दिखे, तब जा कर उन्हें टेक्सी नसीब हुई और महिला को अस्पताल तक पहुंचाया गया. आलम यह है कि एम्बुलेंस न मिल पाने से बीते माह एक शर्प दंश पीड़ित की जान भी जा चुकी है, लेकिन निकम्मी सरकार और प्रशासन अपने कुम्भकरणी निद्रा से नहीं जाग रहे हैं. इससे इलाके की इंसानी जिंदगियां भगवान भरोसे ही हैं.

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जानकारी के मुताबिक 11 सितंबर के दिन धबई गांव में महिला की अचानक तबियत बिगड़ने से परेसान परिजनों ने सरपंच को सूचना दे कर मदद मांगी और खुद अस्पताल ले जाने की तैयारी करने लगे. इधर सरपंच के पति राममिलन सिंह ने 108 पर फ़ोन क़र एम्बुलेंस बुलाने की कोशिस की तब 108 कंट्रोल सेंटर भोपाल में बैठी मैडम ने मरीज का नाम गांव की जानकारी मांगी जैसे ही अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ जनपद की अमदरी पंचायत के ग्राम धवई के खाल्हे टोला नाम सुना वैसे ही मैडम ने एंबुलेंस भेजने से मना क़र दिया.

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यह सब गांव के ग्रामीणों ने अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर लिया. इधर महिला की हालत बिगड़ता देख परिजनों ने खाट पर ही महिला को लिटाकर कंधों के सहारे मुख्य सड़क तक ले जाने का निर्णय लिए और और 4 किमी पैदल निकल पड़े. कच्चे रास्ते में पड़ने वाले नदी नालों पर डरते सहमे कंधे पर मरीज लिए पार कर चलते रहे तब कंही मुख्य मार्ग तक पहुंचे. इसके बाद उन्हें सवारी ऑटो मिला. उसमें महिला को बैठा क़र प्राथमिक स्वस्थ केंद्र बेनीबारी लाया गया.

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स्थानीय लोगों ने कहा कि ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों ने सड़क बनवाए जाने को लेकर कोशिश नहीं की. जनपद पंचायत, विधायक, सांसद सहित मुख्यमंत्री तक को ज्ञापन ग्रामीणों द्वारा सौंपा गया ग्राम पंचायत में आम सहमति से प्रस्ताव बना जिला पंचायत में भेजा गया, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं. इसीलिए तो कहते हैं कंधों के सहारे विकास अस्पताल पहुंचा.

जब हमारे रिपोर्टर द्वारा सम्बंधित विभागों से ग्रामीणों की दुर्दशा और बदहाल सड़क पर सवाल किया गया तो सभी इसकी टोपी उसका सर करते दिखाई दिए.

विधायक ने कहा कि मैं स्वीकार कर रहा हूं कि आज भी लोग खटिया मचिया में मरीजों को लाने ले जाने को मजबूर हैं. वहीं उन्होंने इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. अब सवाल ये उठता है कि पिछले 2 पंचवर्षीय से पुष्पराजगढ़ में विधायक फुंददेलाल लाल हैं, लेकिन अपने इलाके में विकास कराने के नाकाम हैं. जबकि खुद को बचाने के लिए कलेक्टर पर आरोपों को मढ़ दिए.

बता दें कि अमदरी ग्राम पंचायत में धवई गांव को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया गया है, जहां की कुल आबादी 1172 है. धबई ग्राम दो मोहल्लों में बांटा गया है. टिकरा धबई और खाल्हे धबई दोनों की आपस मे दूरी 4 किमी है. खाल्हे धबई में 372 महिला 370 पुरुष और 259 बच्चे निवास करते हैं. महज राजस्व ग्राम का दर्जा न होने से सड़क नहीं बनाई गई है. यह सुनकर आप खुद कह उठेंगे वाह रे नियमावली.

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