गिरीश जगत, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद कोतवाली पुलिस ने नशे की टैबलेट बेचते एक आरोपी को रंगेहाथों पकड़ा है। मिली जानकारी के मुताबिक पारागांव रोड में टैबलेट बेचने के लिए आरोपी सद्दाम खान (35) ग्राहक देख रहा था, जिसे पकड़ा गया है।
पुलिस ने 300 नग एनाजोलम और एप्राजोलम नामक टैबलेट के साथ गिरफ्तार किया है। थाना प्रभारी कृष्णा जांगड़े ने कार्रवाई की पुष्टि की है।
गिरफ्तार आरोपी आद्तन बदमाश
थाना प्रभारी कृष्णा जांगड़े ने बताया कि डाक बंगला पारा निवासी आरोपी आद्तन बदमाश है। मुखबिर की सूचना मिलते ही उच्च अधिकारियों के निर्देश पर स्पेशल टीम और आबकारी विभाग के साथ मिलकर कार्रवाई की गई है।
बगैर बदबू के चढ़ता है नशा
नशीली दवाओं का कारोबार पहले राजिम तक सीमित था। अब जिला मुख्यालय के अलावा छुरा और मैनपुर में भी पांव पसारने लगा है। नशीली दवा की एक टैबलेट 20 से 24 घंटे तक अपना असर दिखता है। ये नशा बदबू नहीं देता।
300 रुपए प्रति पत्ते तक बेचा जा रहा
बताया जा रहा है कि इसकी एक पत्ते की एमआरपी 34 से 40 रुपए तक है, जिसे ब्लैक में 100 रुपए में खरीदकर अधिकतम 300 रुपए प्रति पत्ते तक आसानी से बेचा जा सकता है।
रोजाना 100 से ज्यादा पत्तों की खपत
नशे के अन्य समाग्री से इसकी कीमत काफी सस्ता है। साथ ही यह बदबू नहीं देता। ऐसे में नशेड़ी के अलावा स्कूली, कॉलेज छात्र भी उपयोग करना शुरू कर दिए हैं। सूत्र बताते हैं जिले में रोजाना 100 से भी ज्यादा पत्ते की खपत है।
मेडिकल लाइसेंस के बिना नहीं होता उपलब्ध
नियम के मुताबिक इस दवा का सेवन डॉक्टर के पर्ची के बगैर नहीं बेचना है। पर्ची संलग्न कर बिल के साथ ही दवा विक्रय का प्रावधान है। राजधानी में मौजूद होल सेल कारोबारियों से लाने के लिए मेडिकल लाइसेंस नंबर दर्ज कराना होता है।
विक्रय के कड़े नियम के बावजूद प्रतिबंधित सशर्त बेची जाने वाली दवा खुलेआम आपराधिक किस्म के लोगो के द्वारा बेचा जाना कहीं न कहीं ड्रग डिपार्टमेंट के कार्य शैली पर भी सवाल उठाता है।
मेडिकल स्टोर की नियमित परीक्षण,स्टॉक वेरिफिकेशन जैसे नियमों का कितना पालन हो रहा है.? आसानी से भारी मात्रा में यह दवा अपराधिक तत्वों के पास कैसे उपलब्ध हो रहा है यह भी जांच का विषय है।
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