गिरीश जगत, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में सरकारी सिस्टम भविष्य का गला घोंट रहा है. नौनिहालों के भविष्य से खेला जा रहा है. मासूम स्कूल में पढ़ना चाह रहे हैं, लेकिन सरकारी सिस्टम उन बदनसीबों को पढ़ाना नहीं चाहता. कहा जा रहा है कि बच्चे सरकारी स्कूलों में सपने बुनना चाह रहे हैं, लेकिन गरीबी औऱ लाचारगी के दुश्मन नौनिहालों को दाखिला नहीं दे रहे हैं. न ही किसी सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है.
बिजली गांव की बेबस कहानी
दरअसल, गरियाबंद जिले के बिजली गांव में रहने वाले 12 बच्चों को स्कूल ने एडमिशन देने से इनकार कर दिया है. फिंगेश्वर विकासखंड के अंतर्गत बिजली गांव आता है, जहां सपेरों के 15 परिवार झोपड़ी बनाकर रहते हैं. उनके बच्चे पढ़ना चाहते हैं, लेकिन सरकारी स्कूल ने उन्हें दाखिला देने से इनकार कर दिया है.
जहरीले सांपों के बीच जिंदगी
इन 15 घुमंतू परिवारों ने बताया कि उन्हें किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. उनके बच्चे कैंपों में रहकर जहरीले सांपों के बीच रह रहे हैं. वह अपने सपेरे पिता के साथ सांप पकड़ना सीख रहा है, लेकिन उसकी चाहत पढ़-लिखकर कुछ बनने की है.
बच्चों को नहीं मिला एडमिशन
बच्चों का कहना है कि जब वे गांव के दूसरे बच्चों को स्कूल ड्रेस पहनकर स्कूल जाते देखते हैं तो उन्हें बहुत खुशी होती है. इन्हें पढ़ने-लिखने की भी इच्छा होती है. बच्चों की मां ने बताया कि वे एडमिशन के लिए स्कूल गए थे, लेकिन एडमिशन नहीं मिला. उसने बार-बार गुहार लगाई, फिर भी किसी ने उसकी एक नहीं सुनी.
नहीं मिला सरकारी योजनाओं का लाभ
अभिभावक सखा राम नेताम ने कहा कि शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण उनके बच्चे शिक्षा से दूर हैं. गांव की महिलाओं ने कहा कि उन्हें भी सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए.
क्या बोले जनपद पंचायत CEO ?
इधर इस मामले में फिंगेश्वर विकासखंड के जनपद पंचायत CEO अजय पटेल ने पूरे मामले से ही खुद को अनजान बताया. उन्होंने कहा कि BEO से संपर्क कर इस बारे में जानकारी ली जाएगी. उन्होंने बच्चों के जल्द एडमिशन का आश्वासन भी दिया.
Read more- Landmines, Tanks, Ruins: The Afghanistan Taliban Left Behind in 2001 29 IAS-IPS