अनूपपुर। ये पुष्पराजगढ़ है साहब यहां हर कोई सरकारी कुर्सी पर बैठकर मलाई छान रहा है. अनूपपुर जिले में करप्शन की सीढ़ियां लंबी हो गई हैं, जो भी चढ़ता है इस दलदली रूपी धनवर्षा सीढ़ी पर दोबारा मुड़ के लौटना नहीं चाहता. बस सिस्टम को चूना लगाकर अपनी तिजोरी भरता ही जाता है, लेकिन कभी-कभी ये करप्शन और घोटाले से भरी तिजोरी की सीक्रेट चाबी खुलासे की डोर बन जाती है. कुछ ऐसा ही मामला पुष्पराजगढ़ के करपा पंचायत में देखने को मिला. जहां आरोप है कि सचिव ने बाजार नीलामी की राशि को अपना निवाला बना लिया.
नई जिम्मेदारी और हेराफेरी की नई इबारत
दरअसल, ये कहानी करपा सचिव की है, जिसकी नई-नई जिम्मेदारी सौंपी गई है. बताया जाता है कि ये पहले लीला में अपनी लीला दिखाते थे, उसके बाद अब करपा पंचायत की बागडोर संभाल रहे हैं, जिसमें हेराफेरी की पहली नींव रख दई है. आरोप है कि बाजार के नीलामी की राशि को निगल गए हैं, जिसका पर्दाफाश उप सरपंच ने कलेक्टर की दहलीज पर किया है.
नीलामी की राशि से हेराफेरी
दरअसल, हम जिस सचिव की बात कर रहे हैं, उनका नाम अजय कन्नौजिया है. ये पहले भी एक बार सरकारी रडार में आ चुके हैं. साप्ताहिक बाजार नीलामी की राशि हेराफेरी करने की बात सामने आई है. ग्राम पंचायत करपा के उप सरपंच ने जन सुनवाई में कलेक्टर से शिकायत की.
हाट बाजार की नीलामी का पैसा गायब ?
करपा हाट बाजार की नीलामी 28 मार्च को की गई थी, जिसमें छज्जू राम बाम्बा ने अधिक बोली लगाई थी, जिसमें छज्जू राम बाम्बा ने अलग-अलग किस्मत में टोटल 3,51,500 रुपये सचिव को सौंपी थी. उप सरपंच के आरोप के मुताबिक सचिव अजय कन्नौजिया ने 1,30,000 रुपये पंचायत के खाते में जमा किया. बाकी गायब हो गए.
2,21,500 रुपये कहां गए ?
उप सरपंच राजा खान ने आरोप लगाए हैं कि 2,21,500 रुपये कहां गए, किसी को नहीं पता, जबकि ये नीलामी मार्च महीने की थी, लेकिन राशि की कोई जानकारी नहीं है. इसमें ये भी कहा जा रहा है कि एक बड़े रसूखदार के साथ मिलकर खेला गया है, जिसकी ऊंची पहुंच है.
कलेक्टर से न्याय की उम्मीद
वहीं उपसरपंच राजा खान का कहना है कि सचिव ने राशि का गबन किया है. टेंडर में जमा की गई लाखों रुपए सचिव ने निकाल ली है. जिसकी हमने शिकायत की है. कार्रवाई के लिए कलेक्टर से गुहार लगाई है. न्याय की उम्मीद है.
गड़बड़ी जैसी कोई बात नहीं- सचिव
वहीं इस मामले में जब MP-CG टाइम्स ने सचिव से बातचीत की, तो उन्होंने कहा कि राशि पंचायत के पोर्टल में नहीं दिख रहा था. उपसरपंच को चेक करने पर वह राशि नहीं दिखी. इसलिए उन्होंने मामले की शिकायत की है. बाकी गड़बड़ी जैसी कोई बात नहीं है. राशि पहले से ही जमा है.
कौन बोल रहा सच और कौन झूठ ?
बहरहाल, ये जांच की विषय है कि किसने उस राशि को कहां गायब किया, आखिर वह राशि पंचायत के खाते में है भी या फिर खेला हो गया. ये सरकारी जांच से ही पता चल पाएगा की आखिर माजरा क्या है, कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ ?
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