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लापरवाही तले शिक्षा: MP में एससी-एसटी हाॅस्टल्स की 50 हजार सीटें अब भी खाली, एडमिशन से कतरा रहे स्टूडेंट्स

भोपाल। कोरोना महामारी के चलते पिछले दो सालों के दौरान सबसे ज्यादा शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं, इसका सबसे ज्यादा असर एससी-एसटी वर्ग के उन गरीब छात्र-छात्राओं को उठाना पड़ा है, जो सरकारी मदद से हाॅस्टलों में रहकर पढ़ाई करते थे. यही वजह है कि प्रदेश में एससी-एसटी वर्ग के लिए संचालित हाॅस्टल्स में इस साल करीब आधी सीटों पर छात्रों ने प्रवेश ही नहीं लिया है, प्रदेश में 1000 से ज्यादा छात्रावास संचालित हैं, जिसमें करीब एक लाख सीटें हैं.

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50 हजार हाॅस्टल्स की सीटें खाली

मध्यप्रदेश में आदिमजाति कल्याण विभाग द्वारा अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के साधन उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश भर में आवासीय हाॅस्टल संचालित किए जाते हैं, प्रदेश में ऐसे 1013 हाॅस्टल्स हैं, जिसमें कुल सीट्स की संख्या 99 हजार 323 हैं. इसमें ज्ञानोदय विद्यालय की संख्या 10, पोस्ट मैट्रिक छात्रावास की संख्या 86, आश्रम 10, प्री मीट्रिक छात्रावासों की संख्या 372, उत्कृष्ट छात्रावासों की संख्या 112, जूनियर छात्रावासों की संख्या 136, सीनियर छात्रावासों की संख्या 259 और महाविद्यालयीन छात्रावासों की संख्या 28 है.

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इन हाॅस्ट्ल्स में बालकों के लिए सीट्स की संख्या 50 हजार 846 और बालिकाओं के लिए सीट्स की संख्या 48477 है. पिछले दो सालों से चल रही कोरोना महामारी के चलते हाॅस्टल्स में पढ़ाई लगभग ठप पड़ी है, विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस साल इन सीट्स में से आधी सीट पर ही एडमिशन हो सके हैं, इसमें छात्राओं की सीट 25414 सीट और बालकों की 27 हजार 508 सीट अभी तक नहीं भर पाई है.

8वीं से ऊपर क्लास के हाॅस्टल्स खुले

कोरोना नियंत्रण के बाद प्रदेश में आदिवासी हाॅस्टल्स में भी रौनक लौटने लगी है, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश के बाद अधिकांश जिलों में हाॅस्टल्स या तो खोल दिए गए हैं या फिर खुलने जा रहे हैं. छात्रावास खोलने के निर्णय का अधिकार भी जिला क्राइसिस कमेटी को दिया गया है, कोरोना की स्थिति को देखते हुए हाॅस्टल्स खोलने का निर्णय लिया जा रहा है. हालांकि, अधिकांश आदिवासी जिलों में हाॅस्टल्स खुल गए हैं, इन जिलों में स्टूडेंट का पहुंचना भी शुरू हो गया है, भोपाल स्थित आदिवासी हाॅस्टल्स अब तक नहीं खुल पाये हैं.

कंंपटीशन की तैयारी करने वालों के लिए बढ़ी मुश्किल

सबसे ज्यादा परेशानी उन छात्रों को उठानी पड़ रही है, जो आदिवासी जिलों से बड़े शहरों के हाॅस्टल्स में आकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते थे, टीकमगढ़ जिले के संजय सोनवाने कहते हैं कि कोरोना की वजह से उन्हें बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है, वे भोपाल के आदिवासी हाॅस्टल में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे, हाॅस्टल बंद हैं. छोटे जिलों में न तो बेहतर स्टडी मटेरियल हैं और न ही अच्छी कोचिंग की व्यवस्था. ऐसी ही स्थिति उन तमाम छात्रा-छात्राओं की है, जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए भोपाल या प्रदेश के दूसरे बड़े हाॅस्टल में रहकर पढ़ाई करते थे.

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धीरे-धीरे स्थिति हो रही बेहतर: मंत्री

इस संबंध में जनजाति कार्य विभाग की मंत्री मीना सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी का व्यापक प्रभाव पड़ा है, लेकिन अब धीरे-धीरे सभी सब कुछ सामान्य हो रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के निर्देश के बाद हाॅस्टल्स खोल दिए गए हैं. हाॅस्टल्स में कोविड गाइडलाइन का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं और हाॅस्टल्स की अधिकांश सीटें भर गई हैं.

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