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उदंती अभ्यारण्य में 3 साल में 8 लोगों की मौत: हाथी अलर्ट ऐप से जनहानि में ब्रेक, अब हाथियों का भी बढ़ा कुनबा

8 people died in Udanti Sanctuary in 3 years: गरियाबंद के उदंती सीतानदी अभ्यारण्य में हाथी मानव द्वंद में पिछले तीन साल में 8 लोगों ने जान गवाई थी, लेकिन जब से हाथी अलर्ट ऐप लगाया गया है, तब से जनहानि बंद हो गई है। साथ ही हाथियों का कुनबा भी बढ़ा है।

8 people died in Udanti Sanctuary in 3 years:1842 वर्ग किमी एरिया में फैले उदंती अभ्यारण्य में 100 गांव मौजूद हैं, जहा 40 हजार से ज्यादा लोग बसते हैं। इनमे कुल्हाड़ीघाट, तौरेंगा, अरसीकन्हार, सीतानदी और रिसगांव रेंज के लगभग 1100 स्क्वेयर किमी में हाथी का प्रभाव है। 2021 से 2023 तक लगातार हाथी मानव द्वंद देखा गया। इन तीन साल में 8 लोगों की मौत हाथी के हमले से हुई।

इसके बाद उपनिदेशक वरुण जैन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से हाथी अलर्ट एप बनाया जो हाथी की आमद की सूचना रहवासी क्षेत्रों के मोबाइल में देता था। एप के अलवा 50 से ज्यादा हाथी मित्र दल व इतने ही वन कर्मी अफसर दिन रात अपनी ड्यूटी में लगे रहे।नतीजतन पिछले एक साल में कोई भी जनहानि नही हुई।

8 people died in Udanti Sanctuary in 3 years: उपनिदेशक वरुण जैन ने बताया कि 22 फरवरी 2023 को अंतिम जनहानि हुई थी. अब एप व 24 घंटे एलर्ट रहने वाले ट्रेकरो की मदद से पिछले 365 दिनो में एक भी हादसे नही हुआ।एप हाथी की मौजूदगी स्थान से 10 किमी पहले ही कॉल व मेसेज के माध्यम से लोगो को अलर्ट कर देती है।

अभ्यारण्य के भीतर दो दलों में 32 हाथी का कुनबा तीन साल से विचरण कर रहा है,अब उनकी संख्या बढ़ कर 38 हो गई है।पिछला एक साल वन्य प्राणी संरक्षण को समर्पित रहा है,अब आगे वन्य प्राणियों के रहवास के लिए और बेहतर इंतजाम हो सके इस दिशा में हमारी टीम काम कर रही है।

शिकारी शिकंजे में इसलिए अन्य वन्यप्राणी भी सुकून में

केवल हाथी द्वारा ही नहीं बल्कि मांसाहारी वन्यप्राणियों जैसे तेंदुआ, भालू या लकड़बग्घा द्वारा भी कोई जन-हानि विगत 1 वर्ष में नहीं की गयी है। इसके पीछे 1 और सबसे बड़ा कारण है एन्टी पोचिंग ऑपरेशन्स जिसमें अब तक 120 शिकारी एवं तस्कर गिरफ्तार किये गए है. इसके साथ ही 650 हेक्टेयर से अतिक्रमण हटाया गया है, जिसका फायदा सीमावर्ती गाँवों को मिल रहा है क्योंकि वन्यप्राणी को उनका रहवास स्थल वापिस मिल गया है, जिससे उनका आबादी इलाके में विचरण कम हुआ है.

अवैध शिकार एवं अतिक्रमण पर नियंत्रण करने से शाकाहारी वन्यप्राणियों (हिरण, कोटरी, नीलगाय, सांबर एवं गौर) की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है (प्रे- बेस औगमेंटेशन) जो कि कैमरा ट्रैप फोटोज में साफ दर्शित हो रहा है. संभवतया इसी कारण मांसाहारी जानवरो द्वारा कोई जनहानि घटना को अंजाम नहीं दिया है।

ओडिसा में क्षमता से ज्यादा संख्या में हाथी, इसलिए पड़ोसी राज्य में आमद

ओड़िशा राज्य की हाथियों की धारण क्षमता (carrying capacity) लगभग 1700 है जबकि वहा 2000 से ज्यादा हाथी हो गए है जिस कारण अतिरिक्त हाथी छत्तीसगढ़ एवं झारखण्ड की ओर विस्थापित हो रहे है और नया कॉरिडोर भी बना रहे हैं. इस विस्थापन के दौरान हाथियों के बिजली लाइन की चपेट में आने, फसल हानि/जन हानि करने पर व्यथित ग्रामीणों द्वारा हाथी के साथ अनुचित बर्ताव करने के कारण हाथियों के व्यवहार में आक्रोश आया है.

असम, कर्नाटक के नेटिव हाथियों का स्वभाव लगभग शांत होता है. वन क्षेत्रो में अतिक्रमण एवं जल स्तोत्र सिमटने के कारण भी हाथी उत्तेजित होते है. वहीं उदंति सीतानदी में विगत 2 वर्षो में किसी हाथी की मृत्यु नहीं हुई है, बल्कि 4-5 शावकों का जन्म हुआ है. हाथियों द्वारा ज्यादातर समय वनों में ही बिताया जा रहा है. वही ग्रामीणों को फसल हानि प्रकरण का समय सीमा में मुआवज़ा भी उपलब्ध करवाया जा रहा है.

ओडिसा के हाथियों को रास आ गया अभ्यारण्य

हाथियों को भी उदंती-सीतानदी का वन-क्षेत्र रास आ रहा है जिसमे तेन्दु की जड़ , मोयन की जड़ , भेलवा की छाल, सिहारी (माहुल) पत्ता छाल, बांस, महुआ के वृक्ष, तालाब एवं 12 मासी झरने एवं नाले उचित मात्रा में उपलब्ध है. इसी वजह से फसल-हानि प्रकरण भी कम है. ओड़िशा से आये सिकासार हाथी दल ने विगत 3 वर्षो से यही अपना रहवास बना लिया है. इसके अतिरिक्त ग्रामीण भी हाथी मानव द्वन्द के प्रति जागरूक हुए है.

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