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गरियाबंद शिक्षक भर्ती घोटाला केस पर फैसला: सबूत देने में नाकाम रही पुलिस, कोर्ट ने 19 लोगों को किया दोषमुक्त

गिरीश जगत, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में बहु चर्चित शिक्षकर्मी भर्ती घोटाले मामले में साक्ष्य प्रस्तुत करने में पुलिस विभाग नाकाम रहा। न्यायाधीश प्रथम श्रेणी गरियाबंद ने सुनवाई में शामिल सभी 19 लोगों को दोष मुक्त का आदेश जारी किया है। 2007 में मैनपुर जनपद में हुई भर्ती में 16 शिक्षाकर्मी समेत 24 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज था।

 न्यायाधीश प्रथम श्रेणी गरियाबंद प्रशांत देवांगन ने गुरुवार को मैनपुर शिक्षाकर्मी भर्ती मामले के दूसरे चर्चित मामले के 190आरोपियों को दोष मुक्त कर साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया है।

आरटीआई कार्यकर्ता की शिकायत पर कार्रवाई

2007 में मैनपर जनपद में 16 शिक्षाकर्मी का चयन हुआ था। आरटीआई कार्यकर्ता कृष्ण कुमार द्वारा जानकारी लेने के बाद की गई शिकायत में जनवरी 2012 में मैनपुर थाने में 16 शिक्षाकर्मी, तत्कालीन जनपद सीईओ, चयन समिति, प्रमाण पत्र जारी कर्ता समेत कुल 24 लोगों के खिलाफ 420 समेत आईपीसी के अन्य धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया था।

19 आरोपितों के लिए न्यायाधीश ने फैसला सुनाया

गरियाबंद न्यायालय में मामले की 10 साल तक सुनवाई चली। इस बीच दो शिक्षाकर्मी फरार हुए तो चयन समिति के तीन सदस्यों की मौत हो चुकी है। सुनवाई में शामिल 19 आरोपितों के लिए न्यायाधीश ने फैसला सुनाया है। आरोपित पक्षों से मामले को पैरवी कर रहे सीनियर वकील मुर्तुजा खान साबिर, सिराज खान ने इस फैसले की पुष्टि की है।

मैनपुर भर्ती कांड के 11 आरोपियों को सुना चुके हैं सजा

वर्ष 2008 में व्यापम से हुई भर्ती में बगैर डीएड बीएड के अभ्यर्थियों को चयन परीक्षा में शामिल होने की पात्रता नहीं थी। चंदना निवासी द्वारा 2010 में किए शिकायत के गहन जांच के बाद 28 जनवरी 2012 को इस मामले में मैनपुर थाने में आईपीसी 420,467 ,468,471,120 बी के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया। मामले में 11 शिक्षाकर्मी समेत चयन समिति के 6 अफसरों को आरोपी बनाया गया था।

11 शिक्षक पाए गए थे दोषी

11 साल हुई सुनवाई 26 लोगों की गवाही के बाद फर्जी बीएड डीएड के सहारे नौकरी करने वाले 11 शिक्षक दोषी पाए गए। चयन समिति में शामिल 6 सदस्य पर दोष सिद्ध नहीं हुआ। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी प्रशांत देवांगन ने दिसंबर 2023 में फैसला सुनाते हुए सभी को 3-3 साल की सजा सुनाई और 1 हजार अर्थ दंड भी लगाया था। उच्च अदालत में दोषियों ने फैसले को लेकर अपील की है।

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