छत्तीसगढ़

गरियाबंद में 11 शिक्षक दोषी करार: 11 साल सुनवाई, 26 लोगों की गवाही और फिर कोर्ट का एक्शन, फर्जी डिग्री से नौकरी करने पर गिरी गाज

गिरीश जगत, गरियाबंद: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में बहुचर्चित मैनपुर फर्जी शिक्षा कर्मी भर्ती के एक मामले पर गरियाबंद प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रशांत कुमार देवांगन ने फैसला सुनाते हुए मामले में 11 शिक्षाकर्मियों को तीन तीन साल की सजा और एक एक हजार अर्थ दंड सुनाया। अब सभी दोषी जमानत लेने की अपील की तैयारी कर रहे हैं।न्यायालय ने मामले में 26 गवाहों के बयान दर्ज किए थे। दस्तावेजी साक्ष्य के बाद आरोपित 11 शिक्षाकर्मियों को दोषी पाया गया।

डीएड बीएड प्रमाण पत्र निकले फर्जी

वर्ष 2008 में व्यापम से हुई भर्ती में बगैर डीएड बीएड के अभ्यर्थियों को चयन परीक्षा में शामिल होने की पात्रता नहीं थी। आरोपी पिताम्बर साहू , योगेन्द्र सिन्हा, देव नारायण साहू,भेगेश्वरी साहू,हेमलाल साहू,दौलत राम साहू,संजय शर्मा,ममता सिन्हा,शंकर लाल साहू,अरविंद कुमार सिन्हा ,शिव कुमार साहू ने परीक्षा के लिए भरे गए ऑनलाइन में डीएड करना बताया। किसी तरह अपने आप को चयन सूची में शामिल भी करा लिया। सत्यापन की बारी आई तो डीएड का फर्जी प्रमाण पत्र संलग्न भी कर दिया, जिसे चयन समिति ने भी मान लिया था।

दो साल लग गए थे मामला दर्ज करने में

धमतरी जिले के चंदना निवासी आरटीआई कार्यकर्ता कृष्ण कुमार ने आर टी आई के तहत जानकारी निकाल कर उक्त 11 लोगो के द्वारा लगाए गए प्रमाण पत्र के फर्जी होने का खुलासा किया।रायपुर पुलिस अधीक्षक के समक्ष अप्रैल 2010 को इसकी लिखित शिकायत दर्ज किया। दस्तावेजों के जांच चल रहे थे इसी बीच पुलिस जिला गरियाबंद बन गया।मामले को रायपुर से गरियाबंद एसपी कार्यालय ट्रांसफर किया गया तो जांच फिर नए सिरे से शुरू हुई।

राजनीतिक सरंक्षण के चलते मामला खींचता गया

आखिरकार 28 जनवरी 2012 को इस मामले में मैनपुर थाने में आईपीसी 420,467 ,468,471,120 बी के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया।मामले में 11 शिक्षा कर्मी समेत चयन समिति के 6 अफसरों को आरोपी बनाया गया था। कुछ अफसर व महिला कर्मियो ने अग्रिम जमानत कराया था,जबकि कुछ कर्मी को जेल तक जाना पड़ा था।

भर्ती में फर्जीवाड़ा के दूसरे मामले की सुनवाई भी अंतिम चरण में

व्यापम भर्ती के अलावा जनपद मैनपुर द्वारा 2005 से 2007 के बीच शिक्षाकर्मी की भर्ती किया गया था ।इस भर्ती में भी चयन समिति ने नियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाया था।बहुचर्चित इस भर्ती में स्वीकृत पद से अतिरिक्त कर्मियो की भर्ती के अलावा अंक अर्जित करने वाले प्रमाण पत्रों में फर्जीवाड़ा किया गया था।2010 में ही मैनपुर थाने में एक और मामला दर्ज है जिसमे 23 लोगो को आरोपी बनाया गया है।इस मामले के फैसले भी जल्द आने वाले है।

82 बर्खास्त जिसमें 2 लोगों ने वापस पा लिया नौकरी

जनपद द्वारा नियुक्ति किए गए शिक्षा कर्मियों में जांच के बाद 82 लोगो 2015 में बर्खास्त किया गया था,जिनमें 5 किसी तरह स्टे ले आए,इनमे से केवल 2 लोग वापस नौकरी में घुस भी गए।नौकरी पाने वाले एक महिला शिक्षक का वेतन जनवरी 2023 से रोक दिया गया है,जबकि दूसरे की जांच पड़ताल जोरो पर है।

कार्रवाई की तलवार इसलिए दुधारू बने हुए हैं जवाबदार के लिए

मैनपुर जनपद द्वारा हुए भर्ती में फर्जी दस्तावेज की श्रेणी में 129 शिक्षा कर्मी भी है ,जिन पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।ये 129 कर्मी शिक्षक नेता,जिम्मेदार अफसर व कुछ नेताओं के लिए दुधारू गाय की तरह बने हुए हैं।

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