MP में बीबी और दलाल गांव की कहानी: मध्य प्रदेश में कई गावों के नाम अतरंगी, जानिए वहां के गांववाले नामों को लेकर क्या कहते हैं ?
The story of Bibi and Dalal village in MP: आपने कई बार शहरों और गांवों के अजीबोगरीब नाम सुने और देखे होंगे, लेकिन मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और सिवनी जिले में कई ऐसे गांव हैं। यहां के नाम बताने में ग्रामीण भी शर्म महसूस करते हैं। ये नाम सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे। आखिर क्यों लोग अपने गांव का नाम बताने में शर्म महसूस करते हैं। जानिए इस रिपोर्ट में…
बीवी, दलाल और टुरिया का स्वागत है
मध्य प्रदेश के सिवनी में कई गांवों के ऐसे नाम हैं, जिन्हें बताने और सुनने वाले को भी शर्म आती है। सिवनी विकासखंड में दलाल नाम का गांव है, तो छपारा में बीवी, लखनादौन में बरबटी और कहानी गांवों के नाम हैं।
दलाल गांव के बुजुर्ग सुमेर चंद ने बताया कि उनके गांव का नाम दलाल इसलिए पड़ा क्योंकि काफी समय पहले इस गांव का मुखिया मवेशियों का व्यापार करता था। इससे उसे कमीशन मिलता था। इसी वजह से इस गांव का नाम दलाल पड़ा। हालांकि, दूसरे गांव का नाम बीवी क्यों पड़ा, इसकी कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।
छिंदवाड़ा में भैंसा, कबाड़िया, चांद और न्यूटन
छिंदवाड़ा में भी कुछ ऐसे अजीबोगरीब गांव के नाम हैं। इनमें हर्रई विकासखंड का भैंसा, छिंदवाड़ा का कबाड़िया, चौरई का चांद, परासिया का न्यूटन शामिल हैं। न्यूटन की कहानी के बारे में लोग बताते हैं कि न्यूटन नाम का एक अंग्रेज इंजीनियर कोयले की खदान का सर्वे करने यहां आया था।
फिर उसने सरकारी क्वार्टर बनवाए और यहीं रहने लगा। फिर उसके साथ कई और मजदूर भी यहां रहने लगे। इस इलाके का नाम न्यूटन पड़ा। वहीं, छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा विकासखंड में नरसिंहपुर रोड पर एक गांव है, जिसका नाम भैंसा है।
इस नाम के पीछे की कहानी पर ग्रामीण बताते हैं कि पहले यहां कई भैंस व्यापारी हुआ करते थे आज यहां भैंस और गाय बड़ी संख्या में पाली जाती हैं। दूर-दूर से लोग इस गांव में भैंस खरीदने आते थे। जिसके कारण लोग इस गांव को भैंसा कहने लगे। तभी से इस गांव का नाम भैंसा पड़ा।
इसके साथ ही छिंदवाड़ा जिले में एक गांव कबाड़िया आता है। यह शहर से 2-3 किलोमीटर दूर स्थित है। इस बारे में बुजुर्ग ग्रामीण बताते हैं कि छिंदवाड़ा पहले छोटा शहर था। जिसके कारण शहर का कचरा शहर से दूर एक गांव के पास फेंका जाता था। जिसके कारण लोग इस गांव को कबाड़िया कहने लगे, तभी से इसका नाम कबाड़िया पड़ गया।
नाम बदलने के लिए कई बार पंचायत में लाया गया प्रस्ताव
दलाल और बीवी नाम वाले गांवों में नाम बदलने के लिए कई बार पंचायत में प्रस्ताव लाया गया, लेकिन सरकारी मामलों के कारण इन गांवों का नाम नहीं बदला जा सका। अब एक गांव अपने नाम की वजह से ज्यादा चर्चा में रहता है। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि वे लगातार इन गांवों का नाम बदलने की कोशिश कर रहे हैं।
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