Chhattisgarh husband wife dispute High Court divorce granted: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पत्नी द्वारा बार-बार आत्महत्या करने की कोशिश और धमकी को पति के प्रति मानसिक क्रूरता करार दिया है। डिवीजन बेंच ने पति की तलाक याचिका स्वीकार कर ली है। उसे आदेश दिया है कि वह दो माह के भीतर पत्नी को गुजारा भत्ता के तौर पर 5 लाख रुपए दे। दोनों 2018 से अलग रह रहे थे। जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की बेंच ने मामले की सुनवाई की।
महिला ने तीन बार आत्महत्या करने की कोशिश की थी। उसने छत से कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश की, फिर गैस ऑन कर खुद को किचन में बंद कर लिया, इसके कुछ दिन बाद उसने अधिक मात्रा में कफ सिरप पीकर आत्महत्या करने की कोशिश की।
दोनों ने चर्च में की थी शादी
दुर्ग जिले के एक युवक की शादी 28 दिसंबर 2015 को बालोद की एक युवती से हुई थी। दोनों की शादी चर्च में हुई थी। शादी के बाद पति-पत्नी साथ रहने लगे। शादी के बाद पत्नी एक निजी कॉलेज में नौकरी करने लगी। उसे हर महीने 22 हजार रुपए सैलरी मिलती थी। जिसमें से वह 10 हजार रुपए अपने माता-पिता के घर भेजती थी। लेकिन, पति ने कभी इस बात का विरोध नहीं किया।
पत्नी का व्यवहार बदलने लगा
पति का आरोप है कि नौकरी लगने के बाद उसकी पत्नी का व्यवहार बदल गया। वह अपने माता-पिता पर ज्यादा ध्यान देने लगी। वह अपने भाई को भी अपने साथ रखने लगी। जब उसका भाई बिना किसी कारण के वापस चला गया। तब पत्नी का व्यवहार बदल गया। वह पति से दूरी बनाने लगी और आत्महत्या करने की धमकी देने लगी।
तीन बार की आत्महत्या की कोशिश, देती थी धमकी
जिसके बाद महिला पति से विवाद करने लगी। वह हर दिन आत्महत्या करने की धमकी देने लगी। इसी बीच पहली बार उसने रसोई का दरवाजा बंद कर गैस ऑन कर दी। खुद को जलाकर आत्महत्या करने की धमकी दी। किसी तरह पति ने उसे मनाया और दरवाजा खुलवाया।
इसके बाद उसने फिर नशीली कफ सिरप पीकर आत्महत्या करने की कोशिश की। इस बार भी पति ने उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया। तब किसी तरह उसकी जान बच पाई। जिसके बाद उसने छत से कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश की।
परेशान होकर पति ने तलाक के लिए अर्जी दी
पत्नी के इस व्यवहार से पति परेशान हो गया। आखिरकार उसने फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी लगाई। फैमिली कोर्ट ने पति की दलीलों को नजरअंदाज करते हुए तलाक की अर्जी खारिज कर दी।
पति ने हाईकोर्ट में अपील की
जिसके बाद पति ने फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। वहीं, उसकी पत्नी ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए याचिका दायर की। जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की बेंच में दोनों मामलों की सुनवाई हुई। इस दौरान पति की ओर से अधिवक्ता ने दलील दी कि पति-पत्नी का रिश्ता जीवनसाथी के रूप में होता है।
इसमें किसी भी तरह का गलत व्यवहार दोनों के लिए नुकसानदेह होता है। अगर पति या पत्नी में से किसी के मन में आशंका है तो साथ रहना मुश्किल है। इस मामले में पति-पत्नी 2018 से अलग-अलग रह रहे हैं। ऐसे में पत्नी के क्रूर व्यवहार के कारण पति मानसिक दबाव में है। उनका साथ रहना संभव नहीं है।
पत्नी को दो महीने के अंदर चुकाने होंगे 5 लाख
इस मामले की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। जिसके बाद हाईकोर्ट ने कहा कि बार-बार आत्महत्या की धमकी देना पति के साथ क्रूरता के समान है। इस मामले में पति के पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि उसकी पत्नी ने बार-बार आत्महत्या की धमकी दी थी। ऐसी स्थिति में कोई भी जीवन साथी शांति से नहीं रह सकता। हाईकोर्ट ने मानसिक क्रूरता के आधार पर पति की तलाक की अपील को स्वीकार कर लिया है। साथ ही पति को दो महीने के भीतर पत्नी को 5 लाख रुपये स्थायी गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।
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