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गरियाबंद में ओडिशा के ‘पुष्पा गैंग’ की चली कुल्हाड़ी: SDO और डिप्टी रेंजर की सांठगांठ से सागौन की कटाई, 350 पन्नों में पेड़ों के कत्ल की सीक्रेट कहानी

गिरीश जगत, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद के उदंती सीतानदी अभ्यारण्य सागौन पेड़ों की तस्करी को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। परिक्षेत्र अधिकारी और सहायक वन संरक्षक की मिलीभगत का खुलासा हुआ है। उपनिदेशक वरुण जैन की जांच रिपोर्ट में तस्करों से सांठगांठ कर पेड़ों को बलि चढ़ाने की बात सामने आई है। अब लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवई की तलवार लटक गई है।

Teak trees were cut in Gariaband with connivance of SDO and Deputy Ranger: रिसगांव परिक्षेत्र के दक्षिण साल्हेभाठ बिट में कई साल पुराने और ऊंचे सागौन के हरे भरे सैकड़ो पेड़ों को काट दिया गया। ओडिशा नवरंगपुर की सीमा से लगे हुए इस इलाके में सक्रिय ‘पुष्पा गैंग’ सक्रिय है, जो अभ्यारण्य के दागी अफसर और कर्मियों से मिलीभगत कर कटाई को लगातार अंजाम दे रहे थे। उपनिदेशक वरुण जैन द्वारा पीसीसीएफ को 30 जनवरी को सौंपे गए 350 पन्ने की रिपोर्ट में दागी अफसरों के काले कारनामे का जिक्र प्रमाण सहित किया गया है.

SDO और डिप्टी रेंजर पर लटकी तलवार

रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए वरुण जैन ने बताया कि सितंबर से लेकर जनवरी तक हुई कार्रवाई के दरम्यान पाए गए कई तकनीकी तथ्य के अलवा मुखबिर से मिली सूचना की पुष्टि किए जाने के बाद हमने तीन महीने तक सूक्ष्मता से कड़ियों को जोड़कर पड़ताल की, जिसमें एसडीओ मेहतर राम साहू, डिप्टी रेंजर देवशरण साहू, वन रक्षक केशव पांडेय और दैनिक वेतन भोगी निमेश यादव की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से संलिप्तता पाई गई. जिसकी विस्तृत रिपोर्ट भेज कार्रवाई की अनुशंसा की गई है.

सितंबर में इमारती लकड़ी के बरामद होने बाद शुरू हुई जांच

Teak trees were cut in Gariaband with connivance of SDO and Deputy Ranger:  26 सितंबर को नवरंगपुर जिले के सोनपुर गांव में अभ्यारण्य की एंटी पोचिंग टीम ने कई घरों में छापेमारी कर सागौन के लाखों रुपये के चिरान और फर्नीचर बरामद किया था. यह इलाका टाइगर रिजर्व की सीमा से 15 से किमी की दूरी पर था. पूछताछ में पता चला कि ये सागौन अभयारण्य के कोर इलाके से आ रहे हैं. बताया गया कि पश्चिम बंगाल से जुड़े ये कारीगर फर्नीचर को ओडिशा की नामी जगह के अलावा आंध्र प्रदेश और कलकत्ता के कारोबारियों को सप्लाई करते हैं.

Teak trees were cut in Gariaband with connivance of SDO and Deputy Ranger:  एंटी पोचिंग टीम के मुखबिर ने तस्करी के इस बड़े खेल में विभागीय मिलीभगत के संकेत भी दे दिए. इसी दिन से उपनिदेशक वरुण जैन की टीम ने मामले की पड़ताल शुरू कर दी थी. वरुण जैन ने इस इनपुट के बाद पहले तो खल्लारी बिट का निरक्षण किया. जहां समान्य कटाई के अवशेष मिले थे.

कार्रवाई के बाद टूटा सप्लाई नेटवर्क

सोनपुर से मिले नेटवर्क के बाद एंटी पोचिंग टीम ने सप्लाई नेटवर्क के अलावा संलिप्त लोगों पर नजर रखनी शुरू कर दी थी. कुछ जगह नए मैदानी कर्मी भी तैनात कर दिए गए. इसी बीच 25 दिसंबर को साल्हेभाठा बीट में तैनात नए वन चौकीदार उदय राम ने लकड़ी काटने के औजार से लैस 15 साइकिल से ओडिशा के गिरोह के कोर एरिया में प्रवेश की सूचना डिप्टी रेंजर देवशरण साहू को दी. लेकिन वे अन्य कार्य में व्यस्तता बताकर कार्रवाई से न केवल इंकार कर दिया, बल्कि तस्करों को पूजा पाठ के लिए आए सामान्य ग्रामीण बताकर चौकीदार को गुमराह करने की कोशिश भी की.

उपनिदेशक ने पीसीसीएफ को सौंपी रिपोर्ट में बताया है कि वन चौकीदार से मिली सूचना के बाद इंटी पोचिंग टीम ने सागौन स्लीपर ले जाने वाले 15 साइकिल सवार आरोपियों को रोका. दो दिन तक चली कार्रवाई में 15 साइकिल के साथ केवल तीन आरोपी हाथ लगे. सूचना के आधार पर जब वरुण जैन की टीम ने साल्हेभाठा बीट का निरीक्षण किया तो वहां 250 से ज्यादा पेड़ कटे मिले.

135 पेड़ रिकवर किए गए. तस्कर ज्यादातर पेड़ ला जा चुके थे. रिसगांव परिक्षेत्र के सीमावर्ती अन्य 3 बीट में हुई पेड़ों की कटाई की गिनती बाकी है. जांच में पता चला कि ये कटाई पिछले 6 महीने से हो रही थी. इसमें ओडिशा के कांडतरा और राजपुर के एक गिरोह का हाथ था. जो पुष्पा गैंग की तर्ज पर जंगलों से इमारती ले जाकर सोनपुर के बंगाली कारीगरो को बेचते थे.

फरार हो गए आरोपी

रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह जिम्मेदार अफसर तस्करों को शह देते रहे. 26 दिसंबर को पकड़ाए तीनों आरोपियों को रिसगांव कार्यलय लाया गया था. पूरी कार्रवाई की जानकारी एसडीओ मेहतर साहू को एंटी पोचिंग टीम ने दी थी. नियम से पकड़े गए आरोपियों का बयान एसडीओ को दर्ज करना था. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

Teak trees were cut in Gariaband with connivance of SDO and Deputy Ranger:  ओड़िशा दबिश देने के दरम्यान भी एसडीओ साहू ने वारंट की प्रकिया पूरी नहीं की थी. जिसके चलते कार्रवाई में देरी हुई और इसका लाभ उठाकर कुछ आरोपियों को संभलने का मौका मिला. लापरवाही की हद तो तब हो गई जब एसडीओ की मौजूदगी में उसके चहेते डिप्टी रेंजर देवशरण साहू की हिरासत से दो तस्कर भागने में सफल हो गए.

वनकर्मी निमेष यादव के पेट्रोलिंग एप के डेटा से पता चला कि वह राजपुर इलाके में कार्रवाई के पहले कई महीने से बार-बार ओडिशा अनजान किया है. बर्खास्त वन रक्षक केशव पांडेय को भी दी गई सुरक्षा की जिम्मेदारी और मिली कई सूचनाओं से उसकी भी संलिप्तता पाए जाने का जिक्र रिपोर्ट में है.

Teak trees were cut in Gariaband with connivance of SDO and Deputy Ranger:  ये भी बताया गया है कि एसडीओ साहू द्वारा कार्य के प्रति निष्ठावान अन्य कर्मी अफसरों को शनिवार और रविवार को फील्ड में नहीं जाने के लिए उप वनमंडल के विभागीय वाट्सएप ग्रुप में कहा जाता है. जिसका स्क्रीन शॉट भी रिपोर्ट में संलग्न किया गया है.

कार्रवाई से बचने शिकायत का हथकंडा

मिलीभगत की भनक लगते ही अभ्यारण्य प्रशासन ने पुलिस की मदद लेनी शुरू कर दी. धमतरी साइबर सेल की मदद से एंटी पोचिंग टीम ने सागौन तस्करों के खिलाफ जनवरी में भी कार्रवाई जारी रखा. अब तक 7 तस्कर को जेल भेजा जा चुका है. 11 अब भी फरार हैं. मिलीभगत के आरोपित एसडीओ पर शिकंजा कसता देख एसडीओ एमआर साहू ने एंटी पोचिंग और वरुण जैन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए पीसीसीएफ से शिकायत की.

हाथी और नक्सल प्रभावित इलाके का हवाला देकर टीम की सक्रियता को भी गलत ठहराने की कोशिश एसडीओ ने अपने शिकायत में की है. तस्करों से लड़ने उपनिदेशक द्वारा रिसगांव रेंज में रेंज अफसर की नियुक्ति और नए कर्मियों की तैनाती पर भी एसडीओ सवाल खड़ा करते रहे. इतना ही नहीं वन कर्मचारी निमेष यादव को मोहरा बनाकर सिहावा थाना में शिकायत की गई है. जिसमें उपनिदेशक वरुण जैन और टीम पर मारपीट गाली गलौच का आरोप लगाया गया है. जिसकी जांच जारी है.

मामले में एसडीओ मेहतर राम साहू ने अपने पर लगे सारे आरोपों को निराधार बताया और कहा की जैन के खिलाफ मैंने प्रमाणों के साथ शिकायत की है. पद के अनुरूप कार्य नहीं करते, त्रुटि पूर्ण कार्रवाई करते आ रहे हैं. कर्मचारियों के साथ उचित व्यवहार नहीं कर रहे. विभागीय जांच और कार्रवाई नहीं हुई तो न्यायालय में जाऊंगा.

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