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सरपंच-सचिव की बकरा-मुर्गा पार्टी की कहानी: बिल लगाकर सरकार से वसूले पैसे, जानिए कैसे खुला चिकन-मटन कांड का राज ?

Sarpanch-secretary organized goat-cock party with government money in Balrampur: छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में शनिवार को सरकारी खर्च पर बकरों और मुर्गियों की दावत देने का मामला सामने आया. ग्रामीणों ने अपने सरपंच और सचिव की शिकायत कलेक्टर से की है. मामला ग्राम पंचायत भेलवाडीह का है.  

Sarpanch-secretary organized goat-cock party with government money in Balrampur: दरअसल, साल 2017 में ग्राम पंचायत भेलवाडीह के तत्कालीन सरपंच सचिव पर ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) कार्यक्रम के दौरान मुर्गों और बकरियों का बिल लगाकर पंचायत फंड का दुरुपयोग किया गया था.

ग्रामीण कई वर्षों से अपनी शिकायत लेकर अधिकारियों के पास पहुंच रहे हैं, लेकिन अब तक मामले की कोई जांच नहीं हुई है, जिससे ग्रामीण आहत हैं. ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में भी सरपंच और सचिव ने पंचायत में फर्जीवाड़ा किया था, जिसकी शिकायत भी की गई थी. अभी तक कोई जांच नहीं हुई है.

Sarpanch-secretary organized goat-cock party with government money in Balrampur: अब जब बकरा और मुर्गे का मामला कलेक्टर के संज्ञान में आया तो उन्होंने जिला पंचायत सीईओ को इसकी जांच के निर्देश दिए. जिला पंचायत सीईओ ने बताया कि जिला स्तरीय टीम गठित कर दी गई है और जांच पूरी होने के बाद कार्रवाई की जाएगी.

ग्रामीणों ने क्या कहा?

ग्रामीण बिगन प्रसाद सिंह ने बताया कि सरपंच सचिव ने कई लाख रुपये का गबन किया है. कई बार शिकायत की गई। कोई जांच नहीं की गई. शौचालय निर्माण के दौरान बकरी व मुर्गियां खाने का बिल लगाया गया, जो उचित नहीं है.

ये 6-7 साल पुराना मामला है. अब मैं शिकायत करते-करते थक गया हूं. इसकी शिकायत पूर्व कलेक्टर से भी की गई थी। इसकी शिकायत जनपद सीईओ से भी की गई. कई जगह शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।

जांच के लिए टीम गठित

एक अन्य ग्रामीण अमरदेव ने बताया कि शौचालय निर्माण कार्यक्रम के दौरान सरपंच सचिव द्वारा मुर्गी व बकरी का बिल लगाया गया, जो उचित नहीं है. कई बार शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस मामले में 4-5 अधिकारी भी शामिल हैं.

इधर, जिला पंचायत सीईओ रैना जमील ने कहा कि ग्रामीणों से शिकायत मिली है, जिसकी जांच के लिए टीम गठित की गई है. जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। जब तक जांच नहीं हो जाती तब तक कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा.

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