Navratri 2023: मां गढ़कालिका के उपासक थे कवि कालिदास, तंत्र साधना का केंद्र है मंदिर, दर्शन से मिलती है सफलता
मां गढ़कालिका
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उज्जैन का गढ़कालिका मंदिर अत्यंत प्राचीन है। माना जाता है कि इसकी स्थापना महाभारत काल में हुई थी, लेकिन मूर्ति सतयुग काल के समय की है। मंदिर का जीर्णोद्धार सम्राट हर्षवर्धन द्वारा करवाया गया था। जिसका शास्त्रों में उल्लेख मिलता है। यह कवि कालिदास की उपासक देवी भी हैं। जो कि तंत्र-मंत्र की देवी के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। कालिका माता के प्राचीन मंदिर को गढ़कालिका के नाम से भी जाना जाता है। देवियों में तंत्र साधना के लिए कालिका को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। गढ़कालिका के मंदिर में मां कालिका के दर्शन के लिए रोज हजारों भक्त आते हैं। नवरात्रि में गढ़कालिका देवी के दर्शन मात्र से ही अपार सफलता मिलती है।
कपड़े के नरमुंड चढ़ाए जाते हैं
वैसे तो गढ़कालिका का मंदिर शक्तिपीठ में शामिल नहीं है, किंतु उज्जैन क्षेत्र में मां हरसिद्धि शक्तिपीठ होने के कारण इस क्षेत्र का महत्व बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यता है कि आज भी यहां कपड़े के बनाए गए नरमुंड चढ़ाए जाते हैं और प्रसाद के रूप में दशहरे के दिन नींबू बांटा जाता है। मान्यता है कि घर में ये नींबू रखने से सुख शांति बनी रहती है। इस मंदिर में तांत्रिक क्रिया के लिए कई तांत्रिक मंदिर में आते हैं। इन नौ दिनों में माता कालिका अपने भक्तों को अलग-अलग रूपों में दर्शन देती हैं।
मां गढ़कालिका के आर्शीवाद से कालिदास को मिला था महाकवि का दर्जा
गढ़कालिका मंदिर, गढ़ नाम के स्थान पर होने के कारण गढ़कालिका हो गया है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर मां के वाहन सिंह की प्रतिमा बनी हुई है। कालिका मंदिर का जीर्णोद्धार ईस्वी संवत 606 में सम्राट हर्ष ने करवाया था। मान्यता है कि महाकवि कालिदास गढ़ कालिका देवी के उपासक थे। ऐसी मान्यता है कि एक बार कालिदास पेड़ की जिस डाल पर बैठे थे उसी को काट रहे थे। इस घटना पर उनकी पत्नी विद्योत्तमा ने उन्हें फटकार लगाई, जिसके बाद कालिदास ने मां गढ़कालिका की उपासना की। वे इतने ज्ञानी हो गए कि उन्होंने कई महाकाव्यों की रचना कर दी और उन्हें महाकवि का दर्जा मिल गया। कालिदास के संबंध में मान्यता है कि जब से वे इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने लगे तभी से उनके प्रतिभाशाली व्यक्तित्व का निर्माण होने लगा। उज्जैन में प्रत्येक वर्ष होने वाले कालिदास समारोह के आयोजन के पूर्व मां कालिका की आराधना भी की जाती है।