गिरीश जगत, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद बीजेपी में गहरी खाई खुद गई है. राजिम में भाजपा प्रत्याशी चयन के बाद कई बड़े चेहरे नाराज हैं। कई बड़े नेता प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव द्वारा किए गए केंद्रीय चुनाव कार्यलय के उद्घाटन में भी नजर नहीं आए. साव ने दो टूक में कह दिया कि प्रत्याशी नहीं बदलेगा. भाजपा एक परिवार है. नाराज सदस्यों को मना लिया जाएगा.
कौशिक के सामने निकाली भड़ास
दरअसल, राजिम विधानसभा में प्रत्याशी के ऐलान के बाद भाजपा नेताओं में फैली नाराजगी अब सार्वजनिक हो चुकी है. 6 सितंबर को छुरा रेस्ट हाउस में धरमलाल कौशिक के समक्ष भड़ास निकालने के दिन भाजपा के सभी चेहरे नजर आ रहे थे,लेकिन आज भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के कार्यक्रम में ये चेहरे फिर एक बार नदारद दिखे.
नाराजगी के बीच आज एक बार फिर राजिम में बड़े नेता की उपस्थिति नजर नहीं आई. पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष राम कुमार साहू, पूर्व विधायक संतोष उपाध्याय, पूर्व जीप अध्यक्ष श्वेता शर्मा, प्रदेश प्रवक्ता संदीप शर्मा जैसे कई दिग्गज नहीं दिखे.
अब तक प्रत्याशी चयनित हो चुके विधानसभाओं में आज पहले चुनावी केंद्रीय कार्यालय का उद्घाटन था. जहां ज्यादा विवाद वही पहला कार्यालय खोल आलाकमान ने यह संकेत भी दे दिया है कि निर्णय बदलेगा नहीं.
नहीं बदलेगा प्रत्याशी
मीडिया के सवाल के जवाब में अरुण साव ने भी तो टूक कहा कि प्रत्याशी बदलेगा नहीं. भाजपा एक परिवार है. परिवार के सदस्य नाराज हो तो उन्हें मना लिया जाता है.हम सब मिलकर रोहित साहू को जिताएंगे.
पूर्व बैठकों में दिखी थी नाराजगी
प्रत्याशी ऐलान के बाद उपजे नाराजगी को दूर करने लगातार किसी न किसी बहाने राजिम में बड़े नेताओं का दौरा हो रहा है. 4 अगस्त को राष्ट्रीय कैडर के नेता रायपुर संभाग के चुनाव प्रभारी दिलीप जायसवाल राजिम में बैठक लेने पहुंचे थे, लेकिन बड़े नेताओं ने बायकॉट कर दिया. 27 अगस्त को मध्यभारत मध्य भारत क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल की बैठक से भी दूरी बनाई गई, जो मौजूद रहे उन्होंने ने भी नाराजगी जाहिर की.
राजिम के 35 चेहरे अपेक्षित
30 अगस्त को विधानसभा प्रभारी दीपक महस्के ने बैठक आहूत की. कोर कमेटी और जिला पदाधिकारी मिलाकर राजिम के 35 चेहरे अपेक्षित थे, लेकिन 10 चेहरे भी बैठक में शामिल नहीं हुए थे.
हालाकि पार्टी सूत्रों का दावा है कि समय के साथ साथ नाराजगी रखने वालों की संख्या भी घट रही है. आज प्रदेश अध्यक्ष की मौजूदगी में भले ही बड़े चेहरे नदारद दिखे पर जमीनी कार्यकर्ताओं की भीड़ बता रहा है कि भाजपा में छाई धुंध धीरे धीरे छट रही है.
स्थानीय भाजपाई क्यों नही पचा पा रहे रोहित को
2000 में पहले सी एम बने अजीत जोगी के रोहित साहू करीबी थे, तब रोहित सेमरतरा के सरपंच थे. कहा जाता है किसी न किसी तरीके से जोगी सरकार के कार्यकाल में राजिम के भाजपाई प्रताड़ित थे. रोहित को जोगी कांग्रेस ने 2018 का राजिम प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा था.
रोहित 23, 776 वोट लेकर भाजपा के बाद तीसरे स्थान पर रहे. इस चुनाव में भी रोहित भाजपा के लिए वोट काटू साबित हुए थे. रोहित नवंबर 2021 में भाजपा प्रवेश तो कर लिए, लेकिन आज भी भाजपा के स्थानीय नेता रोहित को भाजपाई नहीं मानते. अब बड़े नेताओं के मान मन्नवल के बाद भाजपाई नेता कैसे और कितना समर्थन रोहित को करते हैं, यह चुनाव परिणाम तय करेगा.
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