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Hasdeo Aranya में कितने पेड़ों की बलि ? कोल ब्लॉक में पेड़ कटाई का विरोध, पुलिस-ग्रामीणों में झड़प में बहा खून, जानिए क्या बोले कांग्रेसी ?

Opposition to tree felling in coal block of Hasdeo Aranya: सरगुजा जिले में आज उदयपुर क्षेत्र के ग्राम साल्ही स्थित परसा कोयला खदान व अन्य समीपवर्ती क्षेत्रों को लेकर तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। गुरुवार सुबह से ही सैकड़ों पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में इन क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई का काम चल रहा है। ग्रामीण व हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य पेड़ काटने का विरोध कर रहे हैं।

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पुलिस व ग्रामीणों के बीच झड़प

इस प्रदर्शन में पुलिस व ग्रामीणों के बीच झड़प हो गई, जिसमें दोनों पक्षों के लोग घायल हुए हैं। पुलिस के हमले में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य रामलाल के सिर में चोट आई है। जिससे वह घायल हो गया है।

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इस घटना से ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ गया। पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में कुछ पुलिस अधिकारी, कर्मचारी व कुछ ग्रामीण भी घायल हुए हैं। पुलिस ने घायलों को सीएचसी उदयपुर पहुंचाया है।

हसदेव अरण्य विवाद काफी समय से चल रहा है

हसदेव अरण्य क्षेत्र में प्रस्तावित कोयला खदान को लेकर विवाद काफी समय से चल रहा है। सरकार को बिजली उत्पादन के लिए कोयले की जरूरत होती है, इसलिए राजस्थान सरकार को सरगुजा के हसदेव क्षेत्र से कोयला खनन की अनुमति दी गई है। यह कोयला राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को लेना है।

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दूसरी ओर, सरगुजा के स्थानीय ग्रामीण नहीं चाहते कि उनके जंगल काटे जाएं। यह विवाद सालों से चल रहा है। ग्रामीण लगातार विरोध कर रहे हैं। इधर कोयला कंपनी भी ग्रामीणों को संतुष्ट करने के लिए हर तरह की सुविधा देने में लगी हुई है।

इस मामले में राजनीतिक दलों की भूमिका काफी नाटकीय नजर आ रही है। जब पार्टी सत्ता में होती है, तो कोयला खदान खोलने के पक्ष में काम करती है। जैसे ही पार्टी विपक्ष में आती है, तो कोयला खदान के विरोध में हो जाती है।

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वर्तमान में भी सत्ताधारी दल पर जंगल काटने का आरोप लग रहा है। हसदेव अरण्य को लेकर इस तरह की राजनीति काफी समय से चल रही है, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकल रहा है। परिणामस्वरूप अब विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया है।

कांग्रेस ने खोला मोर्चा

पेड़ों की कटाई और ग्रामीणों व पुलिस के बीच झड़प को लेकर एक बार फिर कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस ने कहा है कि अडानी के प्रभाव और पैसे के आगे छत्तीसगढ़ के आदिवासियों का खून सस्ता हो गया है।

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आज सरकार के निर्देश पर भारी संख्या में पुलिस बल परसा गांव के जंगलों में पेड़ों को काटने के लिए पहुंचा है। अपने जंगल बचाने आए आदिवासियों पर बेरहमी से लाठियां बरसाई जा रही हैं।

प्रियंका गांधी ने उठाए सवाल

इस बीच, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा है कि पूरे देश में आदिवासियों पर अत्याचार करना भाजपा की नीति बन गई है। सदियों से जंगलों के मालिक रहे आदिवासियों को बेदखल किया जा रहा है ताकि अडानी जी की खदानें चल सकें।

प्रियंका गांधी ने यह भी सवाल उठाया कि क्या छत्तीसगढ़ में संविधान की पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों को समाप्त कर दिया गया है? इसके तहत आदिवासियों को संरक्षित क्षेत्रों से बेदखल किया जा रहा है। क्या आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन तथा पैतृक विरासत के अधिकार फर्जी प्रक्रियाओं के जरिए तय किए जाएंगे?”

आदिवासियों की जमीन छीनने का आरोप

वहीं, छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव ने कहा है कि हसदेव अरण्य में पुलिस बल का दुरुपयोग कर आदिवासी भाई-बहनों की जमीन छीनने का प्रयास असंवैधानिक और अन्यायपूर्ण है।

जबकि आदिवासी आयोग ने स्पष्ट रूप से प्रस्ताव दिया था कि आदिवासियों के जंगल और जमीन को जबरन नहीं छीना जा सकता, लेकिन फर्जी ग्राम सभा के आधार पर ये अत्याचार किए जा रहे हैं। सिंहदेव ने यह भी कहा है कि ”हिंसा और बल का प्रयोग निंदनीय है। यह जंगल सैकड़ों वर्षों से इन मूल निवासियों का घर रहा है।

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