नरसिंहपुर। मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के करेली के जोबा गांव की रहने वाली तपस्या परिहार 2018 बैच की आईएएस हैं. आईएएस ने IFS अधिकारी गरवित गंगवार से शादी की है. इसमें सबसे बात यह है कि यह शादी बिना कन्यादान के हुआ है. इसलिए महिला आईएएस अधिकारी की बगैर कन्यादान की रस्म वाली शादी सुर्खियों में है.
परिवार और ससुराल वालों की मिली सहमति
इस शादी को लेकर ज्यादा चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि ये सब घरवालों और ससुराल वालों की रजामंदी से हुआ है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार पिता अपनी बेटी को बेटी के रूप में दूल्हे के पक्ष में दान कर देता है. इस अनुष्ठान के तहत किया गया दान महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन तपस्या का मानना है कि बचपन से ही समाज की इस विचारधारा के बारे में मेरी अलग सोच थी कि कोई बेटी को कैसे दान कर सकता है, वह भी बिना मर्जी के. मैंने यही बात अपने परिवार को बताई, उन्हें समझाने में समय लगा, लेकिन वो मान गए. दूल्हे पक्ष ने भी मान लिया कि शादी बिना बेटी दिए भी की जा सकती है.
‘कोई मुझे कैसे दान कर सकता है’
तपस्या का कहना है कि अगर दो परिवार एक साथ शादी कर लेते हैं, तो बड़ा, छोटा या ऊंचा और नीचा होना सही नहीं है. किसी को दान क्यों देना चाहिए और जब मैं शादी के लिए तैयार हुई तो मैंने भी घरवालों से चर्चा कर कन्यादान की रस्म को शादी से दूर रखा. वहीं तपस्या के पति आईएफएस गरवित भी बताते हैं कि शादी के बाद लड़की को पूरी तरह से क्यों बदलना पड़ता है.
आईएफएस गरवित का कहना है कि बात चाहे डिमांड भरने की हो या कोई ऐसी परंपरा जिससे साबित हो जाए कि लड़की शादीशुदा है. लड़के के लिए इस तरह की रस्में कभी लागू नहीं होती हैं. उनका मानना है कि इस तरह की रस्मों को लड़की को पिता के घर या उसकी संपत्ति से बेदखल करने की साजिश के तौर पर देखा जाता है.
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