मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का नगर निगम जबलपुर को आदेश, याचिकाकर्ता कर्मचारी को दें 25 हजार रुपये हर्जाना
(सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
पदोन्नति देने में गलती करने के बावजूद भी कर्मचारी को एरियर्स सहित अन्य लाभ नहीं दिए जाने को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। हाईकोर्ट जस्टिस आनंद पाठक की एकलपीठ ने एक माह की समय अवधि में याचिकाकर्ता कर्मचारी को 25 हजार रुपये हर्जाने के तौर पर प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि उक्त रकम नगर निगम दोषी अधिकारियों से वसूलने के लिए स्वतंत्र है।
बता दें कि केके दुबे की तरफ से याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया था कि उसे साल 2011 में मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक के पद पर पदोन्नत किया गया था। नगर निगम में इस तरह का कोई पद नही है। इस संबंध में उसने संभागायुक्त तथा नगरीय प्रशासन विभाग को अभ्यावेदन दिया था। अभ्यावेदन पर कार्रवाई करते हुए निगमायुक्त जबलपुर को वरिष्ठ स्वास्थ्य निरीक्षक के पद पर पदस्थ करने के आदेश जारी किए गए थे। वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी पर पदोन्नत नहीं किए जाने पर उसने हाईकोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट ने उसके पक्ष में आदेश पारित किया था। हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं होने पर उसने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी।
बताया गया कि नगर निगम द्वारा साल 2011 से पदोन्नति वेतन का लाभ नहीं दिए जाने के कारण उक्त याचिका दायर की गई है। एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि पदोन्नति देने में नगर निगम ने गलती की है। एकलपीठ ने साल 2011 से पदोन्नति वेतन व एरियर्स सहित अन्य लाभ के साथ याचिकाकर्ता को 25 हजार रुपये हर्जाने के रूप में प्रदान करने के आदेश जारी किए हैं। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता विकास महावर ने पैरवी की।