MP Budget Session: विधानसभा अध्यक्ष ने बताई पटवारी के निलंबन की वजह, कहा- बोलते कुछ हैं करते कुछ हैं


विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम
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मध्य प्रदेश विधानसभा में गुरुवार के बाद भी शुक्रवार भी हंगामेदार रहा। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने सदन की कार्यवाही 13 मार्च तक स्थगित कर दी है। इसके बाद कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के निलंबन से लेकर कई अन्य मसलों पर विधानसभा अध्यक्ष ने मीडिया से बातचीत की। कांग्रेस के हर आरोप और अपने कदमों पर जवाब भी दिया।
प्रश्नः आपके खिलाफ कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है, इस पर क्या कहना चाहेंगे?
गिरीश गौतम: अविश्वास प्रस्ताव शुक्रवार को नहीं आया है। नियमों के तहत अविश्वास प्रस्ताव साढ़े सात से दस बजे तक देना होता है। सुबह ग्यारह बजे आसंदी की तरफ जाते समय प्रस्ताव दिया गया। जो भी नियम है, उसकी प्रक्रिया के तहत कार्यवाही होगी। तारीख भी हम ही तय करेंगे। जब संकल्प की बहस के लिए तारीख लगेगी, तब कोई दूसरा पीठासीन अधिकारी बैठेगा। प्रावधान के अनुसार प्रस्ताव आने के 14 दिन बाद का कोई दिन चर्चा हो सकती है। (यानी इस मामले में 17 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है।)
प्रश्नः जीतू पटवारी के निलंबन की कार्यवाही को कांग्रेस एकतरफा बता रही है?
गिरीश गौतमः पटवारी ने पटल पर कुछ रखा और बात कुछ और ही कहीं। जब उन्हें चुनौती दी गई तो उन्हें स्वीकार करना चाहिए था। आप रिकॉर्डिंग देख सकते हैं। विधानसभा पब्लिक मंच नहीं है। विधानसभा मर्यादा, परंपरा, प्रक्रिया, नियम और कानून से चलती है। विधानसभा में ज्यादा बोलने का अधिकार सदन के नेता और नेता प्रतिपक्ष को ही है। कई बार भाषा की मर्यादा होती है। हम व्यंग्य और कटाक्ष से किसी को नहीं रोकते। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए कि सदन की गरिमा को ही खंडित कर दिया जाए। फिर भी निलंबित करने का प्रस्ताव आने पर मैंने उसे नहीं माना था। मैंने कहा था कि यह तमाम संसदीय गरिमा को ठेस पहुंचाएगा। मैंने खेद व्यक्त करने का निर्देश दिया था। पटवारी ने कहा कि हम खेद भी व्यक्त नहीं करेंगे।
प्रश्नः कांग्रेस का कहना है कि उनकी बात को नहीं सुना जा रहा है?
गिरीश गौतमः यदि आपको लगता है कि विधानसभा में आपकी बात को नहीं सुना जा रहा है तो आपके पास कई तरीके हैं। आज सदस्य गर्भगृह में आकर मेरे और सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे। मैंने उनसे आग्रह किया कि अपनी सीट से लगाएंगे तो भी रिकॉर्ड होगा। आप नारा लगाइए। उसमें भी संसदीय गरिमा को बनाए रखने की जिम्मेदारी हम सभी की है।
प्रश्नः सज्जनसिंह वर्मा ने नियमावली को फाड़कर फेंका?
गिरीश गौतमः सबसे पहले अपने आचरण को ठीक करना होगा। फिर दूसरे से अच्छे आचरण की अपेक्षा करें। आप कह रहे हैं कि नरोत्तम मिश्रा ने किताब फेंकी। फिर आपने किताब ही फाड़ दी। एक तरफ उसी किताब के नियम के आधार पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं और दूसरी तरफ उसे ही फाड़कर फेंक रहे हों। मैं समझता हूं कि यह ठीक नहीं है। नियम-प्रक्रिया के अनुसार देखकर ही कोई कार्रवाई होगी।
प्रश्नः कांग्रेस का आरोप है कि जान-बूझकर सत्र छोटे और स्थगित किए जा रहे हैं?
गिरीश गौतमः मैं पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में जाता हूं। मेरी मांग को पूरे देश ने स्वीकार किया है। संविधान में विधानसभा को छह माह में बुलाने का वर्णन है। इसकी बाध्यता नहीं हैं। मैंने यह कहा है कि नियम प्रक्रिया/संविधान में संशोधन हो। लोकसभा को 100 से 110 दिन चलाया जाए। बड़ी विधानसभा को 70 से 80 दिन और छोटी विधानसभा को 40 से 50 दिन चलाया जाए। सत्र कम से कम तीन महीने में एक बार बुलाया जाए। इसका मतलब यह नहीं है कि तारीखों के आधार पर हल्ला-गुल्ला कर समय बर्बाद करें। वह कहते है कि हमें अवसर नहीं मिलता। मैं हूं ना। सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया तो रात 12 बजकर 40 मिनट तक भी सदन चलाया। इसके बावजूद कोई बोलने वाला नहीं बचा।
प्रश्नः जीतू पटवारी के निलंबित करने के निर्णय को क्या वापस लिया जा सकता है?
गिरीश गौतमः आसंदी का आदेश है। उस पर विचार किया जा सकता है।
प्रश्नः विपक्ष की तरफ से संसदीय कार्य मंत्री के खिलाफ अवमानना का प्रस्ताव दिया गया है?
गिरीश गौतमः प्रस्ताव आएगा तो देखेंगे। ऐसा पहले भी हुआ है। अभी हमें कुछ भी लिखकर नहीं दिया गया है।