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MP News: दमोह में भी ऐसे सास-ससुर, विधवा बहू के लिए रिश्ता तलाशा, शादी का जिम्मा उठाया, बेटी बनाकर किया विदा

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मध्य प्रदेश के दमोह जिले से भी ऐसे सास-ससुर सामने आए हैं, जो समाज के लिए मिसाल बने हैं। उन्होंने अपने बेटे की मौत के बाद विधवा बहू का दर्द समझा और फिर से उसका घर बसाने की ठानी। बेहतर से बेहतर रिश्ता तलाशा, शादी का जिम्मा उठाया और घर से बेटी की तरह विदा किया। बता दें कि खंडवा जिले के सास-ससुर ने भी अपनी विधवा बहू का पुनर्विवाह किया था।

जानकारी के अनुसार दमोह शहर की सरस्वती कॉलोनी में रहने वाले विनोद जैन का बेटा साहुल सात साल पहले साथ छोड़ गया था। साहुल का विवाह 2011 में हुआ था। शादी के चार साल बाद ही उसकी बीमारी में मौत हो गई थी। बहू की उदासी देख उन्होंने कुछ समय तक को बेटी की तरह रखकर हर खुशी देने का प्रयास किया। फिर उन्होंने उसका घर फिर से बसाने का ठाना। बीच में विनोद की बायपास सर्जरी के कारण मामला आगे बढ़ गया। जब विनोद ठीक हुए तो फिर से वे बहू के लिए रिश्ता तलाशने में जुट गए। 

सागर के रहने वाले एक परिवार से बहू का रिश्ता तय किया। दो दिन पहले वर पक्ष दमोह पहुंचा और रीति-रिवाज से शादी की गई। दमोह  के वीरांगना अवंती बाई भवन में संस्कृत के विद्वान रिटायर प्रोफेसर भागचंद भागेंद्र ने देव शास्त्र गुरु को साक्षी मानकर विवाह कराया। उपस्थित लोगों ने वर वधू को आशीर्वाद दिया। शादी की सारी रस्में ससुराल वालों ने बहू के माता-पिता बनकर निभाईं। सभी लोगों ने विनोद जैन के इस प्रयास की काफी प्रशंसा की। 

खंडवा में भी हुआ ऐसा ही विवाह
खंडवा जिले में भी सास-ससुर ने विधवा बहू के लिए पति तलाशा तो विधुर दामाद की भी शादी कराई। बहू को सास-ससुर ने बेटी मानकर और दामाद के सास-ससुर ने बेटा मानकर दोनों की आपस में शादी करवाई। इस जोड़े ने शादी के कुछ साल बाद ही अपने-अपने जीवनसाथी को खो दिया था। पढ़ें पूरी खबर…

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मध्य प्रदेश के दमोह जिले से भी ऐसे सास-ससुर सामने आए हैं, जो समाज के लिए मिसाल बने हैं। उन्होंने अपने बेटे की मौत के बाद विधवा बहू का दर्द समझा और फिर से उसका घर बसाने की ठानी। बेहतर से बेहतर रिश्ता तलाशा, शादी का जिम्मा उठाया और घर से बेटी की तरह विदा किया। बता दें कि खंडवा जिले के सास-ससुर ने भी अपनी विधवा बहू का पुनर्विवाह किया था।

जानकारी के अनुसार दमोह शहर की सरस्वती कॉलोनी में रहने वाले विनोद जैन का बेटा साहुल सात साल पहले साथ छोड़ गया था। साहुल का विवाह 2011 में हुआ था। शादी के चार साल बाद ही उसकी बीमारी में मौत हो गई थी। बहू की उदासी देख उन्होंने कुछ समय तक को बेटी की तरह रखकर हर खुशी देने का प्रयास किया। फिर उन्होंने उसका घर फिर से बसाने का ठाना। बीच में विनोद की बायपास सर्जरी के कारण मामला आगे बढ़ गया। जब विनोद ठीक हुए तो फिर से वे बहू के लिए रिश्ता तलाशने में जुट गए। 

सागर के रहने वाले एक परिवार से बहू का रिश्ता तय किया। दो दिन पहले वर पक्ष दमोह पहुंचा और रीति-रिवाज से शादी की गई। दमोह  के वीरांगना अवंती बाई भवन में संस्कृत के विद्वान रिटायर प्रोफेसर भागचंद भागेंद्र ने देव शास्त्र गुरु को साक्षी मानकर विवाह कराया। उपस्थित लोगों ने वर वधू को आशीर्वाद दिया। शादी की सारी रस्में ससुराल वालों ने बहू के माता-पिता बनकर निभाईं। सभी लोगों ने विनोद जैन के इस प्रयास की काफी प्रशंसा की। 

खंडवा में भी हुआ ऐसा ही विवाह

खंडवा जिले में भी सास-ससुर ने विधवा बहू के लिए पति तलाशा तो विधुर दामाद की भी शादी कराई। बहू को सास-ससुर ने बेटी मानकर और दामाद के सास-ससुर ने बेटा मानकर दोनों की आपस में शादी करवाई। इस जोड़े ने शादी के कुछ साल बाद ही अपने-अपने जीवनसाथी को खो दिया था। पढ़ें पूरी खबर…

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