MP में 4 लोग जिंदा जले: दो ट्रकों की भिड़ंत में खत्म हुआ परिवार, ड्राइवर बच्चों से कहकर गया था- लौटने पर मिठाई लाऊंगा
Madhya Pradesh Rewa 4 people burnt alive in collision of two trucks: मध्यप्रदेश के रीवा जिले में दो ट्रकों की भिड़ंत में चार लोग जिंदा जल गए। मृतकों में पूर्व सीआरपीएफ जवान की पत्नी और बेटा भी शामिल है। पूर्व सीआरपीएफ जवान नागपुर में प्राइवेट नौकरी करता है। उसकी पत्नी और बेटा कुछ दिन उसके पास रहने के बाद घर लौट रहे थे। शनिवार शाम हुए हादसे में दोनों ट्रकों के चालक और हेल्पर की भी मौत हो गई। ट्रक चालक के चार बच्चे हैं। सबसे छोटी बेटी महज 6 माह की है। उसने बच्चों से कहा था कि वह दो दिन में लौटेगा और लौटते समय खुरचन (मिठाई) लेकर आएगा।
ट्रक चालक रीवा से प्रयागराज जा रहा था। दूसरे ट्रक को हेल्पर चला रहा था। यह ट्रक महाराष्ट्र से रीवा आ रहा था। इसका चालक कंपनी के दूसरे ट्रक में सवार था। हेल्पर पूर्व सीआरपीएफ जवान का परिचित था, इसीलिए उसकी पत्नी और बेटा ट्रक में उसके साथ रीवा लौट रहे थे।
पत्नी और बेटे को यह कहकर गया था कि चिंता मत करो…
इंद्रपाल मुंडा (40) ने अपने इकलौते बेटे चेतन मुंडा उर्फ गोल्डी (19) और पत्नी सविता मुंडा (40) को खो दिया। दोनों शुक्रवार को नागपुर से रीवा के लिए निकले थे। वे रीवा जिले के गुढ़ के कैथा गढ़ के रहने वाले थे। इंद्रपाल ने बताया कि वे पहले सीआरपीएफ में थे। तबीयत खराब होने के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। पिता और दोनों भाई एसआरपीएफ में हैं। पत्नी और बेटा शुक्रवार को यह कहकर निकले थे कि चिंता मत करना, हम सुरक्षित पहुंच जाएंगे। दोनों गुमसुम थे।
बच्चों से कहा था दो दिन में लौट आऊंगा
ट्रक चालक संतोष केवट (33) रीवा के महसाव का रहने वाला था। परिवार की सदस्य रूपा केवट ने बताया कि संतोष उसकी भाभी का भाई था। उसके चार बच्चे चांद (10), अमन (12), बेटू (3) और 6 महीने की बेटी है। वह परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य था।
शुक्रवार दोपहर 2.30 बजे वह बच्चों से यह कहकर घर से निकला था कि दो दिन बाद लौटूंगा। लौटते समय रामपुर बाघेलान का मशहूर खुरचन लेकर आऊंगा। रूपा बताती हैं कि सूचना मिलने पर हम लोग मौके पर पहुंचे। हमने पुलिसकर्मियों से पूछा- संतोष का शव कहां है? जब उन्होंने शव को बाहर निकाला तो हम उसकी पहचान नहीं कर पाए। शव इतनी बुरी तरह जल चुका था कि हमने अपनी आंखें बंद कर लीं।
बेटा हर महीने पैसे बचाकर भेजता था…
ट्रक हेल्पर सतीश केवट (22) गढ़ का रहने वाला था। पिता राम प्रकाश केवट ने बताया कि सतीश परिवार में सबसे छोटा था, इसलिए सभी का लाडला था। वह हर महीने पैसे बचाकर भेजता था। उसने बताया कि हम गरीब परिवार से हैं। किसी महीने 2 हजार तो किसी महीने 4 हजार रुपये भेजता था। इससे उनकी छोटी-बड़ी जरूरतें पूरी हो जाती थीं और खर्च चलाने में काफी मदद मिलती थी।
ओवरटेक करते समय हुआ हादसा
प्रत्यक्षदर्शी विवेक मिश्रा ने बताया कि ओवरटेक करते समय हादसा हुआ। रीवा से प्रयागराज जा रहा ट्रक एक के बाद एक तीन वाहनों को ओवरटेक कर रहा था। तीन ट्रकों को ओवरटेक करने के बाद जैसे ही वह टायर की दुकान के पास पहुंचा तो उत्तर प्रदेश की तरफ से आ रहे ट्रक को देखकर चालक घबरा गया। इसलिए उसने ट्रक को सड़क से नीचे उतारने का प्रयास किया।
ट्रक नीचे खाई होने के कारण नीचे नहीं उतारा जा सका। तब तक वह सामने से आ रहे ट्रक से टकरा गया। कुछ ही देर में दोनों ट्रकों के गियर बॉक्स में आग लग गई। आग की लपटें बढ़ती ही जा रही थीं। अगर ड्राइवर जल्दबाजी में ट्रक को ओवरटेक न करता तो इतना बड़ा हादसा नहीं होता।
पुलिस 45 मिनट देरी से पहुंची और फायर ब्रिगेड 1 घंटे बाद पहुंची
घटनास्थल के पास रेस्टोरेंट चलाने वाले विवेक ने बताया कि टक्कर के बाद एक आदमी ट्रक से कूदकर भाग गया। उसके बाएं पैर का अंगूठा कटा हुआ था। मैंने उससे पूछा कि क्या वह ट्रक का ड्राइवर है तो वह आदमी बिना कुछ बताए भाग गया। हादसे के बाद हमें चीखने-चिल्लाने की आवाजें सुनाई दीं। हम सड़क की तरफ भागे। जाकर देखा तो ट्रकों के गियर बॉक्स में आग लग गई थी। पहले हमने करीब 20 मिनट तक बाल्टी में पानी भरकर आग बुझाने की कोशिश की। फिर हमने अपने ढाबे से पाइप बिछाया ताकि आग बुझा सकें।
हमारे पास लंबा पाइप नहीं था। इसलिए हमने छोटे पाइप जोड़कर ट्रक तक पहुंचाया। फिर हमने आग बुझाना शुरू किया। तब तक आग दूसरी तरफ भी फैल चुकी थी। टायरों में भी आग की लपटें उठने लगीं। टायर कभी भी फट सकता था, इसलिए हम लोग वहां से हट गए। पुलिस 45 मिनट देरी से मौके पर पहुंची। पुलिस ने फायर ब्रिगेड को बुलाया। घटना के करीब एक घंटे बाद फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची। अगर फायर ब्रिगेड की टीम समय पर पहुंच जाती तो स्थिति पर जल्द काबू पाया जा सकता था।
सिंगल लेन वाली सड़क पर आए दिन होते हैं हादसे
स्थानीय निवासी विजय मांझी ने बताया कि चार लोग जिंदा जल गए। इसलिए सभी का ध्यान इस ओर गया। लेकिन, इस सड़क पर आए दिन हादसे होते रहते हैं। इसको लेकर स्थानीय लोगों ने कई बार आवाज उठाई है। इसका सबसे बड़ा कारण सड़क का सिंगल लेन होना है। यहां हर महीने चार से पांच सड़क हादसे होते हैं। रतहरा बाईपास से चोरहटा बाईपास तक सड़क को चौड़ा करने की जरूरत है, क्योंकि सभी बड़े वाहन इसी मार्ग से गुजरते हैं।
Read more- Landmines, Tanks, Ruins: The Afghanista Taliban Left Behind in 2001 29 IAS-IPS