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MP में एक और VYAPAM की दस्तक ! अब PGDM कोर्स में सामने आया फर्जीवाड़ा, सरकार को लगा करोड़ों का चूना

भोपाल। व्यापमं VYAPAM के दाग मध्यप्रदेश Madhya Pradesh के माथे से अभी पूरी तरह साफ भी नहीं हुए हैं कि प्रदेश के शिक्षा जगत में एक और नया फर्जीवाड़ा सामने आ गया है. मामला पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट यानी (PGDM) कोर्स से जुड़ा है, जिसमें फीस नियामक कमेटी के तत्कालीन अधिकारियों ने काॅलेज संचालकों से सांठगांठ कर सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगा दिया.

प्रवेश एवं शुल्क विनियामक कमेटी के पूर्व अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखते हुए राज्य सरकार और यूनिवर्सिटी से बिना अनुमति लिए प्रदेश के 15 काॅलेजों को पीजीडीएम का कोर्स कराने की मान्यता दे दी, जिसके बाद प्रदेश में ऐसे काॅलेजों की संख्या बढ़कर 110 हो गई है.

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ऐसे हुआ पूरा फर्जीवाड़ा

  • मध्यप्रदेश के प्राइवेट काॅलेज साल 2017 से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट यानी पीजीडीएम कोर्स संचालित कर रहे हैं.
  • इस व्यवसायिक कोर्स (प्रोफेशनल कोर्स) की खासियत यह है कि बाजार की जरूरतों को देखते हुए इसका पाठ्यक्रम काॅलेज स्तर पर ही डिजाइन किया जाता है. परीक्षा भी काॅलेज स्तर पर ही होती है. डिप्लोमा सर्टिफिकेट भी काॅलेज ही देता है.
  • खास बात यह है कि इस डिप्लोमा कोर्स के लिए काॅलेजों ने न तो सरकार से कोई अनुमति ली है और न ही किसी विश्वविद्यालय से संबद्धता (एफिलिएशन).
  • ऐसे में काॅलेज खुद मुख्तार होकर अपनी मनमर्जी से डिप्लोमा सर्टिफिकेट बांट रहे हैं.
  • इस कोर्स पर न तो सरकार का नियंत्रण का और न किसी यूनिवर्सिटी का इसलिए काॅलेजों ने अपनी मनमर्जी से सीटें भरी और उसमें भी खास तौर से उन स्टूडेंट्स को एडमिशन दिखाया, जो स्काॅलरशिप के पात्र हैं.
  • सूत्रों का दावा है कि कॉलेजों ने इस कोर्स के लिए सामान्य श्रेणी के 5 फीसदी स्टूडेंट्स को भी एडमिशन नहीं दिया.
  • नियम के मुताबिक किसी भी काॅलेज में 50 फीसदी से ज्यादा स्टूडेंटस को किसी कोर्स विशेष में स्कॉलरशिप नहीं दी जा सकती, लेकिन यहां सिर्फ स्काॅलरशिप के लिए ही एडमिशन दिए गए और यहीं से गड़बड़ी की शुरूआत हुई.
  • प्रदेश के कुछ बड़े काॅलेजों ने 2018 में प्रवेश एवं शुल्क विनियामक कमेटी से इस कोर्स की फीस तय करने के लिए आवेदन किया.
  • उस समय कमेटी के सचिव डाॅ. आलोक चैबै थे. चैबे ने 26/06/2018 को आयोजित प्रवेष एवं शुल्क विनियामक समिति की बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव रखा जिसे पास भी कर दिया गया.

अब अधिकारी दे रहे सफाई

जब इस संबंध में प्रवेश एवं शुल्क विनियामक कमेटी के मौजूदा अध्यक्ष प्रो. रविन्द्र रामचंद्र कन्हारे से बात की, तो उन्होंने कहा कि पीडीजीडी कोर्स को एआईसीटीई (All India Council for Technical Education) ने उसे अनुमति दी है. काॅलेज अपने स्तर पर एडमिशन ले रहा है, अपने स्तर पर परीक्षा ले रहा है और खुद ही सर्टिफिकेट भी दे रहा है.

हमें उनकी प्रमाणिकता समझ नहीं आती. जब उनसे सवाल किया गया कि इसकी फीस कैसे तय की दी गई तो उन्होंने कहा फीस उनके इंफ्रस्ट्रक्चर के आधार पर तय होती है. उधर इस मामले में फीस नियामक कमेटी के तत्कालीन ओएसडी डाॅ. आलोक चैबे का कहना है कि पूरी प्रक्रिया को अपनाया गया है.

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