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आदिवासियों की थाली: ताकत और फुर्ती के साथ लंबी उम्र का राज, स्वाद शानदार, बनाना भी आसान

कोरोना के बाद पूरी दुनिया स्वास्थ्य के प्रति बेहद जागरूक हो गई है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी ने भी मिलेट्स यानी मोटे अनाज के उपयोग पर जोर दिया है। इंदौर में चल रहे जी 20 कार्यक्रम में मिलेट्स के फायदों को बताया जा रहा है और दुनियाभर के डेलिगेट्स भी इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभ को समझ रहे हैं। इस कार्यक्रम के लिए इंदौर के आष्टांग आयुर्वेदिक कॉलेज ने एक विशेष थाली बनाई है जिसका स्वाद सभी को बेहद पसंद आ रहा है। इसकी सभी चीजों को कॉलेज की टीम ने खुद तैयार किया है। 



आयुर्वेद और पुरातन भोजन का संयोजन है यह थाली

टीम की लेक्चरर डॉ प्रीति हरदेनिया और लेक्चरर डॉ अनुरुचि सोलंकी ने बताया कि इस थाली को आयुर्वेद के सिद्धांतों और पुरातन आदिवासी भोजन को ध्यान में रखते हुए तैयार किया है। उन्होंने बताया कि आज भी आप देखेंगे कि आदिवासी कितने फुर्तीले, मजबूत और लंबी उम्र जीने वाले होते हैं। इसकी सबसे प्रमुख वजह यही है कि वे मिलेट्स से बनी चीजें ही खाते हैं। मोटा अनाज न सिर्फ अधिक मात्रा में जरूरी तत्वों को देता है बल्कि फाइबर अधिक होने की वजह से पेट भी ठीक रखता है। 

थाली में क्या क्या है खास

ज्वार का पराठा, मक्का रोटी, बाजरा रोटी, रागी के अप्पे, रागी का हलवा, मसाला छांछ, बाजरे के लड्डू, रागी के लड्डू, मोरधन के लड्डू, बाजरे का खिचड़ा, मसाला छाछ, पालक साग, कॉर्न चाट, धनिया-पौधीना, इमली-गुड़, चने-नारियल की चटनी, रागी के अप्पे।

बिस्किट, कप केक जैसी चीजें भी तैयार की

टीम ने मिलेट्स से बिस्किट, कप केक और लड्डू जैसी कई यूनीक चीजें भी तैयार की हैं जो बच्चों को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं। टीम ने बताया कि यह सभी चीजें घरों में बेहद आसानी से बनाई जा सकती हैं बस हमें इसकी जानकारी नहीं है इसलिए हम इसे बना नहीं पा रहे हैं। 

 


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