मध्यप्रदेशस्लाइडर

IGNTU अमरकंटक में शोधार्थियों का जमावड़ा: देश के अलग-अलग हिस्से से पहुंचे रिसर्चर्स, कुलपति प्रकाश मणि त्रिपाठी बोले- शोध व्यवहारिक और समाजोपयोगी होना चाहिए

अमरकंटक। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातिय विश्वविद्यालय अमरकंटक में शिक्षा विभाग, पर्यटन विभाग तथा सांख्यिकी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित 10 दिवसीय अनुसंधान क्रियाविधि कार्यशाला का शुभारंभ हुआ. इस दौरान इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के कुलपति प्रो श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने संबोधित किया.

विदित हो कि इस कार्यशाला में देश के कुल 30 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं, जिसमें 10 प्रतिभागी आयोजक विश्वविद्यालय के शोधार्थी हैं. 10 शोधार्थी मध्य प्रदेश से हैं और अन्य 10 विद्यार्थी संपूर्ण भारत से आए हुए हैं. शोधार्थी कर्नाटक, केरल, आगरा, लखनऊ, इलाहाबाद, ग्वालियर, सागर, महाराष्ट्र, छतरपुर, बिलासपुर तथा दिल्ली आदि विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए हुए हैं.

शोधार्थियों की विविधता के साथ ही इस 10 दिवसीय कार्यशाला में शोध के विभिन्न आयामों पर प्रस्तुतीकरण दिया जाएगा, जिसमें शोध तकनीकी निर्माण, प्रक्रिया तथा विश्लेषण सॉफ्टवेयर ‘R’ पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा. कार्यक्रम के अंत में आयोजक समिति के सदस्य तथा सांख्यिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. एस बालास्वामी ने धन्यवाद ज्ञापन किया. उद्घाटन सत्र में पर्यटन विभाग के सहायक प्राध्यापक तथा आयोजक सदस्य डॉ. जयप्रकाश नारायण द्वारा मंच संचालन किया गया.

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति मौलिक शोध, अंतर-विषय शोध शिक्षा को बढ़ावा देती है. शोधार्थी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए की शोध व्यवहारिक और समाजोपयोगी हो, जिससे समाज और राष्ट्र सीधे तौर पर लाभान्वित हो सके.

उन्होंने कहा कि शोध यथार्थ हो और यह क्रमबद्ध होने के साथ ही तथ्य सत्य को पोषित करे. वर्तमान में मार्केट सोसाइटी को ह्यूमन सोसाइटी में बदलने की आवश्यकता है. हमारे सामाजिक संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता है. आज आवश्यकता है कि पश्चिम देशों के जीविता सिद्धांत को त्याग कर भारतीय दर्शन के सहजीविता के सिद्धांत को बढ़ावा दिया जाए. आज के समय में जनजातीय समुदाय के परंपरागत ज्ञान पर शोध करने की नितांत आवश्यकता है.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित भाभा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो दिलीप कुमार डे ने अपने उद्बोधन में आंकड़ों के महत्व पर जोर डालते हुए कहा कि वर्तमान में जिस व्यक्ति या देश के पास सर्वाधिक आंकड़े या डाटा उपलब्ध हैं, वह सर्वाधिक शक्तिशाली होने का दावा करते हैं.

प्रो डे ने आंकड़ों के महत्व, उसकी व्यापकता को बताने के साथ ही विश्व तथा भारत की जनसांख्यिकीय प्रोफाइल प्रस्तुत करते हुए इस पर चिंता जाहिर की है. साथ ही इनके द्वारा सांख्यिकी के विभिन्न पहलुओं और विधियों पर प्रकाश डाला गया.

Read more- Landmines, Tanks, Ruins: The Afghanistan Taliban Left Behind in 2001 29 IAS-IPS

Advertisements
Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
%d bloggers like this: