
ग्राउंड जीरो से पुरुषोत्तम पात्र/गिरीश जगत की रिपोर्ट
Chhattisgarh Gariaband Bhaludigi Naxalite Encounter Inside Story: कुल्हाड़ी घाट ये वह पंचायत है, जिसके आश्रित गांव भालू डिग्गी के जंगल में फोर्स ने 16 नक्सलियों (Bhaludigi Naxalite Encounter ) को मार गिराया। नक्सली खाना-पानी के जुगाड़ में गांव के करीब आए थे। इसी बीच फोर्स ने इन्हें ट्रायंगल शेप के एंबुश में घेर लिया। भालू डिग्गी सबसे सेफ जोन था। यहीं से 3 राज्यों के नक्सल कुनबे (Naxalite Encounter Inside Story) पर कंट्रोल था।
Gariaband Bhaludigi Naxalite Encounter Inside Story
भालू डिग्गी में पिछले 78 घंटे से जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ चल रही है। बुधवार देर रात तक 16 नक्सलियों की डेडबॉडी रिकवर कर (Bhaludigi Naxalite Encounter Inside Story) ली गई है। मारे गए नक्सली में 1 करोड़ का इनामी जयराम रेड्डी उर्फ अप्पाराव भी है। यह सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM) कैडर का था। MPCGTIMES.COM की ग्राउंड रिपोर्ट में पढ़िए गरियाबंद के सबसे बड़े नक्सली ऑपरेशन की इनसाइड स्टोरी…
सर्चिंग पर निकले कोबरा बटालियन के जवान से MPCGTIMES.COM के रिपोर्टर की बातचीत
सवाल- आप लोग कब से निकले थे?
जवाब– हमें 2-3 दिन हो गए निकले हुए। 19 तारीख को निकले थे।
सवाल- सर, कितने नक्सली मारे गए होंगे?
जवाब- अभी तक तो देखिए डेडबॉडी का कोई हिसाब नहीं है, हम लोग मारते गए हैं। पीछे से बॉडी रिकवर करने वाली अलग टीम है। आंकड़े उच्च अधिकारी बता पाएंगे।
सवाल- सर, 2 दिन किस तरह से स्ट्रगल किए?
जवाब- खाना कल खत्म हो गया था, लेकिन ये सब तो चलता रहता है ऐसे ऑपरेशन में
सवाल- नक्सलियों के पास AK-47 होने की बात कही जा रही है?
जवाब- रिकवर हुआ होगा तो उच्च अधिकारी बताएंगे। हां उस तरफ से फायरिंग तो आ रही थी।
अब जानिए नक्सलियों ने क्यों जमाया था डेरा ?
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद का कुल्हाड़ी घाट गांव दूसरी बार सुर्खियों में है। पहली बार जब 39 साल साल पहले 14 जुलाई 1985 में राजीव गांधी आए थे। वहीं दूसरी बार जब जवानों ने नक्सलियों के 20 साल का वर्चस्व खत्म किया। नक्सली लीडर इस प्वाइंट से ओडिशा, आंध्रप्रदेश और छत्तीसगढ़ इन तीन राज्यों के अपने कुनबे को कंट्रोल करते थे।
Bhaludigi Naxalite Encounter Inside Story
डेंस फॉरेस्ट और ऊंचाई के चलते पिछले 20 साल से ये इलाका अप्पाराव और उसके साथियों के लिए सेफ जोन बना हुआ था। यही कारण है कि टॉप कैडर के लीडर्स यहां लंबे समय से अपना डेरा जमाते रहे हैं। इन सबके बीच हमारी टीम भी ग्राउंड जीरो पर पहुंची।
अब जानिए उस गांव और नक्सल मूवमेंट के बारे में
वैसे इन गांवों के ऊपर पहाड़ी का जो हिस्सा है, वहां नक्सली मूवमेंट मार्क होते हैं। जहां बड़ी–बड़ी खाई और कई वॉटरफॉल के सोर्स हैं।
Bhaludigi Naxalite Encounter Inside Story
इसके अलावा तीन गांव पहाड़ी के नीचे बसे हैं। जिस जगह पर मुठभेड़ हुई उस टोले का नाम भालू डिग्गी है, जो पहाड़ पर बसा हुआ है। टोले की कुल आबादी सिर्फ 102 है।
सप्ताह में एक दिन ही पहाड़ के नीचे उतरते हैं ग्रामीण
जो आबादी पहाड़ी पर बसी हुई है, वो सप्ताह में केवल एक दिन ही राशन पानी लेने नीचे–उतरती है। ये लोग घोड़े और खच्चर के सहारे सप्ताहभर का राशन एक बार में ही पहाड़ों के पर लेकर जाते हैं। इसके बाद इनका नीचे वाले लोगों और उनकी जिंदगी से कोई वास्ता नहीं रहता।
अब जानिए जवानों को कैसे मिली नक्सलियों की खबर
कुल्हाड़ी घाट से ठीक तीन किलोमीटर पहले CRPF का बेस कैंप है। रविवार रात जवानों को नक्सलियों की जानकारी मिली। राशन पानी के जुगाड़ में अप्पाराव अपनी प्रोटेक्शन टीम के साथ भालू डिग्गी टोले के करीब डेरा जमाया हुआ है।
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हालांकि ऐसा बहुत कम ही होता है कि CC लेवल का कोई नक्सली अपना सेफ जोन छोड़कर किसी गांव के करीब डेरा जमा ले। बताया जा रहा है कि रात का वक्त होने के चलते ये लोग गांव को सेफ जोन मानकर रुक गए होंगे।
SOG ने ओडिशा का रूट किया ब्लॉक
इसके बाद बिना देर किए रात को ही ई–30 (जिला गरियाबंद के जवान), कोबरा 207, CRPF 65 और 211 नंबर की बटालियन मौके के लिए रवाना हुई, लेकिन पेंच ये था कि भालू डिग्गी से ओडिशा केवल 5-6 किमी की दूरी पर है।
Bhaludigi Naxalite Encounter Inside Story
एक तरफ से हमला होता तो नक्सली सेफली ओडिशा की ओर निकल जाते। ऐसे में ओडिशा के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) के जवानों को काम पर लगाया गया। ओडिशा वाले छोर को SOG ने ब्लॉक कर दिया।
तीन तरफ से घिर गए थे नक्सली
अब नक्सलियों के पास अंतिम विकल्प बस्तर की ओर जाने का बचा था, लेकिन इस ओर से जंगल और पहाड़ी के रास्ते उन्हें सेफ जोन तक पहुंचने में कम से कम 150 किलो मीटर की दूरी तय करनी होती, जिसमें 2 से 3 दिन का समय लगता।
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वहीं कोई नक्सली हाथ से निकल न जाए इसका ध्यान रखते हुए फोर्स ने एक टोली की तैनाती इस छोर पर भी की थी। इस तरह एक ट्रायंगल शेप के एंबुश में जवानों ने नक्सलियों को घेर लिया।
नक्सलियों ने की पहले फायरिंग
जब टीम भालू डिग्गी पहुंची तो अधिकतर नक्सली सिविल कपड़ों में थे। ऐसे में पहचाना मुश्किल था, लेकिन जवानों को करीब आता देख 2 महिला नक्सलियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें CRPF का एक जवान घायल हो गया।
इसके बाद जवानों ने भी पोजिशन ली। ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। दोनों महिला नक्सलियों की गोली लगने से मौके पर ही मौत हो गई। इस बीच अन्य ग्रामीणों को सेफ जोन में शिफ्ट किया गया।
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सबसे पहले ओडिशा की तरफ भागे नक्सली
फायरिंग शुरू होते ही बाकी नक्सली भी हमलावर हो गए। इन लोगों ने ओडिशा की तरफ भागने की कोशिश की, लेकिन कैजुअल्टी हुई। इसके बाद नक्सलियों ने रूट बदला और बस्तर की ओर आगे बढ़ने लगे। इस रास्ते पर छत्तीसगढ़ के जवानों के साथ उनकी 30 घंटे तक मुठभेड़ चली।
मिशन से लौटे जवानों ने बताया कि नक्सलियों की संख्या 30 के करीब थी। 27 को गोली लगी है। सर्च ऑपरेशन और फायरिंग कुछ इलाकों में जारी है। इस इलाके से नक्सलियों का सफाया कर ही मानेंगे।
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