Gajendra Rao: शहीद गजेंद्र राव, जिनके बूढ़े मां बाप को 17 साल बाद मिलेगा आशियाना, जानिए दर्द-ए-दास्तां
17 साल बाद मिलेगा आशियाना
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
महाकाल की नगरी उज्जैन से देश भक्ति का शंखनाद पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है। वहीं, बेटे की शहादत के कई साल बीत जाने, शासन-प्रशासन के तमाम आश्वासनों और वायदों से निराश हो चुके शहीद गजेंद्र सुर्वे के बूढ़े माता-पिता के लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा है। शासन-प्रशासन की आशा देखते हुए थक चुकी इन वीर माता-पिता की बूढ़ी आंखें उस वक्त खुशी से नम हो गईं, जब मिशन के संस्थापक मोहन नारायण और युवाओं ने उनके सर्वोच्च त्याग के सामने खुद को समर्पित कर दिया और कृतज्ञता स्वरुप उनके लिए सम्मान की छत का भूमिपूजन किया।
शहीद की वीर माता ने बताया कि बेटे की शहादत के बाद शासन-प्रशासन ने कई वायदें तो किए, लेकिन कोई सहायता नहीं मिली। हमारे पास जमीन तो थी, लेकिन इतने पैसे नहीं कि घर बना सकें। शहीद समरसता मिशन के मोहन भइया की मदद से हमारे मकान का काम आज शुरू हो रहा है। हमें प्रसन्नता है देश में कोई तो है, जो शहीद परिवारों का अपना परिवार मान कार्य कर रहा है। आज मेरा शहीद बेटा गजेंद्र यह देखकर बहुत खुश हो रहा होगा, मेरा जो सपना वो अधूरा छोड़ गया था, वो इन बेटों ने पूरा कर दिया।
लद्दाख में वीरगति को प्राप्त हुए थे गजेंद्र…
शहीद गजेंद्र सुर्वे दो फरवरी 2006 को लद्दाख में वीरगति को प्राप्त हुए थे। उनकी शहादत के बाद से ही परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था। इसकी जानकारी जब शहीद समरसता मिशन को मिली तो वह शहीद के परिवार की मदद को अपना कर्तव्य समझते हुए आगे आया और भवन निर्माण के लिए अभियान शुरू किया है, जिसमें बीते दिनों कालिदास अकादमी मैदान में हजारों युवाओं के बीच शौर्यांजलि समारोह में लगभग 10 लाख रुपये के सामाजिक सहयोग की घोषणा हो चुकी है।
मिशन के उज्जैन समन्वयक प्रकाश माली ने बताया कि जिन परिवार ने अपने घर का चिराग, इस देश को रोशन करने के लिए न्योछावर कर दिया हो, उस परिवार को कोई कुछ क्या दे सकता है। हमने मिशन ने संस्थापक मोहन नारायण के मार्गदर्शन में शहीद के परिवार के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए ‘वन चेक वन साइन फॉर शहीद’ अभियान शुरू किया है, जिससे एकत्रित सम्मान राशि से शहीद गजेंद्र राव सुर्वे के परिवार के लिए 15 लाख रुपये की लागत से सर्व सुविधा युक्त भवन का निर्माण पूरा कराया जाएगा। साथ ही गृह प्रवेश के साथ पांच लाख की सम्मान राशि भी भेंट की जाएगी। इस पूरे अभियान में लगभग 20 लाख रुपये की सम्मान राशि एकत्र की जाएगी। यह वीरभूमि पूजन आज दो फरवरी को उनके बलिदान दिवस पर किया गया है और आने वाले 15 अगस्त तक इस भवन को पूर्ण कर शहीद के परिवार का ससम्मान गृहप्रवेश कराया जाएगा।
इस दौरान मिशन के संस्थापक मोहन नारायण ने कहा कि शहीद का परिवार, हमारा परिवार है और उनकी सुख सुविधाओं का ध्यान रखना, उनके सुख-दुख में उनके साथ खड़े होना यह हम हर भारतीयों का कर्तव्य है। क्योंकि उस परिवार ने इस राष्ट्र, समाज और हमारी सुरक्षा के लिए अपना सर्वोच्च त्याग किया है। हम शहीद समरसता मिशन के माध्यम से हर शहीद के परिवार तक पहुंचकर उसकी समस्त समस्याओं का समग्र समाधान समाज के सहयोग से करने का काम बीते 15 साल से करते आ रहे हैं और यह कार्य तब तक अनवरत जारी रहेगा, जब तक कि देश के हर एक शहीद के परिवार को सम्मानित जीवन हम प्रदान न कर देते। उनकी समस्याओं का समाधान नहीं कर देते। हमारी देश की संसद से मांग है कि वो शहीदों और उनके परिवारों के हित में कानून बनाए। हर शहीद की शहादत पर उसके परिवार को एक करोड़ की सम्मान राशि देने का प्रावधान करे और इस कानून का लाभ आजादी से अब तक शहीद हुए 36,000 से अधिक शहीदों के परिवारों को भी प्राथमिकता से प्रदान करें। क्योंकि देश इन शहीदों के सर्वोच्च बलिदानों और इनके वीर परिवारों के सर्वोच्च त्याग पर ही खड़ा हुआ है। इसकी सेवा ही हमारी पहली प्राथमिकता होना चाहिए।
अपने आप में अनोखे और देश के हर नागरिक के लिए प्रेरणादायक इस वीर भूमि पूजन कार्यक्रम में मिशन के उज्जैन संरक्षक डॉ. कात्यायन मिश्र, समन्वयक प्रकाश गौड़, राजेंद्र भारती, सुखदेव सिंह गुम्मन, पूजा विमल चावड़ा, सत्यनारायण चौहान, गब्बर भाटी, श्याम माली, नरेंद्र सिंह और धर्मेंद्र सिंह समेत मिशन के कई साथी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन अशोक वैष्णव ने किया, आभार प्रदीप दातोदिया ने व्यक्त किया।
साल 2007 से कार्य कर रहे शहीद समरसता मिशन की उपलब्धियां…
मिशन के प्रयासों से देश में कई सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। साल 2013 में दिल्ली सरकार, साल 2015 में मध्यप्रदेश सरकार और साल 2022 में पंजाब सरकार ने राज्य के शहीदों को एक-एक करोड़ की सम्मान राशि देने को लेकर कानून बनाए हैं। इसी कड़ी में दिल्ली स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक, भारत का निर्माण, कई राज्यों में स्टेट वॉर मेमोरियल का निर्माण, चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम अमर शहीद भगत सिंह के नाम पर किया जाना, वन रैंक वन पेंशन योजना में संशोधन, अंडमान-निकोबार के 21 द्वीपों का नाम परमवीर चक्र से सम्मानित शहीदों के नाम कर करना और जम्मू-कश्मीर के 57 स्कूल व सड़कें शहीदों के नाम पर होना, इत्यादि शामिल है।