Former Kodagaon Collector Neelkanth Tekam Will Join Bjp: कोंडागांव जिले के पूर्व कलेक्टर नीलकंठ टेकाम बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. वह 23 अगस्त को बीजेपी में शामिल होंगे. वे बुधवार को केशकाल में बीजेपी प्रभारी ओम माथुर के सामने बीजेपी की सदस्यता लेंगे.
आईएएस नीलकंठ टेकाम ने भी पहले वीआरएस के लिए आवेदन किया था. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी उन्हें विधानसभा का टिकट भी दे सकती है. टेकाम केशकाल या कोंडागांव से चुनाव लड़ सकते हैं.
छात्र राजनीति से आईएएस तक का सफर
बस्तर में कांकेर जिले का अंतागढ़ सराईपारा नीलकंठ टेकाम का मूल निवास है। यहीं उनकी स्कूली शिक्षा भी हुई, जिसके बाद उन्होंने 1990 के दशक में कांकेर जिले के सरकारी सरकारी कॉलेज से समाजशास्त्र में एमए किया. यहां उनके कुशल नेतृत्व के कारण छात्र संघ के अध्यक्ष भी चुने गये.
उन्होंने वर्ष 1994 में एमपी-पीएससी क्रैक किया और एसटी वर्ग में टॉपर रहे. उनकी ज्यादातर पोस्टिंग बस्तर संभाग में थी. वे लगभग 6 वर्षों तक जगदलपुर में एसडीएम से लेकर अपर कलेक्टर तक रहे और जगदलपुर में नगर निगम आयुक्त की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं. वे दंतेवाड़ा जिले के जिला पंचायत सीईओ भी रह चुके हैं.
कोंडागांव कलेक्टर रहते हुए उन्होंने कोंडागांव को नीति आयोग के आकांक्षी जिलों में नंबर-1 बनाया है. उनका रिटायरमेंट का समय 2028 तक है. उन्हें साल 2008 में आईएएस अवॉर्ड भी मिल चुका है.
अविभाजित मध्य प्रदेश में भी चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया
छात्र राजनीति में सक्रिय रहने के बाद नीलकंठ टेकाम की शुरू से ही राजनीति में आने की इच्छा थी. अविभाजित मध्य प्रदेश के समय उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया, तब वे बड़वानी जिले में एसडीएम के पद पर कार्यरत थे.
वह हजारों लोगों के साथ कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया, लेकिन सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया और तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कुछ आदिवासी नेताओं के हस्तक्षेप के बाद उनका नामांकन वापस कर दिया गया और फिर उन्होंने नौकरी में बन गये.
ओपी चौधरी ने भी इस्तीफा देकर चुनाव लड़ा
2005 बैच के आईएएस रहे ओपी चौधरी ने भी इस्तीफा देकर चुनाव लड़ा था. साल 2018 में बीजेपी में शामिल होने के बाद चौधरी ने खरसिया सीट से कांग्रेस उम्मीदवार उमेश पटेल के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. हार के बावजूद ओपी चौधरी लगातार बीजेपी में सक्रिय होकर काम कर रहे हैं. फिलहाल वह बीजेपी महासचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
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