टीएस सिंहदेव बोले- कांग्रेस संगठन कैडर आधारित नहीं: बीजेपी और कुछ पार्टियां कई दशकों से कैडर बना कर रही काम
Former Deputy CM TS Singhdev Congress BJP statement: छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम सिंहदेव ने चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कमियां हैं, जिनका आकलन करना होगा। कांग्रेस के पास जो कार्यकर्ता हैं, उन्हें बहुत ढीला छोड़ दिया गया है, वे बंधे हुए नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस का स्वरूप कैडर आधारित नहीं है।
भाजपा और कुछ पार्टियां कई दशकों से कैडर बनाकर काम कर रही हैं। भाजपा को आरएसएस से भी साइलेंट वर्क फोर्स मिल रही है। भाजपा के संगठनों में लगातार बैठकें हो रही हैं, उनका संगठन लगातार अपने कार्यकर्ताओं को दौड़ा रहा है। कांग्रेस को ऐसा कैडर बनाने में समय लगेगा। अभ्यास की जरूरत है।
हम 72 से 35 सीटों पर क्यों आ गए?
सिंहदेव ने कहा कि हम 72 से 35 सीटों पर क्यों आ गए? हम लोकसभा सीटें भी जीत सकते थे, लेकिन वहां भी नहीं जीत पाए। समीक्षा भी हुई है, लेकिन अब उस पर अमल करने की जरूरत है। जो भाजपा में है, वह कांग्रेस में नहीं है। कांग्रेस जनता की पार्टी है, लेकिन हमारे पास कैडर नहीं है।
हॉर्स ट्रेडिंग भाजपा का काम है
भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कांग्रेस पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया है, चंद्राकर के आरोपों पर टीएस ने कहा कि नगरीय निकायों का चुनाव अगर सीधा होता है तो प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का चुनाव भी सीधे होना चाहिए। अगर यहां हॉर्स ट्रेडिंग का डर है तो प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री चुनने में भी हो सकता है।
इन दिनों ऑपरेशन लोटस चलन में है। आयाराम, गयाराम की यह स्थिति है, इस पर सख्त कानून बनना चाहिए। अगर कोई इस तरह से दूसरी पार्टी में जाता है तो उसे एक निश्चित समय तक चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए।
निकाय चुनाव के लिए आरक्षण पर असमंजस
निकाय चुनाव को लेकर सिंहदेव ने कहा कि सभी ने अपने-अपने तरीके से तैयारी कर ली है, लेकिन आरक्षण तय नहीं हुआ है। एससी सीटों पर यह तय नहीं है कि प्रतिशत के आधार पर तय होगा या नहीं, ओबीसी की स्थिति भी पता नहीं है। एक बार यह स्थिति तय हो जाए तो उम्मीदवार तय हो जाएगा।
धान खरीदी में लगातार कमियां
पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने धान खरीदी को लेकर कहा कि एकमुश्त राशि नहीं दी जा रही है। बारदाना और टोकन की भी समस्या थी। अभी मात्र 15 प्रतिशत ही खरीदी हुई है, वन अधिकार पत्र धारक किसानों का धान नहीं लिया जा रहा है।
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