Dussehra 2024: आज 3 शुभ संयोग में दशहरा, जानें रावण दहन मुहूर्त, शस्त्र पूजा का समय, कब है दुर्गा विसर्जन
Dussehra Festival 2024 Ravana Dahan Shastra Puja Muhurta Durga Visarjan: आज देशभर में दशहरा का त्योहार मनाया जा रहा है। दशहरे के दिन 3 शुभ संयोग बन रहे हैं। इस बार दशहरा श्रवण नक्षत्र, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग में पड़ रहा है। दशहरे के दिन दोपहर में देवी अपराजिता की पूजा की जाती है और शस्त्र पूजन भी किया जाता है। इसके साथ ही शमी के पेड़ की पूजा का भी विधान है।
इस दिन देश के कई हिस्सों में दुर्गा विसर्जन भी किया जाता है। शाम को सूर्यास्त के बाद रावण दहन होता है। पंचांग के अनुसार दशहरा आश्विन शुक्ल दशमी तिथि को मनाया जाता है। भगवान श्रीराम द्वारा रावण का वध करने के बाद से दशहरा का त्योहार मनाया जाने लगा।
दूसरी घटना महिषासुर के वध से जुड़ी है, जिसमें मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर धर्म की स्थापना की थी। आइए केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं दशहरे पर रावण दहन मुहूर्त, शस्त्र पूजन का समय और दुर्गा विसर्जन के बारे में।
दशहरा 2024 मुहूर्त
आश्विन शुक्ल दशमी तिथि प्रारंभ: आज, शनिवार, सुबह 10:58 बजे से
आश्विन शुक्ल दशमी तिथि समाप्त: कल, रविवार, सुबह 9:08 बजे
दशहरा ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:41 से 05:31 बजे तक
दशहरा अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:44 से दोपहर 12:30 बजे तक
देवी अपराजिता पूजा समय: आज, दोपहर 02:03 से 02:49 बजे के बीच
दशहरा 2024 में 3 शुभ संयोग
इस साल के दशहरे पर 3 शुभ संयोग बन रहे हैं। पहला संयोग यह है कि श्रवण नक्षत्र है। जो आज पूरे दिन है। रवि योग भी बना हुआ है, यह भी पूरे दिन रहेगा। इस योग में सूर्य का प्रभाव अधिक होता है, जिससे सभी दोष समाप्त हो जाते हैं। इसके अलावा आज सुबह 06:20 बजे से सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो कल सुबह 04:27 बजे तक रहेगा। इस योग में आप जो भी शुभ काम करेंगे, वह सफल साबित हो सकता है।
दशहरा 2024 शस्त्र पूजा का समय
विजयदशमी के दिन शस्त्र पूजा विजय मुहूर्त में की जाती है। इस साल शस्त्र पूजा का समय दोपहर 02:03 बजे से 02:49 बजे तक है।
दशहरा 2024 दुर्गा विसर्जन का समय
जिन लोगों ने अपने घरों में मां दुर्गा की मूर्तियां रखी हैं, वे आज दोपहर 1:17 बजे से 3:35 बजे के बीच उन मूर्तियों का विसर्जन कर सकते हैं।
दशहरा 2024 रावण दहन मुहूर्त
आज दशहरा मेले में शाम 5:54 बजे के बाद रावण दहन किया जा सकेगा। रावण दहन का समय ढाई घंटे का होता है। दशहरे पर प्रदोष काल में रावण दहन करने की प्रथा है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद शुरू होता है।
दशहरे पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन होते हैं
लोक कथाओं के अनुसार जब भगवान राम ने रावण का वध किया तो उस पर ब्रह्मा हत्या का आरोप लगा क्योंकि रावण एक ब्राह्मण था। उसके दादा पुलस्त्य ऋषि ब्रह्माजी के पुत्र थे, उनके पुत्र का नाम विश्रवा था। रावण का जन्म राक्षस कुल के विश्रवा और कैकसी से हुआ था।
ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण ने भगवान शिव की आराधना की। तब भगवान शिव ने नीलकंठ पक्षी के रूप में उन्हें दर्शन दिए। इसी कारण दशहरे पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन करना शुभ माना जाता है।
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