अनोखी है परंपरा ! MP के इस जिले में नवमी पर भक्त दहकते अंगारों पर चलकर देते हैं अग्नि परीक्षा, जानिए इसके पीछे का कारण…

मंदसौर। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मंदसौर (Mandsur) के ग्रामीण इलाके में अजीबो-गरीब परंपरा है. यहां नवरात्रि के अंतिम दिन नवमी पर लोग अंगारों पर चलकर माता की भक्ति की परीक्षा देते हैं. यह परंपरा सीतामऊ के भगोर में गांव में पुराने जमाने से चली आ रही है. इस अंगारों पर चलने के आयोजन को चुल कहा जाता है. इस पूरे कार्यक्रम को वाड़ी विसर्जन कहते हैं.

जानकारी के मुताबिक, भगोर में वैसे तो आम जगहों की तरह नवरात्रि की पूजा होती है. घट स्थापना से लेकर नवमी तक श्रद्धालु मां की पूजा-अर्चना करते हैं. इसके अलावा यहां गरबा जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. नवरात्रि के अंतिम दिन माता के विसर्जन के दौरान माहौल बदल जाता है. विसर्जन में लोग तरह-तरह के प्रदर्शन भी करते हैं. इसके बाद शाम को चुल का आयोजन किया जाता है. इसमें ऐसे लोग अंगारों पर से चलते हैं, जिनकी मांगी हुई मन्नत पूरी हो जाती है.

बता दें, नवमी के दिन यहां एक गड्ढा खोदा जाता है. ये गड्ढा करीब ढाई फीट चौड़ा और आठ फीट लंबा होता है. इसमें अंगारों को जलाने के लिए सूखी लकड़ियां डाली जाती हैं. इसके बाद लोग इसमें देशी घी डालते हैं. इससे अंगारे दहक जाते हैं. इसके बाद माता के भक्तों इन दहकते अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं.

पुराने लोग बताते हैं कि ये परंपरा यहां लंबे समय से चली आ रही है. इन अंगारों पर लोग आस्था और विश्वास लेकर चलते हैं. इसलिए आज तक यहां न कोई हादसा हुआ, न कोई चोटिल हुआ. यहां बच्चे भी दहरते अंगारों से गुजर जाते हैं.

बुजुर्ग बताते हैं कि लोग कई तरह की मन्नतें मांगते हैं. कोई बच्चे के लिए, कोई रोजगार के लिए, कोई पारिवारिक विवाद को खत्म करने के लिए, तो कोई मां से सच्चा आशीर्वाद देने की दुआ करता है. जब भी किसी व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है तो वह चुल में हिस्सा लेता है और दहकते अंगारों पर चलता है.