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Damoh: एसडीओपी को पांच हजार की रिश्वत लेने के मामले में तीन साल की सजा, 20 हजार का जुर्माना भी लगाया

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मध्य प्रदेश के दमोह में एसडीओपी रहे एक अधिकारी को भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोप में तीन साल की सजा सुनाई गई है। साथ ही 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। उस समय एसडीओपी ने पांच हजार रुपये रिश्वत ली थी। मामले में एक वाहन चालक को भी आरोपी बनाया था, जिसे कोर्ट ने बरी कर दिया। 

जानकारी के अनुसार मामला दमोह जिले के तेंदूखेड़ा का है। यहां के तत्कालीन एसडीओपी और वर्तमान में रिटायर्ड जीपी शर्मा पर पांच हजार रुपये लेने का आरोप लगा था। तत्कालीन एएसआई वाहन चालक विजय कुमार चढ़ार (54) को भी आरोपी बनाया गया था। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम दमोह की कोर्ट ने फैसला सुनाया है। 

घटना के अनुसार 27 सितंबर 2015 को 58 वर्षीय आवेदक बृजपाल पिता बाबूलाल पटेल निवासी फुटेरा वार्ड नंबर 4 हटा ने एसडीओपी तेंदूखेड़ा जीपी शर्मा के विरुद्ध पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त सागर को शिकायत  की थी। उसने बताया था कि मेरे पुत्र अजय पटेल पर थाना जबेरा में लड़की को भगाकर ले जाने पर एससीएसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। जिसकी जांच जीपी शर्मा के हाथ थी। आवेदक ने दमोह कोर्ट से बेटे की अग्रिम जमानत मंजूर कराई थी। 22 सितंबर 2015 को वह कोर्ट का ऑर्डर लेकर एसडीओपी के कार्यालय गया था। उसके साथ उसका बेटा और एक अधिवक्ता भी था।

आवेदक ने बताया कि एसडीओपी जीपी शर्मा ने जमानत तस्दीक के लिए 10 हजार रुपये रिश्वत मांगी थी। इसकी शिकायत लोकायुक्त में कर दी थी। लोकायुक्त सागर ने कॉल डिटेल सहित अन्य सबूत के आधार पर जाल तैयार किया। 29 सितंबर को आरोपी और आवेदक के मध्य रिश्वत का लेन-देन होना था। लोकायुक्त टीम आरोपी एसडीओपी जीपी शर्मा के शासकीय आवास में पीड़ित से पांच हजार रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथों गिरफ्तार किया था। वाहन चालक को भी आरोपी बनाया गया था।

कोर्ट ने सुनवाई के बाद 24 नवंबर 2022 को आरोपी को दोषी करार दिया। धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में तीन साल के सश्रम कारावास एवं 20 हजार अर्थदंड से  दंडित किया गया। न्यायालय द्वारा दूसरे अभियुक्त विजय कुमार चढ़ार के संदर्भ में अभियोजन मामला प्रमाणित नहीं पाया इसलिए उसे दोषमुक्त कर दिया। अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक हेमंत कुमार पाण्डेय एवं अनंत सिंह ठाकुर ने की।

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मध्य प्रदेश के दमोह में एसडीओपी रहे एक अधिकारी को भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोप में तीन साल की सजा सुनाई गई है। साथ ही 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। उस समय एसडीओपी ने पांच हजार रुपये रिश्वत ली थी। मामले में एक वाहन चालक को भी आरोपी बनाया था, जिसे कोर्ट ने बरी कर दिया। 

जानकारी के अनुसार मामला दमोह जिले के तेंदूखेड़ा का है। यहां के तत्कालीन एसडीओपी और वर्तमान में रिटायर्ड जीपी शर्मा पर पांच हजार रुपये लेने का आरोप लगा था। तत्कालीन एएसआई वाहन चालक विजय कुमार चढ़ार (54) को भी आरोपी बनाया गया था। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम दमोह की कोर्ट ने फैसला सुनाया है। 

घटना के अनुसार 27 सितंबर 2015 को 58 वर्षीय आवेदक बृजपाल पिता बाबूलाल पटेल निवासी फुटेरा वार्ड नंबर 4 हटा ने एसडीओपी तेंदूखेड़ा जीपी शर्मा के विरुद्ध पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त सागर को शिकायत  की थी। उसने बताया था कि मेरे पुत्र अजय पटेल पर थाना जबेरा में लड़की को भगाकर ले जाने पर एससीएसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। जिसकी जांच जीपी शर्मा के हाथ थी। आवेदक ने दमोह कोर्ट से बेटे की अग्रिम जमानत मंजूर कराई थी। 22 सितंबर 2015 को वह कोर्ट का ऑर्डर लेकर एसडीओपी के कार्यालय गया था। उसके साथ उसका बेटा और एक अधिवक्ता भी था।

आवेदक ने बताया कि एसडीओपी जीपी शर्मा ने जमानत तस्दीक के लिए 10 हजार रुपये रिश्वत मांगी थी। इसकी शिकायत लोकायुक्त में कर दी थी। लोकायुक्त सागर ने कॉल डिटेल सहित अन्य सबूत के आधार पर जाल तैयार किया। 29 सितंबर को आरोपी और आवेदक के मध्य रिश्वत का लेन-देन होना था। लोकायुक्त टीम आरोपी एसडीओपी जीपी शर्मा के शासकीय आवास में पीड़ित से पांच हजार रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथों गिरफ्तार किया था। वाहन चालक को भी आरोपी बनाया गया था।

कोर्ट ने सुनवाई के बाद 24 नवंबर 2022 को आरोपी को दोषी करार दिया। धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में तीन साल के सश्रम कारावास एवं 20 हजार अर्थदंड से  दंडित किया गया। न्यायालय द्वारा दूसरे अभियुक्त विजय कुमार चढ़ार के संदर्भ में अभियोजन मामला प्रमाणित नहीं पाया इसलिए उसे दोषमुक्त कर दिया। अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक हेमंत कुमार पाण्डेय एवं अनंत सिंह ठाकुर ने की।

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