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अजब MP में गजब कमाई: फर्जी फर्म और फर्जी GST से अनूपपुर जिले में लाखों का कारोबार, कलेक्टर साहिबा और CEO साहब कब थमेगी करप्शन की रफ्तार ?

अनूपपुर: जिले में इन दिनों अफसरों की शह में ठेकेदार ताबड़तोड़ काली कमाई कर रहे हैं, जिसको हर सरकारी मुलाजिम अनदेखा कर रहा है. इससे ठेकेदार भ्रष्टाचार को आयाम देने के लिए आए दिन नए-नए तरीके निकाल रहे हैं. कोतमा जनपद के पंचायतों में सरपंच सचिव की मिलीभगत से जय माता दी ट्रेडर्स नामक फर्म द्वारा लाखों का भुगतान फर्जी तरीके से किया जा रहा है, लेकिन जिम्मेदार कान दाबकर बैठे हैं.

दरअसल, कोतमा जनपद अंतर्गत विक्रेता आईडी क्रमांक 2402150 एवं जीएसटी नं में छेड़छाड़ और फर्जीवाड़ा कर जीएसटी नं. 23FTDPS7604P2Z2 के सहारे फर्म संचालक उमेश शर्मा नामक व्यक्ति द्वारा सात ग्राम पंचायतों में फर्जी फर्म जय माता दी ट्रेडर्स और उमेश ट्रेडर्स इन दिनों फर्म एक ही जीएसटी नं के सहारे कई लाखों रुपए का भुगतान ग्राम पंचायतों से मटेरियल सप्लायर के नाम पर राशि का अहरण किया जा रहा है.

विकास कार्यों के नाम पर भ्रष्टाचार और पंचायत की राशि हरण करने का मामला आए दिन सामने आता है. भ्रष्टाचारियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि फर्जी जीएसटी और फर्म के सहारे लाखों का भुगतान अपने खातों पर लेकर पंचायत और ग्रामीणों के लिए विकास की आई राशि का अहरण कर लेते हैं.

181 में हुई शिकायत

मुख्यमंत्री सीएम हेल्पलाइन में जय माता दी ट्रेडर्स के द्वारा किए जा रहे हैं. भ्रष्टाचार को लेकर दो शिकायतें की गई है, लेकिन निराकरण के लिए शिकायत जनपद सीओ को प्रेषित की गई है। जय माता दी ट्रेडर्स नाम से जिन पंचायतों में लाखों के भुगतान किए गए हैं और पंचायतों में बिल नंबर और फर्जी जीएसटी के सहारे किये गए भुगतान में लाखों का भुगतान कूटरचित तरीके से कर दिया गया है, जोकि पंचायती नियम के अनुसार भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है.

कार्रवाई न होने से बुलंद हुए हौसले

जय माता दी ट्रेडर्स के पर कार्रवाई न होने से फर्म संचालन के हौसले बुलंद हो गए हैं. पंचायत के विकास के लिए आई लाखों की राशि का बंदरबांट फर्जी जीएसटी नंबर और फर्जी बिल लगाकर कर दिया गया, फिर भी सत्ता के दबाव में उमेश पर कार्रवाई ना होना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद करने का कार्य कर रहा है, जो आने वाले समय में पंचायतों में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं.

फर्जी फर्म और फर्जी जीएसटी के सहारे लाखों का भुगतान

जनपद पंचायत कोतमा अंतर्गत ग्राम पंचायत सिलपुर,सारंगगढ़, बेलियाछोट,विचारपुर, उरतान, गोडारू में मटेरियल सप्लायर गिट्टी,सीमेंट,रेत, रॉड, ईंट,मुरूम एवम अन्य हार्डवेयर सामग्री खरीदी के नाम पर वर्तमान में पदस्थ सचिव सरपंच की मिली भगत से ग्राम पंचायतों में लगे बिलों में जीएसटी नं में छेड़छाड़ और फर्जीवाड़ा कर एक ही जीएसटी नं. 23FTDPS7604P2Z2 एवम विक्रेता आईडी नं 2402150 के सहारे उमेश शर्मा ग्राम पंचायत गोडारू निवासी द्वारा सातों ग्राम पंचायतों में फर्जी फर्म जय माता दी ट्रेडर्स और उमेश ट्रेडर्स इन दिनों फर्म एक ही जीएसटी नं के सहारे कई लाखो रुपए का भुगतान किया गया.

ग्राम पंचायतों से मटेरियल सप्लायर के नाम पर अपने चहेते सचिवों के सहारे कराता रहा. भ्रष्टाचारी सचिव अपनी काली कमाई करने के चक्कर में फर्जी फर्म के नाम पर भुगतान आंख में पट्टी बांध कर करते रहे.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उमेश ट्रेडर्स और जय माता ट्रेडर्स के नाम की बिल में अंकित पते पर कोई भी दुकान दूर दूर तक नजर नहीं आती, यह मानो जय माता ट्रेडर्स एवम उमेश ट्रेडर्स के नाम की दुकान को आसमान लील गया या फिर धरती में समा गई.

सांठगांठ से लाखों का भुगतान –

जनपद पंचायत कोतमा ग्राम पंचायत सिलपुर में वर्ष 2021 में लगभग 60,890 रूपए का,सारंगगढ़ में लगभग 66,470 रुपए, बेलियाछोट में लगभग 8,98,800 रुपए,विचारपुर में 5,63,695 रुपए,उरतान में 79,510 रुपए,गोडारू में 4,70,300 रुपए का भुगतान मे. जय माता दी ट्रेडर्स एवम उमेश ट्रेडर्स फर्म के नाम से कुल लगभग 21,39,666 रुपए बीते 6 महीनो में भुगतान सचिवों ने अपने चहेते को फर्जी फर्म के सहारे शासकीय पैसे का भुगतान किया जाता रहा. कमीशन के चक्कर मे जिम्मेदार अधिकारी मौन स्वीकृति प्रदान कर भ्रष्टाचार की नव पर सवार हो कर डुबकी भ्रष्टाचारी सचिवों और फर्म संचालक के साथ मिलकर लगाते रहे.

फर्म मालिक बना मजदूर –

ग्राम पंचायत गोडारू निवासी उमेश शर्मा ने बहुत ही चतुराई और चालाकी के साथ सत्ता धारी नेताओं के संरक्षण में सचिवों के साथ सांठगांठ कर अपने ग्राम पंचायत गोडारू में पहले जॉब कार्ड क्र. MP-46-001-012-001/137 बनवाकर जॉब कार्ड के सहारे लगभग 10,000 रुपए का ग्राम पंचायत गोडारू से मजदूरी भुगतान ले लिया गया, उसके बाद 7 ग्राम पंचायतों से मटेरियल सप्लायर के 2 फर्म एक जीएसटी नं के सहारे लगभग 21 लाख रुपए का भुगतान करा लिया.

ग्राम पंचायतों से अपने खाते पर निर्माण सामग्री सप्लायर के नाम पर कराता रहा. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुछ ग्राम पंचायतों में पर्दे के पीछे रहकर ठेकेदारी भी इनके द्वारा की जाती है और कागजों में निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत बनी रहती है. अब यह देखना होगा कि जिले और जनपद के जिम्मेदार अधिकारी, इंजीनियर, एसडीओ जो कुंभकरण की नींद से कब जागेंगे?

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