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छत्तीसगढ़ में मीसाबंदियों को मिलेगी पेंशन: CM विष्णुदेव ने खेला मास्टर स्ट्रोक, घोषणा से खिल उठे लोकतंत्र सेनानियों के चेहरे

CM Vishnudev announces pension to MISA prisoners in Chhattisgarh: लोकसभा चुनाव 2024 से कुछ महीने पहले छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए मीसा बंदियों की सम्मान निधि को एक बार फिर से शुरू करने के लिए ये बड़ा ऐलान किया है.

CM Vishnudev announces pension to MISA prisoners in Chhattisgarh: मुख्यमंत्री ने खुद सदन में इसकी घोषणा की है. सीएम ने कहा कि राज्य सरकार फिर से प्रदेश के मीसा बंदियों को सम्मान निधि देने की घोषणा करती है. सरकार मिल्क रूट और चिलिंग प्लांट भी बनाएगी. जिससे दूध का व्यापार सुविधाजनक हो जाएगा।

मुख्यमंत्री ने पोस्ट किया

CM Vishnudev announces pension to MISA prisoners in Chhattisgarh: विधानसभा में मीसा बंदियों को दोबारा सम्मान निधि देने की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया है. उन्होंने लिखा, ‘आपातकाल के कठिन दौर में जब लोकतंत्र को खत्म करने की हर कोशिश की गई.

फिर जो लोग लोकतंत्र के प्रहरी बने और लोगों के अधिकारों के लिए लड़े और जेल गए, उन्हें आज हम आम भाषा में मीसाबंदी के नाम से जानते हैं। हम सदैव उनके आभारी रहेंगे। उनके अच्छे प्रयासों के कारण ही आज भारत का लोकतंत्र बरकरार है। मीसा बंदियों का मानदेय दोबारा दिया जाएगा।

लोकतंत्र सेनानी ने जताया आभार

मुख्यमंत्री द्वारा सदन में मीसाबंदियों को सम्मान राशि फिर से शुरू करने की घोषणा से मीसाबंदियों में खुशी है. रायपुर में रहने वाले लोकतंत्र सेनानी सच्चिदानंद उपासने ने मुख्यमंत्री की इस घोषणा पर आभार जताया है और उन्हें धन्यवाद दिया है.

कौन हैं मीसाबंदी ?

CM Vishnudev announces pension to MISA prisoners in Chhattisgarh: मीसाबंदी वो लोग हैं जो आपातकाल के दौरान जेल गए थे. 25-26 जून 1975 को देश में आपातकाल लगाया गया था। आपातकाल के लिए MISA (आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम) कानून लगाया गया था। इसमें कई गिरफ्तारियां हुईं.

देश में अनेक आंदोलन हुए। छात्र नेता, मजदूर नेता, प्रोफेसर, राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता इंदिरा सरकार के विरोध में उतर आये. मीसा ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण और समाजवादी विचारधारा के नेताओं के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विद्यार्थी परिषद और सीपीआई (एम) के लोगों पर भी कहर बरपाया. ये सभी लोग मीसाबंदी कहलाये।

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