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उम्मीद बनी उमेश्वरी: पति की इच्छा को बनाया जिम्मेदारी, गांव की 23 लड़कियों का खुलवाया सुकन्या समृद्धि खाता

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छत्तीसगढ़ के बालोद जिला कोर्ट में कार्यरत उमेश्वरी गांव की गरीब लड़कियों की उम्मीद बन गई हैं। उनके पति चाहते थे कि वह लड़कियों के लिए कुछ खास करें। ऐसे में पति की अंतिम इच्छा मानकर उनकी मौत के बाद इसकी जिम्मेदारी उमेश्वरी ने उठा ली। उमेश्वरी  दो सालों में आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ने वाली 23 लड़कियों का सुकन्या समृद्धि खाता पोस्ट ऑफिस में खुलवा चुकी हैं। इन खातों में रुपये भी वही जमा करती हैं। खास बात यह है कि उमेश्वरी की आय महज 13 हजार रुपये महीना ही है। 

पति की कोविड से हो गई थी मौत

दरअसल, मूल रूप से भिलाई की रहने वाली उमेश्वरी बालोद में किराये के मकान में रहती हैं। उनके पति प्रकाश कुमार सिंह जिला न्यायालय में पदस्थ थे। साल 2021 में उनकी कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई। इसके बाद उमेश्वरी को जिला कोर्ट में सहायक ग्रेड-3 के पद पर अनुकंपा नियुक्ति मिली। उमेश्वरी के पति समाज सेवा से भी जुड़े थे। वह कहते थे कि हमें बेटियों के लिए कुछ खास करना चाहिए, लेकिन उनकी मौत के साथ सपना अधूरा रहा गया। इसके बाद इसकी जिम्मेदारी उमेश्वरी ने उठा ली। 

आंगनबाड़ी केंद्र गईं तो बच्चियों के बारे में पता चला

उमेश्वरी बताती हैं कि उनकी बेटी शिकारीपाड़ा के आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ती है। एक दिन जब वह केंद्र में अपनी बेटी को लेने गईं तो उसकी अन्य साथियों से भी मिलीं। वहां पता चला कि यह सब बच्चे बहुत ही गरीब घर से हैं। उनके माता-पिता को सुकन्या समृद्धि योजना के बारे में कुछ नहीं पता है। इस पर उमेश्वरी ने पहल शुरू की और बच्चियों के परिजनों से बात की। उनकी सहमति के बाद उमेश्वरी ने 23 बच्चियों का खाता खुलवाया। हर खाते में हर साल 500 रुपये भी वह खुद ही जमा करती हैं।  

पति कहते थे करना है कुछ अनोखा

उमेश्वरी ने बताया कि उनके पति हमेशा बच्चों के लिए कुछ करने की बात कहते थे। जिस समय में भिलाई में पदस्थ थे, उस समय वे कहते थे कि हम ग्रामीण क्षेत्र में किराये का मकान लेकर रहेंगे। वहां रहने वाले बच्चों के लिए कुछ स्पेशल करेंगे। उन्होंने बताया कि बच्चियों के खाते खुलवाकर उनके परिजनों को दिए तो वह बहुत खुश हुए। उनके इस काम की बहुत सराहना मिल रही है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने भी उमेश्वरी के इस काम की बहुत तारीफ की है। वहीं गांव के लोग भी काफी खुश हैं। 

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