कब होगा दूध का दूध, पानी का पानी साहब ? मंत्री और कलेक्टर के थे निर्देश, अधिकारी नहीं दे रहे RTI से दस्तावेज, आंगनबाड़ी में गड़बड़ी को छिपाने की साजिश ?
Chhattisgarh Mungeli Anganwadi Recruitment Scam Detail Update: छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में महिला एवं विकास विभाग के कारनामे किसे नहीं पता है। मंत्री के निर्देश भी फीके पड़ गए हैं। कलेक्टर निर्देश को जिम्मेदार हवा में ले लिए। भर्ती प्रक्रिया के दस्तावेज और शिकायत डस्टबीन में नजर आ रहे हैं। यूं कहें की कलेक्टर के बयान दूध के दूध पानी के पानी वाला बिन बारिश पानी में मिलकर बह गया है।
Chhattisgarh Mungeli Anganwadi Recruitment Scam Detail Update: लगता है आचार संहिता लगते ही अब जिले के प्रभारी मंत्री लखनलाल देवांगन के उन निर्देशों का कोई असर नहीं रहा जो आदर्श आचार संहिता लगने के पूर्व उन्होंने महिला एवं विकास विभाग के अफसरों को समीक्षा बैठक में दिए थे. बैठक में उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों को जिले में हो रहे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका की भर्ती में गड़बड़ी से संबंधित शिकायतों का निराकरण करते हुए दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे.
Chhattisgarh Mungeli Anganwadi Recruitment Scam Detail Update: बता दें कि मंत्री लखनलाल देवांगन के निर्देशो को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर राहुल देव की पहल पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका की भर्ती में गड़बड़ी से संबंधित शिकायतों का निराकरण करने के लिए न्यायालय में सुनवाई की जा रही है, जो कि विचाराधीन है.
Chhattisgarh Mungeli Anganwadi Recruitment Scam Detail Update: कलेक्टर की इस पहल पर शिकायतकर्ताओं को न्याय की उम्मीद तो जगी लेकिन लगता है महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसर नहीं चाहते कि मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो. शिकायतकर्ताओं को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका भर्ती में गड़बड़ी से सम्बंधित दस्तावेज की जरूरत पड़ रही हैं.
इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के दफ्तरों में शिकायतकर्ताओं द्वारा RTI कानून के तहत जानकारी मांगे जाने पर विभाग के अफसरों के द्वारा गोलमोल जवाब देकर जानकारी नहीं दी जा रही हैं. इससे क्षुब्ध होकर एक शिकायतकर्ता कुंवर सिंह ने कलेक्टर राहुल देव के माध्यम से राज्य सूचना आयुक्त को शिकायत कर RTI कानून को मजाक समझने और नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले अफसरों पर कार्रवाई की मांग की है.
किस बात का सता रहा डर .?
Chhattisgarh Mungeli Anganwadi Recruitment Scam Detail Update: शिकायतकर्ता का कहना है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों को शायद इस बात का डर है कि कहीं उनके द्वारा किया गया कारनामा बाहर न आ जाए, शायद इसी वजह से जानकारी देने में आनाकानी किया जा रहा है. हद तो तब हो गई जब अपील करने के बाद भी आवेदनकर्ताओं को जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है.
जानिए पूरा प्रकरण
मामले का पूरा विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता कुंवर सिंह ने 11 मार्च 2024 को जनसूचना अधिकारी परियोजना अधिकारी एकीकृत बाल विकास परियोजना मुंगेली-2, जिला मुंगेली के पास आंगनबाड़ी भर्ती में चयन हुए अभ्यर्थी के आवेदन के साथ संलग्न दस्तावेज अंकसूची, रोजगार पंजीयन और जाति निवास सहित भर्ती की वरीयता सूची एवं नियुक्ति प्रमाण पत्र की प्रमाणित प्रति सूचना का अधिकार के तहत मांगी थी. जिस पर उन्हें निर्धारित समयावधि पूरी हो जाने के बाद अधिनियम की धारा 8 के अंतर्गत जानकारी दिया जाना संभव नहीं है, कहते हुए पत्र जारी कर दिया गया.
इस पर आवेदक का कहना था कि उसने जो सूचना मांगी है उससे आंगनबाडी भर्ती में जो धांधली की गई है उसका खुलासा हो जाएगा, उसने यह आरोप लगाया है कि यही कारण है कि उसे सूचना नहीं दी जा रही है. शिकायत में उसने यह भी उल्लेख किया है कि उसके द्वारा मांगी गई सूचना में ऐसे दस्तावेज भी शामिल हैं जिनको सार्वजनिक करने पर भी, किसी की व्यक्तिगत गोपनीयता भंग नहीं होगी और न ही देश की एकता व अखंडता पर कोई दाग लगेगा. इसके बाद भी उसे सूचना नहीं दिया जाना विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है ?
पूर्व में ऐसे ही मामलों पर दी गई है जानकारी
यह भी जानकारी सामने आ रही है कि महिला बाल विकास विभाग द्वारा वर्तमान में जो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका की भर्ती की गई उसमें अनियमितता होने संबंधी शिकायतों की एक लंबी फेहरिस्त है, इसके चलते क्षुब्ध अभ्यर्थियों द्वारा सूचना का अधिकार के तहत चयनित अभ्यर्थियों से संबंधित निजी जानकारी मांगी थी. जिस पर विभाग द्वारा उन्हे निर्विरोध जानकारी सौंप दी गई थी, लेकिन कुछ मामले ऐसे हैं जिसमें विभाग द्वारा निजी जानकारी होने का हवाला देकर जानकारी नहीं देने के लिए अधिनियम के प्रावधानो का दुरूपयोग किया जा रहा है. एक जैसे ही दो आवेदन और दोनों आवेदनों में कार्यवाही भिन्न स्वरूपों में किया जाना, विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्न खड़ा कर रहा है.
सूचना का अधिकार कानून का बन रहा मजाक
शिकायतकर्ताओ ने आरोप लगाया है कि मुंगेली में महिला बाल विकास विभाग द्वारा सूचना का अधिकार कानून का केवल मजाक भर नहीं बनाया जा रहा, मजाक बनाने के साथ साथ इसकी खुलेआम धज्जियॉ उड़ाई जा रही है. प्रशासन को चाहिए कि अगर सरकारी तंत्र पर किसी मामले में अनियमितता का आरोप लग रहा है, तो उन आरोपों को सच्चा या फिर झूठा साबित करने के लिए पूरी पारदर्शिता के साथ दस्तावेजां की प्रति परीक्षण कराने के लिए तैयार रहें, इसीलिए वर्ष 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम लागू किया गया है, लेकिन जिन उद्देश्यों को लेकर इस कानून की स्थापना की गई है उसका दुरूपयोग कैसे किया जाता है, सरकारी तंत्र को इसकी बखूबी जानकारी है.
अपीलीय अधिकारी का भी है यही हाल
शिकायतकर्ताओ का कहना है कि महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी जिन्हें जन सूचना अधिकारी भी कह सकते हैं, सभी परियोजना में चाहे वह मुंगेली, लोरमी या पथरिया परियोजना से संबंधित हो, सभी का यही हाल है. सूचना का अधिकार के तहत जैसे जनसूचना अधिकारी जवाब नहीं दे रहे हैं ठीक वैसे ही कारनामे जिला कार्यालय में बैठे अपीलीय अधिकारी कर रहे हैं. इनके पास जो आवेदन अपील के माध्यम से पहुंच रहे हैं उस पर निर्धारित समावधि के बाद भी निराकरण करने की कार्यवाही नहीं की जा रही है. वहीं जानकारी पाने की जुगत में हितग्राही विभाग के चक्कर काट रहे हैं.
अपीलीय अधिकारी का भी है यही हाल
शिकायतकर्ताओ का कहना है कि महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी जिन्हें जन सूचना अधिकारी भी कह सकते हैं, सभी परियोजना में चाहे वह मुंगेली, लोरमी या पथरिया परियोजना से संबंधित हो, सभी का यही हाल है. सूचना का अधिकार के तहत जैसे जनसूचना अधिकारी जवाब नहीं दे रहे हैं ठीक वैसे ही कारनामे जिला कार्यालय में बैठे अपीलीय अधिकारी कर रहे हैं. इनके पास जो आवेदन अपील के माध्यम से पहुंच रहे हैं उस पर निर्धारित समावधि के बाद भी निराकरण करने की कार्यवाही नहीं की जा रही है. वहीं जानकारी पाने की जुगत में हितग्राही विभाग के चक्कर काट रहे हैं.
कैसे किया जा रहा कानून का दुरूपयोग….आइए समझते हैं
सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8 में स्पष्ट उल्लेखित है कि कुछ ऐसे विषय जिन पर मांगी गई सूचनाओं को नहीं दिया जा सकता है. ऐसे विषय देश हित में और किसी व्यक्ति के हित में होते हैं जिन से संबंधित सूचनाओं को नहीं दिया जा सकता. यदि इन विषयो से संबंधित सूचनाओं को दे दिया जाए तो समस्या खड़ी हो सकती है और देश की एकता अखंडता तथा किसी व्यक्ति के अधिकारों को क्षति हो सकती है. जबकि इस मामले में जो जानकारी मांगी जा रही है उससे न तो देश की एकता, अखंडता की क्षति हो रही है और न ही किसी व्यक्ति के अधिकारों की. इस मामले में जानकारी उपलब्ध नहीं कराना विभाग को संदेह के दायरे में ला रहा है. वहीं शिकायतकर्ता ने इस मामले में कठोर कार्यवाही करने के लिए सूचना आयोग की शरण ली है.
Read more- Landmines, Tanks, Ruins: The Afghanista Taliban Left Behind in 2001 29 IAS-IPS